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ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स पर रोक की मांग पर आज दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई - ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स

दिल्ली हाई कोर्ट ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स पर रोक लगाने वाले आदेश को लागू नहीं करने पर दिल्ली के मुख्य सचिव और  आईसीएमआर के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर आज सुनवाई करेगा.

ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स पर रोक की मांग
ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स पर रोक की मांग
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Published : Sep 14, 2021, 8:19 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स पर रोक लगाने वाले आदेश को लागू नहीं करने पर दिल्ली के मुख्य सचिव और आईसीएमआर के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर आज सुनवाई करेगा. जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच सुनवाई करेगी.



7 सितंबर को हाईकोर्ट ने ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स की मानीटरिंग नहीं करने पर आईसीएमआर को चेतावनी दी थी. कोर्ट ने कहा था कि आईसीएमआर को निजी पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी की शिकायतों को देखना चाहिए. आईसीएमआर चाहे तो कानून का उल्लंघन करने वाले लेबोरेटरीज का लाइसेंस निरस्त कर सकता है.

आईसीएमआर ही लेबोरेटरी को लाईसेंस देती है. दरअसल आईसीएमआर ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि ऑनलाइन पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी पर नियंत्रण करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. निजी लेबोरेटरी को एनएबीएल ही सर्टिफिकेट जारी करती है. कोरोना के टेस्टिंग लेबोरेटरी की स्थापना के लिए उसने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर जारी किए हैं. इनके लिए देश भर में 14 मेंटर इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई है.

दिल्ली के लेबोरेटरीज के लिए एम्स अस्पताल को मेंटर इंस्टीट्यूट बनाया गया है. आईसीएमआर ने कहा कि 16 अगस्त को उसने दिल्ली में 35 सरकारी और 99 निजी लेबोरेटरी को मान्यता दी है. ये लेबोरेटरी आरटी-पीसीआर, ट्रूनैट, सीबीएनएएटी और एम-नैट का टेस्ट कर सकते हैं.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा कि सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार के बड़े अधिकारी इन अवैध आनलाइन पैथोलॉजिकल लेबोरेटरीज के संचालने के लिए बराबर के जिम्मेदार हैं. ये लेबोरेटरीज खुलेआम अपना विज्ञापन जारी करते हैं. वे एसएमएस और ई-मेल के जरिये अपना प्रचार कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स पर रोक की मांग पर आज दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई

पिछले 12 अगस्त को कोर्ट ने आईसीएमआर को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि आईसीएमआर ने जवाब दाखिल नहीं किया है. 12 नवंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका जयपुर के एक पैथोलॉजिस्ट रोहित जैन ने दायर की है.

याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा था कि 6 अगस्त 2020 को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और ICMR को निर्देश दिया था कि ऐसी ऑनलाइन लैब्स के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाए, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया. उन्होंने कहा था healthians और 1mg जैसे ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स दिल्ली में अवैध तरीके से काम कर रहे हैं. ये आम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. अगस्त 2020 में भी रोहित जैन ही याचिका दायर की थी.

ये भी पढ़ें : अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को जारी किया नोटिस


याचिका में कहा गया था कि इन लैब्स के संचालकों के क्वालिफिकेशन का वेरिफिकेशन भी नहीं किया गया है. ये आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए कोरोना का अनाधिकृत रूप से टेस्ट कर रहे हैं. ऐसा करना संविधान की धारा 21 के तहत जीने के अधिकार का उल्लंघन है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स पर रोक लगाने वाले आदेश को लागू नहीं करने पर दिल्ली के मुख्य सचिव और आईसीएमआर के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर आज सुनवाई करेगा. जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच सुनवाई करेगी.



7 सितंबर को हाईकोर्ट ने ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स की मानीटरिंग नहीं करने पर आईसीएमआर को चेतावनी दी थी. कोर्ट ने कहा था कि आईसीएमआर को निजी पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी की शिकायतों को देखना चाहिए. आईसीएमआर चाहे तो कानून का उल्लंघन करने वाले लेबोरेटरीज का लाइसेंस निरस्त कर सकता है.

आईसीएमआर ही लेबोरेटरी को लाईसेंस देती है. दरअसल आईसीएमआर ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि ऑनलाइन पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी पर नियंत्रण करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. निजी लेबोरेटरी को एनएबीएल ही सर्टिफिकेट जारी करती है. कोरोना के टेस्टिंग लेबोरेटरी की स्थापना के लिए उसने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर जारी किए हैं. इनके लिए देश भर में 14 मेंटर इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई है.

दिल्ली के लेबोरेटरीज के लिए एम्स अस्पताल को मेंटर इंस्टीट्यूट बनाया गया है. आईसीएमआर ने कहा कि 16 अगस्त को उसने दिल्ली में 35 सरकारी और 99 निजी लेबोरेटरी को मान्यता दी है. ये लेबोरेटरी आरटी-पीसीआर, ट्रूनैट, सीबीएनएएटी और एम-नैट का टेस्ट कर सकते हैं.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा कि सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार के बड़े अधिकारी इन अवैध आनलाइन पैथोलॉजिकल लेबोरेटरीज के संचालने के लिए बराबर के जिम्मेदार हैं. ये लेबोरेटरीज खुलेआम अपना विज्ञापन जारी करते हैं. वे एसएमएस और ई-मेल के जरिये अपना प्रचार कर रहे हैं.

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पिछले 12 अगस्त को कोर्ट ने आईसीएमआर को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि आईसीएमआर ने जवाब दाखिल नहीं किया है. 12 नवंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका जयपुर के एक पैथोलॉजिस्ट रोहित जैन ने दायर की है.

याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा था कि 6 अगस्त 2020 को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और ICMR को निर्देश दिया था कि ऐसी ऑनलाइन लैब्स के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाए, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया. उन्होंने कहा था healthians और 1mg जैसे ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स दिल्ली में अवैध तरीके से काम कर रहे हैं. ये आम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. अगस्त 2020 में भी रोहित जैन ही याचिका दायर की थी.

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याचिका में कहा गया था कि इन लैब्स के संचालकों के क्वालिफिकेशन का वेरिफिकेशन भी नहीं किया गया है. ये आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए कोरोना का अनाधिकृत रूप से टेस्ट कर रहे हैं. ऐसा करना संविधान की धारा 21 के तहत जीने के अधिकार का उल्लंघन है.

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