नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को उस अर्जी पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय दे दिया है, जिसमें आम आदमी पार्टी (AAP) की मान्यता को रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. सितंबर 2021 में आयोजित गणेश चतुर्थी पूजा का आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार ने धूमधाम से आयोजन किया था. इसका सभी प्रमुख टेलीविजन चैनलों पर लाइव ब्रॉडकास्ट हुआ था. जिस पर याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि AAP ने धर्मनिरपेक्ष देश के संविधान की कथित अवहेलना कर गणेश चतुर्थी को बढ़ावा देने के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल किया है.
वहीं, मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए डेढ़ महीने (छह सप्ताह) का समय दिया है. हाईकोर्ट को सूचित किया गया कि निर्वाचन आयोग ने याचिका पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है, लेकिन दोनों सरकारों यानि केंद्र व राज्य सरकार ने अब तक अपने रूख से अदालत को अवगत नहीं कराया है. पीठ ने कहा कि 20 सितंबर 2021 को अदालत द्वारा दिए गए आदेश में खुलासा हुआ है कि प्रतिभागियों के वकीलों को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया गया था, लेकिन उन्होंने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है.
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AAP की मान्यता रद्द करने की मांगः अब प्रतिवादी संख्या एक यानी केंद्र सरकार और प्रतिवादी संख्या दो यानी दिल्ली सरकार को छह सप्ताह का और समय जवाब दाखिल करने के लिए दिया जाता है. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह नोटिस केंद्र, दिल्ली सरकार और निर्वाचन आयोग को जारी किया रहा है. ना कि राज्य के मुख्यमंत्री या अन्य मंत्रियों को. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील एम एल शर्मा ने कहा कि वह आम आदमी पार्टी की मान्यता रद्द करने और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व अन्य मंत्रियों को संवैधानिक कार्यालयों से हटाने का निर्देश की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें संविधान और जनप्रतिनिधि कानून का जानबूझकर उल्लंघन किया है और उनको हटाया जाना जनहित में है.
याचिका का दिल्ली सरकार ने किया विरोधः इससे पहले याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि यह पूरी तरह से शरारत से प्रेरित याचिका है. जिसे जनहित याचिका का रंग दिया गया है और इसे भारी जुर्माने के साथ खारिज किया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार ने 10 सितंबर 2021 को गणेश चतुर्थी पूजा का आयोजन किया था, जिसका टेलीविजन चैनलों पर लाइव टेलीकास्ट किया गया. याचिका में दावा किया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा संवैधानिक सीमाओं के तहत राज्य किसी धार्मिक उत्सव को प्रोत्साहित नहीं कर सकता. याचिकाकर्ता ने कहा कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है और कोई भी सरकार सार्वजनिक धन का इस्तेमाल कर धार्मिक गतिविधियों में लिप्त नहीं दिखनी चाहिए.
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