नई दिल्ली: देशभर में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश शर्मा और सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह कानून के निर्माता नहीं हैं, यह उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है, ऐसे में कोर्ट इस पर कोई भी निर्देश नहीं देगा. दरअसल, याचिका भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की तरफ से दाखिल की गई थी, जिसमें यह मांग की गई थी कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को दोनों चुनाव एक साथ कराने की बात कही गई थी.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट चुनाव को लेकर के 1 नियम बनाए, लेकिन कोर्ट को अपनी लिमिटेशंस पता है. यह काम इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया का है और कोर्ट कानून का निर्माता नहीं है, हमें कानून को बनाए रखने की जिम्मेदारी है. कोर्ट ने कहा कि वह इस संबंध में कोई भी निर्देश जारी नहीं करेगा. साथ ही कोर्ट ने चुनावों को शनिवार और रविवार सरकारी अवकाश के दिन कराए जाने वाले निर्देश देने की मांग पर भी इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह से इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी है कि वह चुनाव का किस तरह संयोजन करते हैं.
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चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कोर्ट से बताया कि यह संसद को तय करना है कि वह किस तरह से नियमों में बदलाव करते हैं. हालांकि कोर्ट ने अंत में अश्विनी उपाध्याय की याचिका को भारत के चुनाव आयोग को एक प्रेजेंटेशन के तौर पर स्वीकार करने और उस पर विचार करने के लिए कहा है. बता दें कि अश्विनी उपाध्याय की याचिका में देशभर के विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव को एक साथ कराने तथा चुनावों को सरकारी अवकाश के दिन कराने की मांग की गई थी. हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है.
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