ETV Bharat / state

गर्भ में पल रहे 25 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की मिली अनुमति, दोनों किडनी नहीं विकसित

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एक महिला को 25 हफ्ते के भ्रूण के चिकित्सीय गर्भपात की इजाजत दे दी. भ्रूण में गंभीर असमान्यता होने के कारण उसके बचने की आशा नहीं है. कोर्ट ने अदालत ने एम्स की रिपोर्ट पर विचार के बाद 25 वर्षीय गर्भवती महिला की भ्रूण के गर्भपात संबंधी याचिका को मंजूरी दे दी.

delhi high court allowed medical abortion
अदालत ने गर्भपात की अनुमित
author img

By

Published : Jan 4, 2021, 7:45 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला की 25 हफ्ते की भ्रूण हटाने की अनुमति दे दी है. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने एम्स की मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर करते हुए ये आदेश जारी किया है. एम्स की मेडिकल बोर्ड ने हाईकोर्ट से कहा कि भ्रूण की दोनों किडनी विकसित नहीं हुई है और ऐसे में उसे बचाना संभव नहीं है. एम्स की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण को हटाने का आदेश दिया. 30 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने एम्स को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था.

भ्रूण की दोनों किडनी नहीं हो पाई विकसित

महिला की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा था कि वो 25 हफ्ते की गर्भवती है. उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण को बाइलैटरल एग्नेसिस एंड एनलाइरामनी नामक बीमारी है. इस बीमारी की वजह से भ्रूण की दोनों किडनी अभी तक विकसित नहीं हुई है. मुखर्जी ने कहा था कि उस भ्रूण को पूरे समय तक रखने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि भ्रूण के जन्म के बाद बच्चा बच नहीं पाएगा.

ये भी पढ़ें:-HC: 25 हफ्ते का भ्रूण हटाने की याचिका पर एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश

20 हफ्ते से ज्यादा का भ्रूण हटाने की अनुमति नहीं

बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट की धारा 3(2) के तहत 20 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने की अनुमति नहीं है। 12 से 20 हफ्ते के भ्रूण को तभी हटाया जा सकता है जब दो डॉक्टरों का पैनल इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि भ्रूण महिला के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला की 25 हफ्ते की भ्रूण हटाने की अनुमति दे दी है. जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने एम्स की मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर करते हुए ये आदेश जारी किया है. एम्स की मेडिकल बोर्ड ने हाईकोर्ट से कहा कि भ्रूण की दोनों किडनी विकसित नहीं हुई है और ऐसे में उसे बचाना संभव नहीं है. एम्स की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण को हटाने का आदेश दिया. 30 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने एम्स को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था.

भ्रूण की दोनों किडनी नहीं हो पाई विकसित

महिला की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा था कि वो 25 हफ्ते की गर्भवती है. उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण को बाइलैटरल एग्नेसिस एंड एनलाइरामनी नामक बीमारी है. इस बीमारी की वजह से भ्रूण की दोनों किडनी अभी तक विकसित नहीं हुई है. मुखर्जी ने कहा था कि उस भ्रूण को पूरे समय तक रखने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि भ्रूण के जन्म के बाद बच्चा बच नहीं पाएगा.

ये भी पढ़ें:-HC: 25 हफ्ते का भ्रूण हटाने की याचिका पर एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश

20 हफ्ते से ज्यादा का भ्रूण हटाने की अनुमति नहीं

बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट की धारा 3(2) के तहत 20 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने की अनुमति नहीं है। 12 से 20 हफ्ते के भ्रूण को तभी हटाया जा सकता है जब दो डॉक्टरों का पैनल इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि भ्रूण महिला के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.