नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र द्वारा दायर उस याचिका को लेकर नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया था कि किसी दोषी को कस्टडी पैरोल (छह घंटों से अधिक) दिए जाने के दौरान उसकी सुरक्षा में तैनात गार्ड के खर्च का वहन उस व्यक्ति को ही करना चाहिए. अतिरिक्त लोक अभियोजक अमित साहनी ने पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को पलट दिया गया था. इसमें कहा गया था कि हिरासत में पैरोल पाने वाले आरोपी को सभी खर्च वहन करने होंगे.
अतिरिक्त लोक अभियोजक ने कहा कि जिला न्यायालयों को 6 घंटे से अधिक की कस्टडी पैरोल के लिए पार्टी से ही गार्ड के सारे खर्च वसूलने चाहिए. उन्होंने कहा कि कस्टडी पैरोल असाधारण स्थितियों में दी जाती है. दिल्ली जेल नियम, 2018 के अनुसार एक कैदी के परिवार में जन्म, मृत्यु, विवाह या लाइलाज बीमारी में से कोई एक वजह पर ही कस्टडी पैरोल दी जा सकती है. चूंकि कस्टडी पैरोल का लाभ उठाने वाले दंपती व्यवसायी हैं और उन्हें दो सप्ताह के लिए अपने व्यक्तिगत कार्य के लिए इसे लिया है, ऐसे में उन्हें इसका खर्च वहन करना चाहिए.
रियल एस्टेट ग्रुप गौरसन्स के चेयरमैन बीएल गौड़ के बेटे राहुल गौड़ और उनकी पत्नी नवनीत गौड़ ने अपनी बेटी के वीजा की अवधि बढ़ाने, संभावित निवेशकों के साथ कारोबारी बैठक करने और मामले को निपटाने के लिए कस्टडी पैरोल की मांग को लेकर एक याचिका दायर की थी. इसमें उन्हें दो हफ्ते की कस्टडी पैरोल दी गई थी. न्यायमूर्ति भटनागर ने इस मुद्दे को व्यापक दृष्टिकोण से देखने पर सहमति जताई और दंपति को इस संबंध में नोटिस जारी किया. इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 19 अप्रैल रखी गई है.
(इनपुटः ANI)