नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने राजनेताओं के जरिए कोरोना की दवाइयों की जमाखोरी और उनका वितरण करने के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
राजनेताओं और मेडिकल माफिया के बीच गठजोड़ बना
याचिका में कहा गया है कि नेतागण दवाइयों की जमाखोरी करने की वजह से आम लोगों को इन दवाइयों से वंचित होना पड़ रहा है. याचिका ह्रदय फाउंडेशन की ओर से डॉक्टर दीपक सिंह ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील गौरव पाठक ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.
याचिका में कहा गया है कि कोरोना के इस गंभीर संकट में राजनेताओं और मेडिकल माफिया के बीच गठजोड़ बन गया है. याचिका में ऐसे नेताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार करने की मांग की है.
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किन-किन नेताओं का नाम है याचिका में
याचिका में जिन राजनेताओं का नाम लिया गया है उनमें दिल्ली से बीजेपी के सांसद गौतम गंभीर, बीजेपी गुजरात के अध्यक्ष, बीजेपी के दक्षिणी महाराष्ट्र से विधायक शिरीष चौधरी, एनसीपी के शरद पवार और रोहित पवार का नाम शामिल है. याचिका में कहा गया है कि गौतम गंभीर ने कोरोना की दवा फेबिफ्लू के मुफ्त वितरण की घोषणा की है.
बीजेपी गुजरात के अध्यक्ष ने रेमेडेसीवर के पांच हजार इंजेक्शन मुफ्त में देने की घोषणा की है. महाराष्ट्र के बीजेपी विधायक शिरीष चौधरी ने भी रेमेडेसीवर बांटने की घोषणा की है. शरद पवार और रोहित पवार ने रेमेडेसीवर के तीन सौ इंजेक्शन बांटे हैं.
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जीवन जीने के अधिकार का हनन
याचिका में मांग की गई है कि जो सांसद और विधायक कोरोना की दवाइयां बांट रहे हैं, उनकी सदस्यता खत्म की जाए. ये लोग बिना लाइसेंस के दवाओं की जमाखोरी कर रहे हैं. ये अपनी राजनीतिक ताकत का बेजा फायदा उठाकर दवाएं बेच रहे हैं. इन नेताओं की वजह से आम लोगों के जीवन जीने के अधिकार का हनन हो रहा है.