नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाली अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के आयोजन से ठीक पहले शामिल होने वाले छात्रों की मदद के लिए पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम और समय सारणी की घोषणा करने पर विचार करने को कहा है. दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि परीक्षा से पहले प्रत्येक वर्ष कैलेंडर के हिसाब से एक पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम या वार्षिक समय सारणी होने से उम्मीदवार छात्रों को आवश्यक व्यवस्था करने में बहुत मदद होगी.
हाईकोर्ट ने बीसीआई को कहा है कि वह प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में उन महीनों की घोषणा पर विचार करे जिसमें एआईबीई परीक्षा आयोजित होने की संभावना है, क्योंकि उस समय बहुत बड़ी संख्या में संभावित परीक्षार्थियों को परीक्षा देने के लिए शारीरिक रूप से उपस्थित होने के साथ अन्य कई प्रकार की जरूरी व्यवस्था भी करनी पड़ सकती है. हाई कोर्ट ने वकील निशांत खत्री द्वारा दायर एक याचिका का निस्तारण किया, जिन्होंने 19 नवंबर, 2019 को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में दाखिला लिया था, जिसमें कहा गया था कि एआईबीई परीक्षा नहीं होने के कारण उन्हें अदालतों में प्रैक्टिस करने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. इस मामले में कोर्ट के आदेश पर बीसीआई को एआईबी परीक्षा से ठीक पहले होने वाले पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम से सम्बंधित एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया.
बीसीआई की और से प्रस्तुत हुए वकील ने कहा कि इस प्री-सेट परीक्षा शेड्यूल की घोषणा करना फिलहाल मुश्किल हो सकता है, क्योंकि परीक्षा की तारीख तय होने से पहले देश भर के और अन्य हितधारकों से भी परामर्श करना होगा, यह कहते हुए कि अगली एआईबी परीक्षा इस साल सितंबर में संभावित रूप से निर्धारित है. परीक्षा में देरी के आलोक में, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता-वकील को उसके अनंतिम पंजीकरण पर भरोसा करने और अगले आदेश तक अदालतों में पेश होने से वंचित या अयोग्य घोषित नहीं किया जाएगा.