नई दिल्ली: दिल्ली में ऊर्जा संरक्षण को लेकर सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. दिल्ली की केजरीवाल सरकार इमारतों, कार्यालयों और स्ट्रीटलाइट्स का 'एनर्जी ऑडिट' कराएगी. एनर्जी ऑडिट का मुख्य उद्देश्य बिजली का अधिक खपत वाले स्थानों का पता लगाना और वहां स्मार्ट तरीकों से बिजली की खपत को कम करने की रणनीति तैयार करना है. सरकार उन सभी सरकारी भवनों का एनर्जी ऑडिट करवाएगी जहां बिजली की खपत 500 किलोवॉट से ज्यादा है.
बिजली की खपत को मॉनिटर करने का उद्देश्यः पूरे दिल्ली में सरकारी भवनों और स्ट्रीटलाइट्स के एनर्जी ऑडिट के बारे में बताते हुए ऊर्जा मंत्री आतिशी ने कहा कि एनर्जी ऑडिट की प्रक्रिया में इमारतों के भीतर विभिन्न उपकरणों और उपकरणों की वास्तविक ऊर्जा खपत को मापना, उसका आवश्यक अनुमानित न्यूनतम ऊर्जा के साथ तुलना करना और फिर बिजली की बचत के लिए आर्थिक और तकनीकी रूप से व्यावहारिक तरीकों की पहचान करना शामिल है.
उन्होंने कहा कि एनर्जी ऑडिट से बिजली उपयोग को अनुकूलित करने के लिए भी सुझाव मिलेगा, जिसके परिणामस्वरूप बिजली और पैसे दोनों की बचत होगी. बिजली मंत्री ने कहा कि यदि कोई उपभोक्ता एक यूनिट बिजली की बचत करता है तो वो बिजली संयंत्र में उत्पादित 2 यूनिट के बराबर होता है. इस ऑडिट से प्राप्त ऊर्जा-बचत उपायों से दिल्ली की समग्र बिजली मांग को स्थिर करने में मदद मिलेगी.
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एनर्जी ऑडिटर से होगा ऑडिटः बिजली मंत्री आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार के बिजली विभाग ने मिशन@2023 के तहत सरकारी भवनों के 'ऊर्जा ऑडिट' को प्राथमिकता दी है. हम इस दिशा में मिशन मोड में काम कर रहे हैं. एनर्जी ऑडिट, ऊर्जा संरक्षण और दक्षता के जरिए उन गैर-जरूरी स्थानों की पहचान कर जहां बिजली का अत्यधिक उपयोग हो रहा है, वहां बिजली के बचत के प्रभावी उपायों को लागू करना. यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम है. सरकार 500 किलोवाट और उससे अधिक स्वीकृत लोड वाले सभी सरकारी भवनों का ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा प्रमाणित एनर्जी ऑडिटर से ऑडिट करवायेगी.
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