नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में डेंगू का खतरा बढ गया है. पिछले साल जहां डेंगू के केस 185 थे, वहीं इस साल ये संख्या बढ़कर 2701 हो गई है. बारिश के पानी में पनपते डेंगू के मच्छर लगातार बीमारियां फैला रहे हैं. दिल्ली नगर निगम डेंगू से निपटने के लिए इलाकों में फॉगिंग कर रही है. नालियों में एंटी लार्वा का छिड़काव कर रही है ताकि समय से डेंगू के डंक पर काबू पाया जा सके. बावजूद दिल्ली में बीते साल की तुलना में इस साल डेंगू के मामले कई गुणा बढ़े गए हैं. दिल्ली में डेंगू के इलाज के लिए दूसरे राज्यो से भी मरीज पहुंच रहे हैं.
एमसीडी के एक अधिकारी ने बताया कि "इस साल डेंगू के मामले बीते साल की तुलना में कई गुना बढ़े हैं. इसका मुख्य कारण घरों के आसपास पानी का इकट्ठा होना है. एमसीडी ने एक रिपोर्ट में यह बताया है कि डेंगू का 40% मामलों में बढ़ोतरी घरों में फ्रेश वाटर स्टोरेज होने की वजह से बढ़ रही है. वहीं डेंगू के मामले बढ़ने का दूसरा बड़ा कारण है घरों में लगा कूलर. लोग कूलर की नियमित साफ-सफाई नहीं करते हैं. कूलर के ठहरे हुए पानी में डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर पनपने का खतरा बढ़ जाता है. तीसरी बड़ी वजह गमलों में लगे पैधें हैं. बारिश का पानी गमलों में जमा हो जाता है जिसमें डेंगू के मच्छरों के लारवा पनपते हैं."
एमसीडी अफसरों का कहना है कि 23 सितंबर को दिल्ली के अलग-अगल 197 पुलिस स्टेशन और मालखानों में डेंगू और मलेरिया के मच्छरों की ब्रीडिंग की जांच की गई. इस दौरान 83 पुलिस स्टेशनों में ब्रीडिंग पाई गई. इसके लिए एमसीडी ने 64 पुलिस थानों के अफसरों को लीगल नोटिस भी जारी किया है.
एमसीडी अफसरों के अनुसार दिल्ली में डेंगू के केस कम हैं, लेकिन दूसरे राज्यों से दिल्ली में इलाज कराने आए मरीजों ने संख्या में इजाफा कर दिया है. 5713 मामलों में से 52-53 प्रतिशत डेंगू केस बाहरी राज्यों के हैं. अफसरों ने बताया कि दूसरे राज्यों से आने वाले कई मरीज अपने दिल्ली के किसी रिश्तेदार का पता अस्पतालों में लिखवा देते हैं. इसकी वजह से भी दिल्ली में डेंगू के मामलों की संख्या ज्यादा दर्ज हो जाती है.
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