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जहां झुग्गी-वहीं मकान से पलटी सरकार, कांग्रेस ने लगाया दिल्ली और केंद्र सरकार पर आरोप

दिल्ली सरकार जहां झुग्गी-वहीं मकान योजना से पलट गई है. अब वो झुग्गी की जगह पर मकान नहीं देगी. इसको लेकर आज दिल्ली कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस योजना पर रोक लगाने के लिए दिल्ली और केंद्र सरकार पर सांठगांठ का आरोप लगाया.

जहां झुग्गी वहीं मकान से पलटी सरकार
जहां झुग्गी वहीं मकान से पलटी सरकार
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Published : Sep 16, 2021, 5:28 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना जहां झुग्गी, वहीं मकान पर ब्रेक लग गया है. दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है इस योजना के अंतर्गत दिल्ली में जो मकान बनाए जा रहे थे. उन मकानों को केंद्र सरकार ने अपनी योजना 'अफॉर्डेबल रेंटल हाउस स्कीम' के तहत दिए जाने को कहा है. इसीलिए अब लोगों को जहां झुग्गी वहीं मकान नहीं दिए जाएंगे.


इसको लेकर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार पर सांठगांठ का आरोप लगाया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस नेता हरि शंकर ने कहा साल 2013 में कांग्रेस की ओर से झुग्गियों के लिए पक्के मकान की जो योजना लाई गई थी.

उसी को लेकर दिल्ली में मकान बनाए जा रहे थे. करीब 47,000 घर बन चुके हैं. लेकिन इन मकानों को आवंटित करने की जगह केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार इसमें सांठगांठ कर रही है.

जहां झुग्गी वहीं मकान से पलटी दिल्ली सरकार

ये भी पढ़ें- 'जहां झुग्गी, वहीं मकान' योजना से पलटी दिल्ली सरकार, केंद्र को बताया जिम्मेदार




कांग्रेस नेता हरिशंकर ने कहा दिल्ली के 20 लाख लोगों के लिए कांग्रेस साल 2013 में योजना लेकर आई थी जिसके अंतर्गत तीन प्रोजेक्ट चलाए गए थे और इसमें कई मकान बन कर तैयार भी हो चुके हैं, लेकिन जब आवंटित करने की बात आई तो दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार आपस में ही अपने अपने स्वार्थों को साधने में लगी हुई है.

हरिशंकर ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अपने बजट में 5300 करोड़ रुपये जहां झुग्गी वहीं मकान के लिए आवंटित किए थे, लेकिन ऑफिस का कोई हिसाब नहीं है.

ये भी पढ़ें- DDA ने भी झुग्गी पुनर्वास के लिए शुरू किया सर्वे, लोग बोले-जहां झुग्गी वहीं मकान



कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार की डबल रेंटल हाउसिंग स्कीम जिसे दिल्ली सरकार के सामने पेश किया गया जो मीटिंग हुई थी, उसमें दिल्ली सरकार के मंत्री भी शामिल थे, लेकिन अब दिल्ली सरकार के मंत्री केंद्र सरकार पर उसका आरोप लगा रहे हैं और लोगों को जांच होगी.

वहीं मकान देने से इंकार कर रहे हैं यानी कि दोनों सरकारों की मिलीभगत है जिसका खामियाजा दिल्लीवासियों को भुगतना पड़ेगा. साथियों ने कहा कि इस स्कीम के अंतर्गत 3500 रुपये महीने किराए पर लोगों को घर दिए जाएंगे यानी कि सालाना 42 हजारा रुपये सालाना गरीब लोग कहां से लाएंगे.

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना जहां झुग्गी, वहीं मकान पर ब्रेक लग गया है. दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है इस योजना के अंतर्गत दिल्ली में जो मकान बनाए जा रहे थे. उन मकानों को केंद्र सरकार ने अपनी योजना 'अफॉर्डेबल रेंटल हाउस स्कीम' के तहत दिए जाने को कहा है. इसीलिए अब लोगों को जहां झुग्गी वहीं मकान नहीं दिए जाएंगे.


इसको लेकर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार पर सांठगांठ का आरोप लगाया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस नेता हरि शंकर ने कहा साल 2013 में कांग्रेस की ओर से झुग्गियों के लिए पक्के मकान की जो योजना लाई गई थी.

उसी को लेकर दिल्ली में मकान बनाए जा रहे थे. करीब 47,000 घर बन चुके हैं. लेकिन इन मकानों को आवंटित करने की जगह केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार इसमें सांठगांठ कर रही है.

जहां झुग्गी वहीं मकान से पलटी दिल्ली सरकार

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कांग्रेस नेता हरिशंकर ने कहा दिल्ली के 20 लाख लोगों के लिए कांग्रेस साल 2013 में योजना लेकर आई थी जिसके अंतर्गत तीन प्रोजेक्ट चलाए गए थे और इसमें कई मकान बन कर तैयार भी हो चुके हैं, लेकिन जब आवंटित करने की बात आई तो दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार आपस में ही अपने अपने स्वार्थों को साधने में लगी हुई है.

हरिशंकर ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अपने बजट में 5300 करोड़ रुपये जहां झुग्गी वहीं मकान के लिए आवंटित किए थे, लेकिन ऑफिस का कोई हिसाब नहीं है.

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कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार की डबल रेंटल हाउसिंग स्कीम जिसे दिल्ली सरकार के सामने पेश किया गया जो मीटिंग हुई थी, उसमें दिल्ली सरकार के मंत्री भी शामिल थे, लेकिन अब दिल्ली सरकार के मंत्री केंद्र सरकार पर उसका आरोप लगा रहे हैं और लोगों को जांच होगी.

वहीं मकान देने से इंकार कर रहे हैं यानी कि दोनों सरकारों की मिलीभगत है जिसका खामियाजा दिल्लीवासियों को भुगतना पड़ेगा. साथियों ने कहा कि इस स्कीम के अंतर्गत 3500 रुपये महीने किराए पर लोगों को घर दिए जाएंगे यानी कि सालाना 42 हजारा रुपये सालाना गरीब लोग कहां से लाएंगे.

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