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दिल्ली में शराब की पुरानी नीति लागू होने से 50% बढ़ी आमदनी

आरटीआई से खुलासा हुआ है कि दिल्ली सरकार को नई आबकारी नीति (New Liquor Policy In Delhi) से अधिक पुरानी नीति (Old Liquor Policy In Delhi) के तहत शराब बेचने में फायदा हो रही है. अब इसको लेकर विपक्ष सीएजी से वित्तीय नुकसान की जांच कराने की मांग की है. दिल्ली में सितंबर में पुरानी शराब नीति को दोबारा से लागू किया गया था और सितंबर के एक महीने में ही आबकारी मद से दिल्ली के खजाने में 768 करोड़ रुपये आए.

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बढ़ गई है सरकार आमदनी
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Published : Nov 1, 2022, 7:24 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार की तरफ से गत वर्ष लागू नई आबकारी नीति (New Liquor Policy In Delhi) से अधिक पुरानी नीति के तहत शराब बेचने में सरकार को फायदा हो रहा है. जबकि आम आदमी पार्टी सरकार ने आमदनी अधिक होने के चलते गत वर्ष नवंबर में पुरानी आबकारी नीति (Old Liquor Policy In Delhi) की जगह शराब बेचने के लिए नई नीति के तहत दिल्ली में शराब की बिक्री (Sale of Liquor in Delhi) निजी हाथों में सौंप दिया था. आरटीआई से मिली जानकारी के बाद विपक्ष अब सीएजी (कैग) से वित्तीय नुकसान की जांच कराने की मांग की है.

विपक्ष में बैठी बीजेपी ने इसका विरोध किया और इस नीति में घोटाले की शिकायत उपराज्यपाल से की, तब सरकार ने नई आबकारी नीति को रद्द कर पहले की तरह बीते सितंबर से शराब की बिक्री शुरू कर दी. 228 दिनों तक दिल्ली में लागू नई आबकारी नीति से राजस्व को नुकसान (Loss of revenue due to new excise policy) के साथ ही इसमें भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई तथा ईडी कर रही है. इसी आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 14 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने भी मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है.

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दिल्ली में शराब को लेकर शोर क्यों

एक आरटीआई के जवाब में दिल्ली सरकार ने बताया है कि नई आबकारी नीति से दिल्ली सरकार के खजाने को करीब दो हजार करोड़ का नुकसान हुआ. दिल्ली में नई शराब नीति 17 नवंबर 2021 को लागू हुई और 21 अगस्त 2022 को इसे वापस ले लिया गया. इन 228 दिनों में दिल्ली सरकार को 3990 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ. अगर औसत निकाली जाए तो प्रतिदिन 17.5 करोड़ रुपये का राजस्व दिल्ली सरकार को प्राप्त हुआ.

वहीं, सितंबर में पुरानी शराब नीति को दोबारा से लागू कर दिया गया और सितंबर के एक महीने में ही आबकारी मद से दिल्ली के खजाने में 768 करोड़ रुपये आए. अगर औसत निकाली जाए तो प्रतिदिन 25.6 करोड़ रुपए राजस्व की की प्राप्ति हुई. यानी नई शराब नीति की तुलना में रोजाना 8.1 करोड़ रुपये ज्यादा हासिल हुए. जबकि पुरानी नीति के तहत सितंबर महीने में शराब की सरकारी दुकानें बहुत कम खुल पाई थीं और जो दुकानें खुली भी थीं, उनके पास स्टॉक बहुत कम था, अक्टूबर में यह राजस्व और भी बढ़ने की संभावना है.

ये भी पढ़ें : दिल्ली शराब घोटाले पर सीबीआई रेड के बाद ईडी की रेड, जानिए पूरा मामला

इस पर दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी का कहना है कि नई शराब नीति लागू होने के बाद शराब की जितनी बिक्री बढ़ी, राजस्व उतना ही कम हो गया जबकि पुरानी शराब नीति में बिक्री बढ़ने के साथ सरकार को आमदनी भी बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि उक्त आंकड़ों से यह साबित हो गया है कि दिल्ली की नई आबकारी नीति किसी भी सूरत में सरकारी खजाने के लिए ठीक नहीं थी. इस नीति के कारण दिल्ली को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ. क्या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बताएंगे कि इस नुकसान के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा और इसकी भरपाई कौन करेगा?

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दिल्ली में शराब को लेकर शोर क्यों

ये भी पढ़ें : Explainer: दिल्ली में शराब को लेकर शोर क्यों? क्या है पूरा मामला और क्या है इसका भविष्य?


नेता विपक्ष का कहना है कि इसका मतलब साफ है कि केजरीवाल सरकार ने नई नीति लागू करके दिल्ली के खजाने को करोड़ों रुपए की चोट पहुंचाई है. शराब घोटाले में हजारों करोड़ रुपए की कमीशन और दलाली इस सारी रकम से अलग है जिसकी जांच सीबीआई कर रही है. बिधूड़ी ने मांग की है कि दिल्ली सरकार के खजाने को नई शराब नीति लागू करने के बाद कुल कितना राजस्व कम आया, इसकी पड़ताल सीएजी से कराई जाए और इसके लिए जिम्मेदारी तय करके उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाए.

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार की तरफ से गत वर्ष लागू नई आबकारी नीति (New Liquor Policy In Delhi) से अधिक पुरानी नीति के तहत शराब बेचने में सरकार को फायदा हो रहा है. जबकि आम आदमी पार्टी सरकार ने आमदनी अधिक होने के चलते गत वर्ष नवंबर में पुरानी आबकारी नीति (Old Liquor Policy In Delhi) की जगह शराब बेचने के लिए नई नीति के तहत दिल्ली में शराब की बिक्री (Sale of Liquor in Delhi) निजी हाथों में सौंप दिया था. आरटीआई से मिली जानकारी के बाद विपक्ष अब सीएजी (कैग) से वित्तीय नुकसान की जांच कराने की मांग की है.

विपक्ष में बैठी बीजेपी ने इसका विरोध किया और इस नीति में घोटाले की शिकायत उपराज्यपाल से की, तब सरकार ने नई आबकारी नीति को रद्द कर पहले की तरह बीते सितंबर से शराब की बिक्री शुरू कर दी. 228 दिनों तक दिल्ली में लागू नई आबकारी नीति से राजस्व को नुकसान (Loss of revenue due to new excise policy) के साथ ही इसमें भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई तथा ईडी कर रही है. इसी आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 14 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने भी मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है.

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दिल्ली में शराब को लेकर शोर क्यों

एक आरटीआई के जवाब में दिल्ली सरकार ने बताया है कि नई आबकारी नीति से दिल्ली सरकार के खजाने को करीब दो हजार करोड़ का नुकसान हुआ. दिल्ली में नई शराब नीति 17 नवंबर 2021 को लागू हुई और 21 अगस्त 2022 को इसे वापस ले लिया गया. इन 228 दिनों में दिल्ली सरकार को 3990 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ. अगर औसत निकाली जाए तो प्रतिदिन 17.5 करोड़ रुपये का राजस्व दिल्ली सरकार को प्राप्त हुआ.

वहीं, सितंबर में पुरानी शराब नीति को दोबारा से लागू कर दिया गया और सितंबर के एक महीने में ही आबकारी मद से दिल्ली के खजाने में 768 करोड़ रुपये आए. अगर औसत निकाली जाए तो प्रतिदिन 25.6 करोड़ रुपए राजस्व की की प्राप्ति हुई. यानी नई शराब नीति की तुलना में रोजाना 8.1 करोड़ रुपये ज्यादा हासिल हुए. जबकि पुरानी नीति के तहत सितंबर महीने में शराब की सरकारी दुकानें बहुत कम खुल पाई थीं और जो दुकानें खुली भी थीं, उनके पास स्टॉक बहुत कम था, अक्टूबर में यह राजस्व और भी बढ़ने की संभावना है.

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इस पर दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी का कहना है कि नई शराब नीति लागू होने के बाद शराब की जितनी बिक्री बढ़ी, राजस्व उतना ही कम हो गया जबकि पुरानी शराब नीति में बिक्री बढ़ने के साथ सरकार को आमदनी भी बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि उक्त आंकड़ों से यह साबित हो गया है कि दिल्ली की नई आबकारी नीति किसी भी सूरत में सरकारी खजाने के लिए ठीक नहीं थी. इस नीति के कारण दिल्ली को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ. क्या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बताएंगे कि इस नुकसान के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा और इसकी भरपाई कौन करेगा?

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दिल्ली में शराब को लेकर शोर क्यों

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नेता विपक्ष का कहना है कि इसका मतलब साफ है कि केजरीवाल सरकार ने नई नीति लागू करके दिल्ली के खजाने को करोड़ों रुपए की चोट पहुंचाई है. शराब घोटाले में हजारों करोड़ रुपए की कमीशन और दलाली इस सारी रकम से अलग है जिसकी जांच सीबीआई कर रही है. बिधूड़ी ने मांग की है कि दिल्ली सरकार के खजाने को नई शराब नीति लागू करने के बाद कुल कितना राजस्व कम आया, इसकी पड़ताल सीएजी से कराई जाए और इसके लिए जिम्मेदारी तय करके उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाए.

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