नई दिल्ली: लगातार तीसरी बार सत्ता में आई केजरीवाल सरकार नए वित्त वर्ष के लिए बजट तैयार करने में जुटी हुई है. करीब 10 दिन बाद विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है. केजरीवाल सरकार की कोशिश इस बार भी लोकलुभावन घोषणाओं के जरिए अपना हित साधने की होगी.
बजट की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं. अगले सप्ताह दिल्ली सरकार की ओर से तैयार बजट का प्रारूप केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही बजट विधानसभा में पेश किया जाएगा.
बिजली, पानी पर सब्सिडी रहेगी जारी
दिल्ली सरकार के नए बजट प्रारूप में सरकार ने योजना विभाग और वित्त विभाग के अधिकारियों को पिछली कार्यकाल की तरह बिजली और पानी के बिल में दी जाने वाली सब्सिडी जारी रखने के आदेश दिए हैं. साथ ही डीटीसी की बसों में महिलाओं की मुफ्त सवारी के फैसले को भी लागू किया जाएगा. इसी आधार पर बजट तैयार करने के निर्देश दिए हैं. सभी मंत्रियों के स्तर पर समीक्षा बैठकें हो रही हैं. जिसमें विभागों से उनके कार्यों के बारे में जानकारी ली जा रही है.
शिक्षा और स्वास्थ्य पर होगा अधिक जोर
इस बार भी दिल्ली सरकार दिल्ली वालों के लिए बेहतर बजट पेश करेगी. वित्त विभाग संभालने वाले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अपने बजट में पिछले सालों की तरह शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में स्थिति सुधारने के लिए अधिक ध्यान देंगे.
चालू वित्त वर्ष की तरह ही नए वित्त वर्ष में भी शिक्षा क्षेत्र में सर्वाधिक यानि 25 से 26 फीसद से अधिक बजट का हिस्सा खर्च करने का प्रावधान हो सकता है. ऐसे संकेत है कि आप सरकार दिल्ली की जनता पर कोई नया कर ठोकने के मूड में नहीं है और जीएसटी से जो सरकार को बंपर आमदनी हुई है. उससे नई योजनाओं का सरकार ऐलान कर सकती है.
दिल्ली सरकार चालू वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में योजना मद में 50% फंड विकास कार्यों पर खर्च करेगी. नए वित्त वर्ष में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत बनाने और डीटीसी की बेड़े में 3,000 नई बसें शामिल करना, सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर हो सकता है. ताकि प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर सरकार के उपायों को लेकर विपक्ष कोई सवाल ना उठा सके. इसके लिए भी बजट में प्रावधान करने के निर्देश दिए गए हैं.
बता दें कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है. संघ शासित प्रदेश होने से दिल्ली का अपना कोई पब्लिक अकाउंट नहीं है. सरकार जो भी खर्च करना चाहती है या प्रस्ताव है, उसके बारे में पहले उपराज्यपाल और केंद्र सरकार से इजाजत लेनी होती है. इसीलिए परंपरा रही है कि बजट प्रस्तुत करने से पहले दिल्ली सरकार बजट का प्रारूप केंद्र सरकार को भेजती है.