नई दिल्ली: कोरोना महामारी का प्रकोप हर तरफ छाया है. कहीं लोग अपनी जान गंवा रहे हैं तो कोई अपना रोजगार. आलम यह है कि कई घरों में तो चूल्हा भी नहीं जल रहा है. इस आपदा में घरों में मदद पहुंचा रहे हैं सरकारी स्कूल के शिक्षक. शुरुआत एक से हुई और पूरा समुदाय इसे धीरे-धीरे अपना रहा है. बता दें कि बच्चों को जीने की शिक्षा देने वाली शिक्षक अब अपनी निजी जिंदगी में भी अपना बड़प्पन दिखा रहे हैं दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों ने जरूरतमंद लोगों के घर खाना पहुंचाने की पहल शुरू की है.
जरूरतमंदों की मदद को आगे आए सरकारी स्कूल के शिक्षक
जहां महामारी से लड़ता हुआ इंसान बिलख रहा है, वहीं एक दूसरे की मदद के लिए भी हाथ आगे आ रहे हैं. इसी कड़ी में दिल्ली के सरकारी स्कूल के शिक्षक आलोक कुमार मिश्रा ने कोविड से संक्रमित परिवारों की मदद के लिए भोजन मुहैया कराने की पहल की है. उन्होंने कहा कि हमारे आसपास कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें इस आपदा में हमारी मदद की जरूरत है. किसी ने अपने परिजनों को खो दिया है. किसी ने अपना रोजगार खो दिया है. कोई आइसोलेट हुआ है तो कहीं पूरा का पूरा परिवार ही महामारी से संक्रमित है जिन्हें मदद की जरूरत है. इसी को समझते हुए उन्होंने लोगों की मदद करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया, जिस पर उन्हें कई प्रतिक्रिया भी मिली और जहां जिस ने मांग की वहां उन्होंने राशन की मदद मुहैया कराई.
महामारी में अपनों को खोने के दर्द को दूसरों की मदद कर भुलाया
लोगों की मदद में अपने गम को भुलाने का जज्बा दिखाया है दिल्ली के सरकारी स्कूल की शिक्षिका नीता बत्रा ने. नीता बताती है कि उनके कई अपने भी इस संक्रमण का शिकार हो चुके और अपनी जान गंवा बैठे हैं. अपने ही सामने अपनों को खो देने का क्या दर्द होता है नीता अच्छे से समझती हैं और शायद यही वजह है कि वह तनावग्रस्त हो गई थी. ऐसे में अपने शिक्षक साथियों को समाज की मदद के लिए काम करते देख उन्हें भी प्रोत्साहन मिला. वह बताती हैं कि उन्होंने भी अपनी क्षमता के अनुसार, आसपास के जरूरतमंद लोगों को राशन की सहायता देनी शुरू की. नीता कहती हैं कि समाज की मदद करने से उन्हें अपने तनाव से बाहर निकलने में बहुत मदद मिली. इसके साथ यह सरकारी स्कूल के शिक्षक सभी से अपील कर रहे हैं कि जिससे जहां भी बंद पड़े अपनी क्षमता अनुसार जरूरतमंदों की मदद जरूर करें.