नई दिल्ली: दिल्ली में लंबे अंतराल के बाद शनिवार को दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) की अहम बैठक हुई. उपराज्यपाल कार्यालय में आयोजित बैठक की अध्यक्षता डीडीएमए के चेयरमैन और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने की. इसमें इन्फ्लूएंजा H3N2 और H1N1 और कोरोना की मौजूदा स्थिति पर चर्चा हुई. कोविड और फ्लू के बढ़ते मामलों की देखते हुए इस संबंध में भी निर्णय लिया गया कि अभी मास्क की अनिवार्यता को लागू नहीं किया जाएगा, लेकिन शारीरिक दूरी, हाथों की स्वच्छता, अस्पतालों की तैयारी आदि जैसे प्रोटोकॉल का हर संभव पालन करने के निर्देश दिए गए. बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मंत्री कैलाश गहलोत समेत सभी विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
आपदा से निपटने के पुख्ता प्लानः आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में पिछले दिनों तुर्की, सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप के मद्देनजर दिल्ली की स्थिति को देखते हुए यहां की तैयारियों का आकलन किया गया. भूकंप के मद्देनजर दिल्ली उच्चतम जोखिम वाले श्रेणी में चौथे नंबर पर है, इसलिए इस बात पर जोर दिया गया की आपदा के दौरान संभावित स्थिति का सामना करने के लिए सभी एजेंसियों को अलर्ट मोड में रहना चाहिए.
उपराज्यपाल ने गुजरात के भूकंप के अपने अनुभव को याद करते हुए दिल्ली को किसी भी आपदा से निपटने के लिए पूरी तैयारी से रहने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि इसकी तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए. उन्होंने इसकी एक रूपरेखा भी तैयार की और इस पर समयबद्ध तरीके से काम शुरू करने के आदेश दिए.
राज्य आपदा राहत बल का गठनः DDMA ने प्रत्येक राज्यों को अपना राज्य आपदा राहत बल के गठन के निर्देश दिए थे, दिल्ली में अभी प्रभावी रूप से ऐसा करना बाकी है. बैठक में दिल्ली राज्य आपदा राहत बल गठित करने का भी निर्णय लिया गया है. दिल्ली में आपदा राहत स्वयंसेवकों के नामांकन और ट्रेनिंग के लिए आपदा मित्र योजना शुरू की गई है. बताया गया कि अब तक 18 सौ स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित और नामांकित किया जा चुका है.
DDMA ने स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ाने, उन्हें प्रशिक्षित करने और आपदा के दौरान किसी भी सहायता की आवश्यकता वाले लोगों की पहुंच के लिए सभी स्तरों पर डीडीएमए की वेबसाइट पर उनके बारे में जानकारी आसानी से उपलब्ध कराने पर सहमति व्यक्त की.
- एहतियात के तौर पर भूकंप रोधी बिल्डिंग कोड के अनुसार दिल्ली के विशेष क्षेत्र और पुरानी दिल्ली के इलाके में सभी स्कूलों, अस्पतालों, पुलिस स्टेशन और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों और कमजोर इमारतों के रिट्रोफिटिंग के काम को शुरू करने को कहा गया है.
- भूकंप की स्थिति में बचाव कार्यों के लिए दिल्ली में खुली जगहों की पहचान
- आपातकालीन स्थिति में प्रत्येक जिला और अनुमंडल के स्तर पर अस्पतालों की पहचान करना
- आपात स्थिति में एंबुलेंस, फायर टेंडर और बचाव दलों के लिए पहुंच सुनिश्चित करने के लिए संकरी गलियों को चौड़ा करने
- रेलवे, टेलीफोन नेटवर्क के साथ संपर्क स्थापित करना है ताकि अन्य साधनों के बंद होने की स्थिति में संचार सुनिश्चित किया जा सके.
समय-समय पर रिपोर्ट की समीक्षा करने पर जोरः बैठक के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी ओर से समय-समय पर गठित विभिन्न समितियों की सभी रिपोर्टों, सिफारिशों को संकलित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. मुख्यमंत्री ने आपदाओं के दौरान और उसके बाद के प्रभावों के संबंध में दिल्ली सचिवालय और पुलिस जैसे सरकारी कार्यालयों को भी आमलोगों के लिए इस्तेमाल लायक बनाने की आवश्यकताओं को भी जरूरी बताया. मुख्यालयों को रिट्रोफिटिंग के माध्यम से भूकंप प्रतिरोधी बनाने की बात कही.
केजरीवाल ने कहा कि एक बार सभी रिपोर्टों को संकलित करने और उन पर की गई कार्रवाई के साथ भविष्य की कार्रवाई के बारे में फैसला लिया जा सकता है. इसके बाद बैठक में इस बात पर सहमति हुई कि मंडलायुक्त जो डीडीएमए के नोडल अधिकारी और संयोजक भी हैं, इस कवायद को शुरू करेंगे और इसे जल्द से जल्द होने वाली अगली बैठक में डीडीएमए के आगे पेश करेंगे.