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निर्भया केस: फांसी पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित - पटियाला हाउस कोर्ट

पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप के दो दोषियों की 3 मार्च को फांसी देने के आदेश पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

Nirbhaya gang rape hearing
निर्भया गैंगरेप सुनवाई
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Published : Mar 2, 2020, 3:43 PM IST

नई दिल्ली: पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप के दो दोषियों की 3 मार्च को फांसी देने के आदेश पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. दरअसल आज सुबह की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फांसी देने पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका खारिज करने का आदेश दिया था. तब वकील एपी सिंह ने कोर्ट को बताया कि पवन ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर की है. तब कोर्ट ने कहा कि तथ्यों पर हम दो बजे सुनवाई करेंगे.


राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने का हवाला दिया


दो बजे जब सुनवाई शुरू हुई तो पवन गुप्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की है. एपी सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस काटजू ने उन्हें मेल पर जवाब दिया है कि वो दोषियों की फांसी की सजा को माफ कराने के लिए राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे. कोर्ट ने पूछा क्या ऐसा कोई नियम है कि क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद दया याचिका दाखिल की जाए.


आज ही सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की क्युरेटिव याचिका खारिज की थी


दरअसल आज ही सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की क्युरेटिव याचिका खारिज कर दी. जिसके तुरंत बाद पवन गुप्ता की ओर से राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर की गई. कोर्ट ने एपी सिंह से पूछा कि कोर्ट पिक्चर में तभी आता है. जब राष्ट्रपति दया याचिका खारिज करते हैं. इस समय कोर्ट आपको क्यों राहत दे. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने आपको 7 दिनों का समय दिया था, लेकिन आपने उसमें याचिका दाखिल नहीं की. आपने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को अनदेखा किया.


कोर्ट ने कहा कि सात दिनों का वक्त दिल्ली हाईकोर्ट का बीत चुका है. इस परिस्थिति में केवल सरकार दखल दे सकती है. कोर्ट कैसे दखल दे सकता है. कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर मुझे टमाटर खरीदने के लिए मेडिकल शॉप पर जाता हूं, तो क्या मेडिकल की दुकान वाला देगा, नहीं ना. कोर्ट ने कहा कि ठीक इसी तरफ आपकी याचिका प्रसाशनिक तौर पर डील की जाएगी ना कि कोर्ट के स्तर पर. कोर्ट ने एपी सिंह को कहा कि आपने पहले क्यों नहीं सोचा कि आप कहां जाएंगे क्योंकि आप आखिरी क्षण में सब दाखिल करते हैं.

कोर्ट दखल नहीं दे सकता है


निर्भया के माता पिता के वकील जीतेंद्र झा ने कहा कि अगर दोषी ने अगर आज दोपहर 12 बजे के बाद अर्जी दाखिल की है तो केवल सरकार के पास ये अधिकार है कि उन्हें फांसी पर लटकाया जाए या नहीं. झा ने कहा कि दोषी पवन की अर्जी खारिज होनी चाहिए. सरकारी वकील ने कहा कि पवन की याचिका प्री-मैच्योर है. इसलिए खारिज होनी चाहिए. सरकारी वकील ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.


सुबह भी हुई थी सुनवाई
पटियाला हाउस कोर्ट में आज सुबह हुई सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल की ओर से कहा गया कि अक्षय ने 31 जनवरी को दया याचिका दाखिल दायर की थी. उसके अगले दिन उसने सचिवालय को पत्र लिखकर कहा कि कुछ दस्तावेज नहीं दिए गए हैं. उन्हें दाखिल करने की अनुमति दी जाए. जेल प्रशासन ने सभी दस्तावेज दे दिए थे. हमने सभी दस्तावेज उन्हें 3 फरवरी को दे दिए थे. राष्ट्रपति ने सभी मसलों पर विचार कर 5 फरवरी को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी. इसलिए ये कहना गलत है कि दस्तावेजों पूरे नहीं थे. वो दूसरी दया याचिका दाखिल नहीं कर सकता है. सरकारी वकील ने कहा कि हमें दूसरी दया याचिका दाखिल करने की सूचना भी नहीं दी गई.

कंप्लीट नहीं थे दस्तावेज

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वकील एपी सिंह से पूछा कि आपको दया याचिका खारिज होने की सूचना कब मिली. तब एपी सिंह ने कहा कि 5 फरवरी को. तब कोर्ट ने पूछा कि आपने कंप्लीट दया याचिका कब दायर की है. तब सरकारी वकील ने कहा कि वो तो पहले ही कंप्लीट थी. उन्होंने कहा कि पवन की रिव्यू याचिका 9 जुलाई 2018 को खारिज कर दी गई थी. तब कोर्ट ने एपी सिंह से पूछा कि किस प्रावधान के तहत आप डेथ वारंट को रोकने की मांग कर रहे हैं. तब एपी सिंह ने कहा कि दिल्ली प्रिजन रुल्स 836 के तहत. तब सरकारी वकील ने कहा कि आप थोड़ी देर इंतजार कर लें तब तक सुप्रीम कोर्ट का क्युरेटिव पिटीशन पर फैसला आ जाएगा.


अक्षय और पवन ने दायर की है याचिका

याचिका अक्षय सिंह और पवन गुप्ता ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि अक्षय सिंह ने राष्ट्रपति के यहां नई दया याचिका दायर की है. याचिका पर सुनवाई के दौरान अक्षय सिंह के वकील एपी सिंह ने कहा कि उसकी पहले की दया याचिका में पूरे तथ्य नहीं थे.

3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश दिया था
पिछले 17 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी कर दिया था. एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश जारी किया था. पिछले 28 फरवरी को पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में क्युरेटिव याचिका दायर कर फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की थी. जिसे आज ही सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है.

नई दिल्ली: पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप के दो दोषियों की 3 मार्च को फांसी देने के आदेश पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. दरअसल आज सुबह की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फांसी देने पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका खारिज करने का आदेश दिया था. तब वकील एपी सिंह ने कोर्ट को बताया कि पवन ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर की है. तब कोर्ट ने कहा कि तथ्यों पर हम दो बजे सुनवाई करेंगे.


राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने का हवाला दिया


दो बजे जब सुनवाई शुरू हुई तो पवन गुप्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की है. एपी सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस काटजू ने उन्हें मेल पर जवाब दिया है कि वो दोषियों की फांसी की सजा को माफ कराने के लिए राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे. कोर्ट ने पूछा क्या ऐसा कोई नियम है कि क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद दया याचिका दाखिल की जाए.


आज ही सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की क्युरेटिव याचिका खारिज की थी


दरअसल आज ही सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की क्युरेटिव याचिका खारिज कर दी. जिसके तुरंत बाद पवन गुप्ता की ओर से राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर की गई. कोर्ट ने एपी सिंह से पूछा कि कोर्ट पिक्चर में तभी आता है. जब राष्ट्रपति दया याचिका खारिज करते हैं. इस समय कोर्ट आपको क्यों राहत दे. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने आपको 7 दिनों का समय दिया था, लेकिन आपने उसमें याचिका दाखिल नहीं की. आपने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को अनदेखा किया.


कोर्ट ने कहा कि सात दिनों का वक्त दिल्ली हाईकोर्ट का बीत चुका है. इस परिस्थिति में केवल सरकार दखल दे सकती है. कोर्ट कैसे दखल दे सकता है. कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर मुझे टमाटर खरीदने के लिए मेडिकल शॉप पर जाता हूं, तो क्या मेडिकल की दुकान वाला देगा, नहीं ना. कोर्ट ने कहा कि ठीक इसी तरफ आपकी याचिका प्रसाशनिक तौर पर डील की जाएगी ना कि कोर्ट के स्तर पर. कोर्ट ने एपी सिंह को कहा कि आपने पहले क्यों नहीं सोचा कि आप कहां जाएंगे क्योंकि आप आखिरी क्षण में सब दाखिल करते हैं.

कोर्ट दखल नहीं दे सकता है


निर्भया के माता पिता के वकील जीतेंद्र झा ने कहा कि अगर दोषी ने अगर आज दोपहर 12 बजे के बाद अर्जी दाखिल की है तो केवल सरकार के पास ये अधिकार है कि उन्हें फांसी पर लटकाया जाए या नहीं. झा ने कहा कि दोषी पवन की अर्जी खारिज होनी चाहिए. सरकारी वकील ने कहा कि पवन की याचिका प्री-मैच्योर है. इसलिए खारिज होनी चाहिए. सरकारी वकील ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.


सुबह भी हुई थी सुनवाई
पटियाला हाउस कोर्ट में आज सुबह हुई सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल की ओर से कहा गया कि अक्षय ने 31 जनवरी को दया याचिका दाखिल दायर की थी. उसके अगले दिन उसने सचिवालय को पत्र लिखकर कहा कि कुछ दस्तावेज नहीं दिए गए हैं. उन्हें दाखिल करने की अनुमति दी जाए. जेल प्रशासन ने सभी दस्तावेज दे दिए थे. हमने सभी दस्तावेज उन्हें 3 फरवरी को दे दिए थे. राष्ट्रपति ने सभी मसलों पर विचार कर 5 फरवरी को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी. इसलिए ये कहना गलत है कि दस्तावेजों पूरे नहीं थे. वो दूसरी दया याचिका दाखिल नहीं कर सकता है. सरकारी वकील ने कहा कि हमें दूसरी दया याचिका दाखिल करने की सूचना भी नहीं दी गई.

कंप्लीट नहीं थे दस्तावेज

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वकील एपी सिंह से पूछा कि आपको दया याचिका खारिज होने की सूचना कब मिली. तब एपी सिंह ने कहा कि 5 फरवरी को. तब कोर्ट ने पूछा कि आपने कंप्लीट दया याचिका कब दायर की है. तब सरकारी वकील ने कहा कि वो तो पहले ही कंप्लीट थी. उन्होंने कहा कि पवन की रिव्यू याचिका 9 जुलाई 2018 को खारिज कर दी गई थी. तब कोर्ट ने एपी सिंह से पूछा कि किस प्रावधान के तहत आप डेथ वारंट को रोकने की मांग कर रहे हैं. तब एपी सिंह ने कहा कि दिल्ली प्रिजन रुल्स 836 के तहत. तब सरकारी वकील ने कहा कि आप थोड़ी देर इंतजार कर लें तब तक सुप्रीम कोर्ट का क्युरेटिव पिटीशन पर फैसला आ जाएगा.


अक्षय और पवन ने दायर की है याचिका

याचिका अक्षय सिंह और पवन गुप्ता ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि अक्षय सिंह ने राष्ट्रपति के यहां नई दया याचिका दायर की है. याचिका पर सुनवाई के दौरान अक्षय सिंह के वकील एपी सिंह ने कहा कि उसकी पहले की दया याचिका में पूरे तथ्य नहीं थे.

3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश दिया था
पिछले 17 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी कर दिया था. एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश जारी किया था. पिछले 28 फरवरी को पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में क्युरेटिव याचिका दायर कर फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की थी. जिसे आज ही सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है.

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