नई दिल्ली: दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने अदालत परिसर में वकीलों के दो समूहों के बीच हुई झड़प के दौरान फायरिंग के मामले में आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है. जहां हथियारों और गोला-बारूद का अंधाधुंध इस्तेमाल किया गया. अभी आरोपी को रिहा कर दिया गया तो जांच को प्रभावित कर सकता है. तीस हजारी कोर्ट के अपर सत्र न्यायाधीश संजय शर्मा, आरोपी शिव राम पांडे की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे गंभीर मामले में जहां हथियारों और गोला-बारूद का अंधाधुंध इस्तेमाल किया गया था और सह-अभियुक्त के पास से भारी हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया था, जांच के इस शुरुआती चरण में आवेदक को जमानत पर रिहा करना, जांच पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. इसलिए आरोपी की जमानत के आवेदन को खारिज किया जाता है. अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों पर गौर किया, जिसके अनुसार आरोपी शिव राम पांडे, मनीष शर्मा की अध्यक्षता वाले समूह का सदस्य था और उसे दूसरे समूह पर पथराव करते समय सीसीटीवी फुटेज में पहचाना भी गया था.
पुलिस के मुताबिक, 5 जुलाई 2023 को तीस हजारी कोर्ट परिसर में वकीलों के दो गुटों के बीच वंचर्सव की लड़ाई के दौरान दोनों और से गोलीयां चलाई गई थी. पुलिस ने अपने बयान में यह भी कहा कि इस घटना के दो दिन बाद, प्रतिद्वंद्वी गुट के नेताओं के साथ ही दिल्ली बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मनीष शर्मा और एसोसिएशन के सचिव अतुल शर्मा के भाई ललित शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया था. तीस हजारी कोर्ट परिसर में हुई इस गोलीकांड का मामला सब्ज़ी मंडी थाने में दर्ज है. फिलहाल इस मामले में सात अधिवक्ताओं समेत आठ आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं.
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