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दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल को जारी किया नोटिस, सजा में छूट और पैरोल नीतियों का विवरण मांगा - गुरमीत राम रहीम

दिल्‍ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल को नोटिस जारी कर दिल्ली में सजा में छूट और पैरोल नीतियों का विवरण मांगा है. आयोग ने पैरोल और छूट की नीतियों का अध्ययन शुरू किया है. आयोग इस संबंध में ने सिस्टम में उन खामियों को उजागर करेगा, जिसका फायदा उठा कर दोषी अपने फायदे के लिए इसका आसानी से दुरुपयोग करते हैं.

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Published : Nov 11, 2022, 8:00 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने देश में मौजूद पैरोल और छूट की नीतियों का अध्ययन शुरू किया है. आयोग विभिन्न राज्यों की सम्बंधित नीतियों का अध्ययन करेगा जिसके तहत दोषियों को सजा में छूट और पैरोल दी जाती है. इस संबंध में आयोग ने दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल को नोटिस जारी कर जघन्य अपराधों के दोषियों के लिए सजा में छूट और पैरोल नीतियों और दिल्ली राज्य में उनके कार्यान्वयन के बारे में जानकारी मांगी है. आयोग इस संबंध में दिल्ली सरकार के साथ-साथ भारत सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगा.

आयोग ने हाल के मामलों के सन्दर्भ में यह अध्ययन शुरू किया है, जिसने सिस्टम में उन खामियों को उजागर किया है, जिससे रसूखदार दोषी नीतियों में हेरफेर कर अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं. उदाहरण के लिए, 2002 में बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था (Bilkis Bano rape case) और उसके 3 साल के बेटे और परिवार के 7 अन्य सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. अदालत ने 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा देने के बावजूद, उन्हें इस साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने 1992 की छूट नीति का हवाला देते हुए छोड़ दिया. जिसमें कैदियों को उनकी सजा में कमी के लिए आवेदन करने की अनुमति दी थी.

दिल्ली महिला आयोग
दिल्ली महिला आयोग

साथ ही, हाल ही में हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पैरोल पर रिहा किया, जो बलात्कार और हत्या का दोषी है और रोहतक की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है. बाद में उसने कई 'प्रवचन सभाओं' का आयोजन किया और खुद को बढ़ावा देने वाले संगीत वीडियो जारी किए, जिसमें कई वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों ने भाग लिया.

स्वाति मालीवाल ने इन घटनाओं को बहुत चिंतित करने वाला करार दिया है और कहा है कि देश में सजा में छूट, पैरोल और फरलो के मौजूदा नियम और नीतियां भी बेहद कमजोर हैं. राजनेता और रसूखदार दोषि अपने फायदे के लिए इसका आसानी से दुरुपयोग कर सकतें है. इस संबंध में, आयोग की अध्यक्ष ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के गृह विभाग और तिहाड़ जेल को नोटिस जारी कर दिल्ली में सजा में छूट और पैरोल नीतियों का विवरण मांगा है.

गृह विभाग को भेजे गए नोटिस में आयोग ने उन दोषियों का ब्योरा मांगा है जो रेप, गैंगरेप, पॉक्सो और हत्या के साथ रेप के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे थे और उन्हें 2012 से सजा में छूट दी गई है. आयोग ने दोषी को रिहा किया जाए या नहीं, इस पर विभिन्न विभागों से प्रस्तुत राय की प्रतियों के साथ 2012 से सजा समीक्षा बोर्ड की बैठकों के कार्यवृत्त की प्रतियां भी मांगी हैं.

इसे भी पढ़ें: मनी लॉन्ड्रिंग केस: अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज की अंतरिम जमानत 15 नवंबर तक बढ़ी

तिहाड़ जेल को भेजे गए नोटिस में आयोग ने पैरोल और फरलो के लिए दोषियों की रिहाई की नीति का ब्योरा मांगा है. आयोग ने जघन्य अपराधों के दोषियों का विवरण भी मांगा है, जिन्हें 2018 से पैरोल और फरलो दिया गया है, साथ ही उन दोषियों का विवरण भी मांगा है, जो पैरोल और फरलो से अधिक समय तक रहे हैं.आयोग ने गृह विभाग और तिहाड़ जेल को 21 नवंबर तक आवश्यक सूचना उपलब्ध कराने को कहा है.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, “यदि राजनीतिक रसूख रखने वाले प्रभावशाली लोग महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों में उम्रकैद की सजा काटकर अनुचित लाभ प्राप्त कर सकते हैं, तो यह न्याय नहीं है और महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के किसी भी कदम का कोई महत्व नहीं रह जाता है. पैरोल/फरलो और छूट से संबंधित नियम बहुत सख्त होने चाहिए और नीतियों में खामियों को उन लोगों को राहत देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जिन्हें हत्या, बलात्कार आदि जैसे जघन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है."

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नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने देश में मौजूद पैरोल और छूट की नीतियों का अध्ययन शुरू किया है. आयोग विभिन्न राज्यों की सम्बंधित नीतियों का अध्ययन करेगा जिसके तहत दोषियों को सजा में छूट और पैरोल दी जाती है. इस संबंध में आयोग ने दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल को नोटिस जारी कर जघन्य अपराधों के दोषियों के लिए सजा में छूट और पैरोल नीतियों और दिल्ली राज्य में उनके कार्यान्वयन के बारे में जानकारी मांगी है. आयोग इस संबंध में दिल्ली सरकार के साथ-साथ भारत सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगा.

आयोग ने हाल के मामलों के सन्दर्भ में यह अध्ययन शुरू किया है, जिसने सिस्टम में उन खामियों को उजागर किया है, जिससे रसूखदार दोषी नीतियों में हेरफेर कर अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं. उदाहरण के लिए, 2002 में बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था (Bilkis Bano rape case) और उसके 3 साल के बेटे और परिवार के 7 अन्य सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. अदालत ने 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा देने के बावजूद, उन्हें इस साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने 1992 की छूट नीति का हवाला देते हुए छोड़ दिया. जिसमें कैदियों को उनकी सजा में कमी के लिए आवेदन करने की अनुमति दी थी.

दिल्ली महिला आयोग
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साथ ही, हाल ही में हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पैरोल पर रिहा किया, जो बलात्कार और हत्या का दोषी है और रोहतक की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है. बाद में उसने कई 'प्रवचन सभाओं' का आयोजन किया और खुद को बढ़ावा देने वाले संगीत वीडियो जारी किए, जिसमें कई वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों ने भाग लिया.

स्वाति मालीवाल ने इन घटनाओं को बहुत चिंतित करने वाला करार दिया है और कहा है कि देश में सजा में छूट, पैरोल और फरलो के मौजूदा नियम और नीतियां भी बेहद कमजोर हैं. राजनेता और रसूखदार दोषि अपने फायदे के लिए इसका आसानी से दुरुपयोग कर सकतें है. इस संबंध में, आयोग की अध्यक्ष ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के गृह विभाग और तिहाड़ जेल को नोटिस जारी कर दिल्ली में सजा में छूट और पैरोल नीतियों का विवरण मांगा है.

गृह विभाग को भेजे गए नोटिस में आयोग ने उन दोषियों का ब्योरा मांगा है जो रेप, गैंगरेप, पॉक्सो और हत्या के साथ रेप के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे थे और उन्हें 2012 से सजा में छूट दी गई है. आयोग ने दोषी को रिहा किया जाए या नहीं, इस पर विभिन्न विभागों से प्रस्तुत राय की प्रतियों के साथ 2012 से सजा समीक्षा बोर्ड की बैठकों के कार्यवृत्त की प्रतियां भी मांगी हैं.

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तिहाड़ जेल को भेजे गए नोटिस में आयोग ने पैरोल और फरलो के लिए दोषियों की रिहाई की नीति का ब्योरा मांगा है. आयोग ने जघन्य अपराधों के दोषियों का विवरण भी मांगा है, जिन्हें 2018 से पैरोल और फरलो दिया गया है, साथ ही उन दोषियों का विवरण भी मांगा है, जो पैरोल और फरलो से अधिक समय तक रहे हैं.आयोग ने गृह विभाग और तिहाड़ जेल को 21 नवंबर तक आवश्यक सूचना उपलब्ध कराने को कहा है.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, “यदि राजनीतिक रसूख रखने वाले प्रभावशाली लोग महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों में उम्रकैद की सजा काटकर अनुचित लाभ प्राप्त कर सकते हैं, तो यह न्याय नहीं है और महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के किसी भी कदम का कोई महत्व नहीं रह जाता है. पैरोल/फरलो और छूट से संबंधित नियम बहुत सख्त होने चाहिए और नीतियों में खामियों को उन लोगों को राहत देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जिन्हें हत्या, बलात्कार आदि जैसे जघन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है."

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