नई दिल्लीः केंद्र की मोदी सरकार ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' यानी 'एक देश एक चुनाव' की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ा दिया है. लॉ मिनिस्ट्री ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी है. इसके साथ ही कमेटी के सदस्यों के नामों की घोषणा भी कर दी है. कमेटी में कुल आठ सदस्य होंगे. इसमें अमित शाह, अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, एनके सिंह, सुभाष कश्यप, हरीश साल्वे और संजय कोठारी अन्य सदस्य होंगे.
वहीं, इस पूरे मामले पर पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया दी है. सीएम केजरीवाल ने 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा और सवाल पूछा कि देश के लिए क्या जरूरी है? 'वन नेशन वन इलेक्शन' या 'वन नेशन वन एजुकेशन' जरूरी है? देश के लिए यह जरूरी है, जिसमें अमीर हो या गरीब, सबको एक जैसी अच्छी शिक्षा मिलेगी. देश के लिए वन नेशन वन इलाज जरूरी है, जिसमें अमीर हो या गरीब, सबको एक जैसा अच्छा इलाज मिलेगा? आम आदमी को वन नेशन वन इलेक्शन से क्या मिलेगा? पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ी है.
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अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
बता दें कि वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर गठबंधन के कई नेता पहले ही अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं. कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम के मुताबिक वन नेशन वन इलेक्शन के तहत क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. वहीं राज्यसभा सांसद और बीजेपी नेता अनिल अग्रवाल का कहना है कई ऐसे उदाहरण हैं, जहां लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुई, लेकिन विधानसभा और लोकसभा के परिणाम अलग-अलग आए. देश की जनता बहुत समझदार है. जनता को बखूबी पता है कि चुनाव में किसको वोट करना है.
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