नई दिल्ली: कोरोना काल में लोगों के अंदर एक धारणा बन गई है कि बड़ी बीमारी होने पर भी अगर अस्पताल जाएंगे तो कोरोना संक्रमित तो हो ही जाएंगे. ये धारणा सही नहीं है. इसे राजधानी के बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने एक ऐसे मरीज का ऑपरेशन कर साबित कर दिया, जिसका दिल केवल 15 से 20 प्रतिशत ही काम कर रहा था.
एक ऐसे समय में जब अस्पताल के पूरे कर्मचारी भी काम पर नहीं आ पा रहे हों और कोरोना की वजह से मरीज का ऑपरेशन करना खतरे से खाली न हो. ऐसे में अगर किसी मरीज का हार्ट सिर्फ 15 प्रतिशत ही काम कर रहा हो तो क्या हो, लेकिन ऐसे मुश्किल समय में भी बीएलके अस्पताल ने मरीज की सर्जरी कर उसे नया जीवन दान दे दिया.
कोरोना काल में की हार्ट सर्जरी
कोरोना काल का 74 वर्षीय लाल सिंह पर ऐसा साइड इफेक्ट हुआ कि लॉकडाउन के दौरान उनके दिल का वाल्व इतना सिकुड़ गया कि दिल केवल 15 से 20 प्रतिशत ही खून शरीर को दे पा रहा था.
उन्हें पहले से ही डायबिटिज, हाई ब्लड प्रैशर, हाइपोथायरायडिज्म और ट्रिपल वेसल डिजिज जैसी गंभीर बीमारियां थीं. इसके लिए जटिल ऑपरेशन कर वाल्व बदलने की जरूरत थी. जो कोरोना काल में नामुमकीन जैसा ही था, क्योंकि सबसे बड़ी परेशानी तो वाल्व ढूंढने की ही थी.
ऐसे में बीएलके अस्पताल ने ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) के विकल्प को आजमाया. जिसमें बैलून एओर्टिक वाल्बुलोप्लास्टी जैसा इलाज दिया जाता है ताकि वो वाल्व की तरह काम कर सके.
मिला जीवनदान
बीएलके अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी के चेयरमैन डॉ अजय कौल बताते हैं कि उनकी मेहनत रंग लाई और मरीज की जान बच गई. हालांकि कुछ सप्ताह के बाद मरीज की तबीयत फिर खराब हो गई.
लेकिन अब तक लॉकडाउन खत्म हो चुका था और मरीज के लीए वाल्व का इंतजाम किया जा सकता था. इसके बाद मरीज का एक और ऑपरेशन किया गया और अब मरीज पूरी तरह से स्वास्थ होकर अपने घर भी लौट चुका है.