नई दिल्लीः दिल्ली में अधिकारों की लड़ाई को लेकर लगातार बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच जंग जारी है. कुछ दिनों पहले ही बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाए थे कि आप के कुछ नेताओं ने जांच अधिकारी के दफ्तर का ताला तोड़कर कुछ दस्तावेज चुरा लिए थे. अब उस घटना का एक सीसीटीवी फुटेज सामने लाने की बात बीजेपी कह रही है.
दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूरी, दिल्ली प्रवक्ता हरीश खुराना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए एक सीसीटीवी फुटेज भी जारी किया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए दिल्ली बीजेपी विधायक और नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा ही मांगा है. उन्होंने कहा कि नैतिकता के आधार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना इस्तीफा देना चाहिए और हम लोग इस पूरे घटनाक्रम को लेकर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से मिलेंगे. भाजपा के सभी विधायक और सांसद दिल्ली पुलिस कमिश्नर से इस मामले में शिकायत करेंगे और केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर की मांग करेंगे. अगर फिर भी एफआईआर नहीं होती है तो हम कोर्ट का रुख करेंगे और कोर्ट में जाएंगे.
नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली के एक विजलेंस अधिकारी वाई राज शेखर दिल्ली सरकार द्वारा किए गए अलग-अलग मामलों में 180 करोड़ के घोटाले की जांच कर रहे थे. इस पूरे मामले पर दिल्ली के मुख्यमंत्री चुप हैं, लेकिन इन लोगों ने रात के 2 बजे कैसे एक अधिकारी के दफ्तर में घुसे? सीसीटीवी फुटेज में भी साफ तौर पर तीन लोग दिख रहे हैं. कैसे इन लोगों ने फाइलें चुराई और फिर दूसरे कमरे में यह फाइल है. आधे घंटे तक यह पूरा खेल चलता रहा. इससे साफ जाहिर होता है कि इस पूरे घटनाक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री भी शामिल हैं. इसलिए हम मांग करते हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना इस्तीफा देना चाहिए.
ये भी पढे़ंः नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका खारिज, लगाई फटकार
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि यह जो वीडियो है, सभी को चौंका देने वाला वीडियो है. यह वीडियो साफ दर्शाता है कि रात के 2:00 बजे एक अधिकारी के कमरे में 3 लोग हैं और उसकी फाइल निकाली जाती है. जो अधिकारी पूरे भ्रष्टाचार की जांच कर रहे थे, वहां से फाइलें चुराई जाती है. एक तरह से यह डकैती है. लूटपाट है. यह घटना 16 मई की है. 11 मई को इनके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट से आदेश आता है. ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकते है, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री ने उसी दिन से तानाशाही रवैया अपनाया.
ये भी पढे़ंः Passport Issue: राहुल गांधी को मिलेगा नया पासपोर्ट, कोर्ट ने दी तीन साल की एनओसी