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'मैथिली और भोजपुरी भाषा' पर छिड़ा संग्राम! बीजेपी बोली- केजरीवाल सरकार का है राजनीतिक स्टंट

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ऐलान किया था कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आठवीं से 12वीं कक्षा तक मैथिली विषय को इलेक्टिव विषय के तौर पर पढ़ाएगी. जिसपर पलटवार करते हुए दिल्ली बीजेपी पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष मनीष सिंह ने इस एक राजनीतिक स्टंट बताया है.

मैथिली और भोजपुरी भाषा पर छिड़ी जंग
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Published : Jul 16, 2019, 8:54 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मैथिली भाषी लोगों के लिए दिल्ली सरकार ने सोमवार को एक बड़ा ऐलान किया था. जिसके तहत सरकारी स्कूलों में आठवीं से 12वीं कक्षा तक मैथिली विषय को इलेक्टिव विषय के तौर पर पढ़ाने की बात कही गई थी.

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि सरकार आईएएस आदि प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को फ्री में कोचिंग कराएगी. सरकार के इस फैसले को बीजेपी ने राजनीतिक स्टंट करार दिया है.

मैथिली और भोजपुरी भाषा पर छिड़ी जंग

'पूर्वांचल समाज को गुमराह कर रही है सरकार'
प्रदेश बीजेपी पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष मनीष सिंह ने सरकार के इस फैसले को लेकर कहा कि अगर सरकार का भाव ठीक है तो वह इस फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन बिना किसी तैयारी और चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल ने दिल्ली में बसे पूर्वांचल समाज को गुमराह करने के लिए यह घोषणा किया है. जिसकी वे निंदा करते हैं.

'हर चुनाव से पहले ऐलान'
उन्होंने कहा कि जनवरी 2014 में जब पहली बार केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली की सरकार बनी थी, तब उर्दू भाषा को समृद्ध बनाने और उसके विस्तार के लिए सरकार ने बड़ा ऐलान किया था. उसके बाद वर्ष 2016 में पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पंजाबी पढ़ाने को लेकर केजरीवाल सरकार ने एलान किया. जो आज तक पूरा नहीं हो पाया. अब दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल के लोगों के बीच से जनाधार खिसकता हुआ देख अरविंद केजरीवाल सरकार ने मैथिली-भोजपुरी भाषा को लेकर चिंता जताई है.

घोषणा मात्र एक छलावा
केजरीवाल जी यह जान ले कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मैथिली-भोजपुरी पढ़ाने की घोषणा से उन्हें कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि दिल्ली वाले विशेषकर पूर्वांचलवासी यह समझते हैं कि यह घोषणा मात्र एक छलावा है. मैथिली भाषा को लेकर सरकार वैसा ही करेगी जैसा उर्दू विस्तार एवं पंजाबी पढ़ाने की घोषणा का किया.

'काठ की हिन्दी बार-बार नहीं चढ़ने वाली'
आज दिल्ली के स्कूलों में लगभग 1600 उर्दू एवं पंजाबी शिक्षकों के पद खाली हैं. कुछ गिनती के स्कूलों को छोड़, यह दोनों भाषाएं ज्यादातर स्कूलों में नहीं पढ़ाई जा रही है. मनीष सिंह ने कहा कि पूर्वांचल के लोगों ने उम्मीद से आम आदमी पार्टी को वोट डाला था. दोबारा झांसे में नहीं आने वाले हैं. काठ की हिन्दी बार-बार नहीं चढ़ने वाली है.

सिर्फ वादा करती है सरकार
वहीं पूर्वांचल मोर्चा के महामंत्री शरद झा ने कहा 'चुनावी वर्ष में जिस तरह केजरीवाल सरकार को इन भाषायी लोगों की सुध आई है, इससे दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाता है. यह सिर्फ पूर्वांचल के मतदाताओं को आकर्षित करने का एक बयान है. केजरीवाल सरकार सिर्फ वादा ही करती आई है.'

सरकार ने किया था ऐलान
बता दें कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को मैथिली भोजपुरी अकादमी की बैठक में फैसला लिया था कि मैथिली और भोजपुरी भाषा को दिल्ली में कैसे समृद्ध बनाया जाए. इसके लिए कुछ कदम सरकार ने उठाने का निर्णय लिया है. मैथिली भाषा को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आठवीं से बारहवीं तक पढ़ाया जाएगा.

मैथिली- भोजपुरी अकादमी इन दोनों भाषा से अगर कोई उच्च शिक्षा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करना चाहता है तो उसके लिए फ्री कोचिंग चलाएगी. अकादमी मैथिली भाषा के फोंट बनाएगा. इसकी जिम्मेदारी सॉफ्टवेयर कंपनी सी डेक को दी जाएगी. इतना ही नहीं मैथिली-भोजपुरी भाषा के अवार्ड भी सरकार शुरू करेगी. इस क्षेत्र में काम करने वाले अलग-अलग विधा के 12 लोगों को यह अवार्ड दिए जाएंगे.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मैथिली भाषी लोगों के लिए दिल्ली सरकार ने सोमवार को एक बड़ा ऐलान किया था. जिसके तहत सरकारी स्कूलों में आठवीं से 12वीं कक्षा तक मैथिली विषय को इलेक्टिव विषय के तौर पर पढ़ाने की बात कही गई थी.

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि सरकार आईएएस आदि प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को फ्री में कोचिंग कराएगी. सरकार के इस फैसले को बीजेपी ने राजनीतिक स्टंट करार दिया है.

मैथिली और भोजपुरी भाषा पर छिड़ी जंग

'पूर्वांचल समाज को गुमराह कर रही है सरकार'
प्रदेश बीजेपी पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष मनीष सिंह ने सरकार के इस फैसले को लेकर कहा कि अगर सरकार का भाव ठीक है तो वह इस फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन बिना किसी तैयारी और चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल ने दिल्ली में बसे पूर्वांचल समाज को गुमराह करने के लिए यह घोषणा किया है. जिसकी वे निंदा करते हैं.

'हर चुनाव से पहले ऐलान'
उन्होंने कहा कि जनवरी 2014 में जब पहली बार केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली की सरकार बनी थी, तब उर्दू भाषा को समृद्ध बनाने और उसके विस्तार के लिए सरकार ने बड़ा ऐलान किया था. उसके बाद वर्ष 2016 में पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पंजाबी पढ़ाने को लेकर केजरीवाल सरकार ने एलान किया. जो आज तक पूरा नहीं हो पाया. अब दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल के लोगों के बीच से जनाधार खिसकता हुआ देख अरविंद केजरीवाल सरकार ने मैथिली-भोजपुरी भाषा को लेकर चिंता जताई है.

घोषणा मात्र एक छलावा
केजरीवाल जी यह जान ले कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मैथिली-भोजपुरी पढ़ाने की घोषणा से उन्हें कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि दिल्ली वाले विशेषकर पूर्वांचलवासी यह समझते हैं कि यह घोषणा मात्र एक छलावा है. मैथिली भाषा को लेकर सरकार वैसा ही करेगी जैसा उर्दू विस्तार एवं पंजाबी पढ़ाने की घोषणा का किया.

'काठ की हिन्दी बार-बार नहीं चढ़ने वाली'
आज दिल्ली के स्कूलों में लगभग 1600 उर्दू एवं पंजाबी शिक्षकों के पद खाली हैं. कुछ गिनती के स्कूलों को छोड़, यह दोनों भाषाएं ज्यादातर स्कूलों में नहीं पढ़ाई जा रही है. मनीष सिंह ने कहा कि पूर्वांचल के लोगों ने उम्मीद से आम आदमी पार्टी को वोट डाला था. दोबारा झांसे में नहीं आने वाले हैं. काठ की हिन्दी बार-बार नहीं चढ़ने वाली है.

सिर्फ वादा करती है सरकार
वहीं पूर्वांचल मोर्चा के महामंत्री शरद झा ने कहा 'चुनावी वर्ष में जिस तरह केजरीवाल सरकार को इन भाषायी लोगों की सुध आई है, इससे दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाता है. यह सिर्फ पूर्वांचल के मतदाताओं को आकर्षित करने का एक बयान है. केजरीवाल सरकार सिर्फ वादा ही करती आई है.'

सरकार ने किया था ऐलान
बता दें कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को मैथिली भोजपुरी अकादमी की बैठक में फैसला लिया था कि मैथिली और भोजपुरी भाषा को दिल्ली में कैसे समृद्ध बनाया जाए. इसके लिए कुछ कदम सरकार ने उठाने का निर्णय लिया है. मैथिली भाषा को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आठवीं से बारहवीं तक पढ़ाया जाएगा.

मैथिली- भोजपुरी अकादमी इन दोनों भाषा से अगर कोई उच्च शिक्षा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करना चाहता है तो उसके लिए फ्री कोचिंग चलाएगी. अकादमी मैथिली भाषा के फोंट बनाएगा. इसकी जिम्मेदारी सॉफ्टवेयर कंपनी सी डेक को दी जाएगी. इतना ही नहीं मैथिली-भोजपुरी भाषा के अवार्ड भी सरकार शुरू करेगी. इस क्षेत्र में काम करने वाले अलग-अलग विधा के 12 लोगों को यह अवार्ड दिए जाएंगे.

Intro:नई दिल्ली. दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल तथा खासतौर से मैथिली भाषी लोगों के लिए दिल्ली सरकार ने सोमवार को एक बड़ा ऐलान किया. जिसके तहत सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक मैथिली विषय को इलेक्टिव विषय के तौर पर पढ़ाने की बात कही है. साथ ही आईएएस आदि प्रतियोगिता परीक्षा के लिए अगर कोई छात्र मैथिली भाषा की कोचिंग लेना चाहता है तो सरकार द्वारा इसे निःशुल्क कराएगी, ऐसा उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था. दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले को भाजपा ने चुनावी शगुफा और राजनीतिक स्टंट करार दिया है.


Body:प्रदेश भाजपा पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष मनीष सिंह ने सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले को लेकर कहा कि अगर सरकार का भाव ठीक है तो वह इस फैसले का स्वागत करते हैं. लेकिन बिना किसी तैयारी और चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल और उनकी गैंग ने दिल्ली में बसे पूर्वांचल समाज को गुमराह करने के लिए यह घोषणा किया है. जिसकी वे निंदा करते हैं.

उन्होंने कहा कि जनवरी 2014 में सरकार जब पहली बार अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली की सरकार बनी थी, तब उर्दू भाषा को समृद्ध बनाने और उसके विस्तार के लिए सरकार ने बड़ा ऐलान किया था. उसके बाद वर्ष 2016 में पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पंजाबी पढ़ाने को लेकर केजरीवाल सरकार ने एलान किया था. जो आज तक पूरा नहीं हो पाया. दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल के लोगों के बीच से जनाधार खिसकता हुआ देख अरविंद केजरीवाल सरकार ने मैथिली-भोजपुरी भाषा को लेकर चिंता जताई है.

अरविंद केजरीवाल यह जान ले कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मैथिली-भोजपुरी पढ़ाने की घोषणा से उन्हें कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा. क्योंकि दिल्ली वाले विशेषकर पूर्वांचल वासी यह समझते हैं कि यह घोषणा मात्र एक छलावा है. मैथिली भाषा को लेकर सरकार वैसा ही करेगी जैसा उर्दू विस्तार एवं पंजाबी पढ़ाने की घोषणा का किया.

आज दिल्ली के स्कूलों में लगभग 1600 उर्दू एवं पंजाबी शिक्षकों के पद खाली हैं. कुछ गिनती के स्कूलों को छोड़, यह दोनों भाषाएं ज्यादातर स्कूलों में नहीं पढ़ाई जा रही है. मनीष सिंह ने कहा कि पूर्वांचल के लोगों ने उम्मीद से आम आदमी पार्टी को वोट डाला था. दोबारा झांसे में नहीं आने वाले हैं. काठ की हिन्दी बार-बार नहीं चढ़ने वाली है.

तो वही पूर्वांचल मोर्चा के महामंत्री शरद झा ने भी मैथिली और भोजपुरी को लेकर दिल्ली सरकार के योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनावी वर्ष में जिस तरह अब केजरीवाल सरकार को इन भाषायी लोगों की सुध आई है, इससे दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाता है यह सिर्फ पूर्वांचल के मतदाताओं को आकर्षित करने का एक बयान है. केजरीवाल सरकार सिर्फ वादा ही करती आई है.





Conclusion:बता दें कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को बताया था कि मैथिली भोजपुरी अकादमी की बैठक हुई जिसमें फैसला लिया गया कि मैथिली और भोजपुरी भाषा को दिल्ली में कैसे समृद्ध बनाया जाए. इसके लिए कुछ कदम सरकार ने उठाने का निर्णय लिया है. मैथिली भाषा को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आठवीं से बारहवीं तक पढ़ाया जाएगा. मैथिली- भोजपुरी अकादमी इन दोनों भाषा से अगर कोई उच्च शिक्षा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करना चाहता है तो उसके लिए कोचिंग चलाएगी. अकादमी मैथिली भाषा के फोंट बनाएगा. इसकी जिम्मेदारी सॉफ्टवेयर कंपनी सी डेक को दी जाएगी. इतना ही नहीं मैथिली-भोजपुरी भाषा के अवार्ड भी सरकार शुरू करेगी. इस क्षेत्र में काम करने वाले अलग-अलग विधा के 12 लोगों को यह अवार्ड दिए जाएंगे.

समाप्त, आशुतोष झा
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