नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल शुक्रवार को दिल्ली सरकार में तैनात कुछ अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर बरसे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के कुछ अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि दिल्ली विधानसभा और उसकी समितियां बिल्कुल काम न करें और पूरी तरह निष्क्रिय हो जाएं. दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर (डीएआरसी) फेलोशिप कार्यक्रम को बंद करने के बाद और विधानसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों को 'कारण बताओ नोटिस' जारी करने के बाद, अब उक्त अधिकारी खुलेआम विधानसभा के अधिकारियों का स्थानांतरण करने और उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की धमकी दे रहे हैं.
उपराज्यपाल से की सिफारिश: विधानसभा अध्यक्ष ने उपराज्यपाल को पत्र लिखते हुए सिफारिश की है कि इन अधिकारियों के खिलाफ उनके कदाचार के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए, जो संवैधानिक औचित्य की पूरी तरह से अवहेलना और आचरण नियमों का उल्लंघन है. उन्होंने विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी निर्देश दिया है कि वे उनकी मंजूरी के बिना किसी भी बैठक में शामिल न हों और दूसरे विभागों के साथ कोई जानकारी साझा न करें.
अधिकारियों को दिया गया यह संकेत: विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि 28 और 29 अगस्त 2023 को वाईवीवीजे राजशेखर, आईएएस, स्पेशल सेक्रेटरी (विजिलेंस एवं सर्विसेज) के आदेश पर, दिल्ली विधानसभा के अधिकारियों को मेसेज के माध्यम से सर्विसेज डिपार्टमेंट में बुलाया गया. राजशेखर और अमिताभ जोशी, उप सचिव ने इन अधिकारियों से मुलाकात की और ओबीसी कल्याण समिति तथा विशेषाधिकार समिति द्वारा जांच की जा रही शिकायतों का विवरण जानना चाहा.
इसके बाद इन अधिकारियों को विधानसभा सचिवालय से स्थानांतरण के लिए लिखित में अनुरोध देने के लिए कहा गया. उनसे कहा गया कि यदि वे स्वयं तबादले के लिए अनुरोध करेंगे तो उन्हें उनकी पसंद की पोस्टिंग मिलेगी अन्यथा उन्हें कहीं भी पोस्टिंग दे दी जाएगी. उन्हें यह भी संकेत दिया गया कि यदि उन्होंने सहयोग नहीं किया तो उन्हें निलंबन और अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है.
वाईवीवीजे राजशेखर के खिलाफ मिली शिकायत: रामनिवास गोयल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा की 'ओबीसी कल्याण समिति वाईवीवीजे राजशेखर, आईएएस के खिलाफ एक शिकायत की जांच कर रही है. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि वाईवीवीजे राजशेखर ने गलत ओबीसी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर सरकार में अपनी नियुक्ति हासिल की. इस संबंध में ओबीसी कमेटी की एक सब-कमेटी ने हाल ही में आंध्र प्रदेश का दौरा किया था. राजशेखर के खिलाफ भी शिकायतें मिली हैं, जो विशेषाधिकार समिति के समक्ष लंबित हैं. विधानसभा के अधिकारियों को सर्विसेज डिपार्टमेंट में बुलाया गया और उनके अधिकारियों ने इन समितियों की कार्यवाही के बारे में जानकारी देने के लिए कहा, जो कि गोपनीय होती हैं.
कभी नहीं हुआ ऐसा: ऐसे में यह चौंकाने वाली बात है कि सेवा विभाग के अधिकारियों ने विधानसभा के अधिकारियों को बुलाकर स्थानांतरण और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की धमकी देकर उनपर दबाव बनाने की हिम्मत की. यह विधानमंडल के कामकाज में सीधा हस्तक्षेप है, जो इससे पहले किसी अन्य राज्य में नहीं देखा-सुना गया है.
की जाएगी कार्रवाई: विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सर्विसेज डिपार्टमेंट के उपरोक्त अधिकारियों ने विधानमंडल की समिति के बारे में गोपनीय जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया है. समिति के अधिकारियों को प्रभावित करना और धमकी देना, किसी सरकारी अधिकारी के अशोभनीय आचरण का गंभीर मामला बनता है. इस बारे में विशेषाधिकार के उल्लंघन और अवमानना के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे. वित्त विभाग ने भी विधानसभा सचिवालय से भेजे जाने वाले वित्तीय प्रस्तावों को लटकाने और उनको नकारने में अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी है.
किया चौंकाने वाला दावा: उन्होंने यह दावा किया कि लॉ सेक्रेटरी ही विधानसभा सचिवालय के एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेटरी और एचओडी हैं, जबकि लॉ डिपार्टमेंट ने इस चौंका देने वाले दावे को बार-बार खारिज किया है, लेकिन लॉ डिपार्टमेंट की राय के बावजूद फाइनेंस सेक्रेटरी लगातार हमारी फाइलों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं. वर्ष 1993 से विधानसभा सचिव ही एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेटरी और एचओडी के रूप में कार्य कर रहे हैं और अब फाइनेंस सेक्रेटरी बिना किसी तर्क या कारण के नए मनगढंत सिद्धांत को थोप रहे हैं.
यह भी पढ़ें-G-20 Summit: फाइनल रिव्यू के लिए 2 और 3 सितंबर को कई रास्ते बंद किए जाएंगे, अतिरिक समय लेकर घर से निकलें