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विधानसभा अध्यक्ष ने डिजिटलीकरण को लेकर दी सफाई, बोले- LG ऑफिस ने गढ़ी कहानियां

दिल्ली विधानसभा के डिजिटलीकरण को लेकर स्पीकर और LG ऑफिस आमने-सामने आ गया है. सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर LG कार्यालय के आरोपों का जवाब दिया. पढ़ें...

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Published : Jul 24, 2023, 6:23 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा के डिजिटलीकरण को लेकर उपराज्यपाल कार्यालय की कार्रवाई को दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने राजनीति से प्रेरित बताया है. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल कार्यालय ने झूठे आधारों पर विधानसभा को बदनाम करने की कोशिश की है. सोमवार को विधानसभा में प्रेस कांफ्रेंस कर अध्यक्ष ने डिजिटलीकरण के संबंध में लगाए गए आरोप पर अपना पक्ष रखा.

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों से एलजी ऑफिस नौकरशाही के माध्यम से विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहा है. उन्होंने कमेटियों के कामकाज को बंद करने के लिए विधानसभा को सेवा विभाग व अन्य संबंधित विभागों के माध्यम से संदेश भेजने की कोशिश की है. जबकि, यह पूरी तरह से विधायी कार्य है और पूरी तरह से संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार किए गए हैं.

3 साल पहले भेजी रिपोर्ट, केंद्र ने नहीं दी इजाजतः विधानसभा अध्यक्ष ने डिजिटलीकरण प्रोजेक्ट के बारे में कहा कि यह प्रक्रिया 2015 में शुरू की गई थी. जब केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास इस परियोजना का प्रभार था. दिल्ली विधानसभा की सामान्य प्रयोजन समिति 8 अक्टूबर 2015 को e-vidhan को लागू करने का अध्ययन करने के लिए हिमाचल प्रदेश का दौरा किया था. उसके बाद सचिवालय ने अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट 16 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन मंत्री रविशंकर प्रसाद को भेजा था.

यह भी पढ़ेंः 'विशेषज्ञों' को हटाए जाने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने LG को लिखा पत्र

2018 में प्रोजेक्ट केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से लेकर संसदीय कार्य मंत्रालय को प्रोजेक्ट सौंप दिया और 3 साल की जद्दोजहद के बावजूद केंद्र सरकार ने दिल्ली विधानसभा को e-vidhan प्रोजेक्ट लागू करने के लिए इजाजत नहीं दी. इस संदर्भ में फंड जल्दी जारी करने के लिए बार बार संपर्क किया गया और रिमाइंडर भेजे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

समिति ने की सिफारिशः विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सोची समझी साजिश के तहत संसदीय कार्य मंत्रालय ने e-vidhan परियोजना को छोड़ दिया और एक नई पहल Neva (नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन) शुरू की. दिल्ली विधानसभा के अधिकारियों ने मंत्रालय की मीटिंग और ट्रेनिंग में भाग लिया. हालांकि, यह पाया कि पिछली योजना के विपरीत Neva में कंटेंट का नियंत्रण संसदीय कार्य मंत्रालय को सौंप दिया है ना कि विधानसभाओं एवं मंडलों को. दिल्ली विधानसभा की सामान्य प्रयोजन समिति ने 5 नवंबर 2018 को ही मीटिंग में सिफारिश की कि डिजिटलीकरण को हम अपने सोर्स से लागू करेंगे और संबंधित मंत्रालय को Neva प्रोजेक्ट से बाहर निकलने के बारे में विधिवत रूप से सूचित किया गया था.

पत्र सार्वजनिक करना आपत्तिजनकः उन्होंने कहा कि पिछले दिनों केंद्र सरकार द्वारा उपराज्यपाल को लिखे पत्र को उपराज्यपाल कार्यालय में दिल्ली विधानसभा से विचार विमर्श किए बिना मीडिया को जारी कर दिया, यह आपत्तिजनक है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि लगता है उपराज्यपाल मीडिया में जाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.

बता दें, बीते दिनों संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव ने उपराज्यपाल सचिवालय को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप कर राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (NeVA) परियोजना को दिल्ली विधानसभा में लागू करने का आग्रह किया था. साथ ही इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए धन का इस्तेमाल करने का भी अनुरोध किया था.

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा के डिजिटलीकरण को लेकर उपराज्यपाल कार्यालय की कार्रवाई को दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने राजनीति से प्रेरित बताया है. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल कार्यालय ने झूठे आधारों पर विधानसभा को बदनाम करने की कोशिश की है. सोमवार को विधानसभा में प्रेस कांफ्रेंस कर अध्यक्ष ने डिजिटलीकरण के संबंध में लगाए गए आरोप पर अपना पक्ष रखा.

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों से एलजी ऑफिस नौकरशाही के माध्यम से विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहा है. उन्होंने कमेटियों के कामकाज को बंद करने के लिए विधानसभा को सेवा विभाग व अन्य संबंधित विभागों के माध्यम से संदेश भेजने की कोशिश की है. जबकि, यह पूरी तरह से विधायी कार्य है और पूरी तरह से संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार किए गए हैं.

3 साल पहले भेजी रिपोर्ट, केंद्र ने नहीं दी इजाजतः विधानसभा अध्यक्ष ने डिजिटलीकरण प्रोजेक्ट के बारे में कहा कि यह प्रक्रिया 2015 में शुरू की गई थी. जब केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास इस परियोजना का प्रभार था. दिल्ली विधानसभा की सामान्य प्रयोजन समिति 8 अक्टूबर 2015 को e-vidhan को लागू करने का अध्ययन करने के लिए हिमाचल प्रदेश का दौरा किया था. उसके बाद सचिवालय ने अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट 16 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन मंत्री रविशंकर प्रसाद को भेजा था.

यह भी पढ़ेंः 'विशेषज्ञों' को हटाए जाने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने LG को लिखा पत्र

2018 में प्रोजेक्ट केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से लेकर संसदीय कार्य मंत्रालय को प्रोजेक्ट सौंप दिया और 3 साल की जद्दोजहद के बावजूद केंद्र सरकार ने दिल्ली विधानसभा को e-vidhan प्रोजेक्ट लागू करने के लिए इजाजत नहीं दी. इस संदर्भ में फंड जल्दी जारी करने के लिए बार बार संपर्क किया गया और रिमाइंडर भेजे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

समिति ने की सिफारिशः विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सोची समझी साजिश के तहत संसदीय कार्य मंत्रालय ने e-vidhan परियोजना को छोड़ दिया और एक नई पहल Neva (नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन) शुरू की. दिल्ली विधानसभा के अधिकारियों ने मंत्रालय की मीटिंग और ट्रेनिंग में भाग लिया. हालांकि, यह पाया कि पिछली योजना के विपरीत Neva में कंटेंट का नियंत्रण संसदीय कार्य मंत्रालय को सौंप दिया है ना कि विधानसभाओं एवं मंडलों को. दिल्ली विधानसभा की सामान्य प्रयोजन समिति ने 5 नवंबर 2018 को ही मीटिंग में सिफारिश की कि डिजिटलीकरण को हम अपने सोर्स से लागू करेंगे और संबंधित मंत्रालय को Neva प्रोजेक्ट से बाहर निकलने के बारे में विधिवत रूप से सूचित किया गया था.

पत्र सार्वजनिक करना आपत्तिजनकः उन्होंने कहा कि पिछले दिनों केंद्र सरकार द्वारा उपराज्यपाल को लिखे पत्र को उपराज्यपाल कार्यालय में दिल्ली विधानसभा से विचार विमर्श किए बिना मीडिया को जारी कर दिया, यह आपत्तिजनक है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि लगता है उपराज्यपाल मीडिया में जाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.

बता दें, बीते दिनों संसदीय कार्य मंत्रालय के सचिव ने उपराज्यपाल सचिवालय को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप कर राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (NeVA) परियोजना को दिल्ली विधानसभा में लागू करने का आग्रह किया था. साथ ही इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए धन का इस्तेमाल करने का भी अनुरोध किया था.

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