नई दिल्ली: दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का पहला डोज़ 65 वर्षीय एक मरीज को दिया गया है, दिल्ली का अपोलो अस्पताल पहला अस्पताल है जहां पर एंटीबॉडी ड्रग मरीज को दिया गया है.
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इससे पहले यह डोज़ दिल्ली के ओखला स्थित फोर्टिस अस्पताल में दिया जाना था, जिससे पहले दिल्ली के अपोलो में एक 65 वर्षीय मरीज को एंटीबॉडी कॉकटेल का डोज़ दे दिया गया.
अब दिल्ली में उपलब्ध मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा
देश में गुरुग्राम के बाद अब मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा दिल्ली के अस्पतालों में भी पहुंच चुकी है, फोर्टिस अस्पताल के बाद यह इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में उपलब्ध है. जिसके बाद अस्पताल की ओर से सही मरीजों का चयन कर यह दवा उनको दी जा रही है, अस्पताल की ओर से जानकारी दी गई कि एक 65 वर्षीय मरीज जिसको कोरोना के शुरुआत में ही एंटीबॉडी कॉकटेल दिया गया.
आगे उसका संक्रमण गंभीर हो सकता था इसी को ध्यान में रखते हुए उसे यह एंटीबॉडी दी गई, और 1 घंटे तक उस पर निगरानी रखी गई जिसके बाद देखा गया कि इस एंटीबॉडी का उस मरीज में अच्छा प्रभाव हुआ है.
एंटीबॉडी को न्यूट्रल कर देता है मोनोक्लोनल
अपोलो अस्पताल में ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ अनुपम सिब्बल ने बताया कि हमें खुशी हो रही है, देशभर में कोरोना के लिए इस आधुनिक उपचार को लांच किया गया है, मोनोक्लोनल दवा एंटीबॉडी को न्यूट्रल कर देता है, यह दवा वायरस के साथ जुड़कर इसे न्यूट्रलाइज कर देती है.
उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है उपचार का ये आधुनिक विकल्प महामारी पर नियंत्रण पाने में कारगर होगा, और हल्के मध्यम लक्षण वाले मरीजों में यह बीमारी कोरोना को बढ़ने से रोकेगी.
कोरोना मरीज को नहीं दी जा सकती यह दवा
अस्पताल की ओर से यह साफ किया गया है कि हर एक कोरोना मरीज को यह दवा नहीं दी जा सकती, हल्की और मध्यम लक्षण वाले मरीजों को ही केवल यह दवा दी जा सकती है, जिसमें मोटापा किडनी डायबिटीज यूनिटी कमजोर या फिर किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो, उन कोरोना मरीजों को पॉजिटिव पाए जाने पर 48 से 72 घंटों के भीतर यह दवा दी जा सकती है.
अधिकतम 7 दिनों के अंदर शुरुआती कोरोना संक्रमण में यह दवा देनी होती है जिससे कि यह संक्रमण को सीवियर होने से रोकती है.