नई दिल्ली: अलीपुर में पुलिस, जिला प्रशासन, राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) और दिल्ली बाल संरक्षण अधिकार आयोग (Delhi Commission For Protection of Child Rights) के सहयोग से 15 बाल मजदूरों को रेस्क्यू किया गया. इन बाल मजदूरों से प्लास्टिक के एक कारखाने में 12 घंटे से ज्यादा काम कराया जा रहा था. जिसकी जानकारी मिलते ही रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया.
बाल मजदूरी से बच्चों को बचाने वाली संस्था 'सहयोग केयर' के डायरेक्टर शेखर महाजन का कहना है कि, उनकी संस्था ने सबसे पहले इलाके की रेकी की. जिसमें जानकारी मिली कि एक प्लास्टिक फैक्ट्री में 15 बाल मजदूरों से काम कराया जा रहा है. जिसमें से 3 लड़के और 12 लड़कियां शामिल जिनकी उम्र 18 साल से कम है. जिसके बाद उन्होंने जिला प्रशासन, NCPCR और DCPCR से संपर्क किया और फिर पुलिस के साथ फैक्ट्री में छापेमारी कर बच्चों को वहां से छुड़ाया गया.
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बता दें कि, छुड़ाए गए बच्चों की उम्र 8 से 17 साल है. रेस्क्यू के बाद बच्चों को मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की देखरेख में रखा गया है. जहां बच्चों का मेडिकल और कोरोना की जांच कराई जा रही है, जिसके बाद बच्चों के पुनर्वास को लेकर काम किया जाएगा. बताया जा रहा है कि बच्चों से फैक्ट्री में 12 घंटों से ज्यादा काम कराया जाता था, जिसके बदले उन्हें महज 100-150 रुपये दिहाड़ी के रूप में दिए जाते थे.
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बता दें कि, इससे पहले भी 'सहयोग केयर' संस्था ने दिल्ली के नरेला से 46 बच्चों को रेस्क्यू किया था. जिनसे फैक्ट्रियों में बाल मजदूरी कराई जा रही थी. 'सहयोग केयर' को मिली जानकारी के बाद NCPCR, लेबर डिपार्टमेंट और जिला प्रशासन के साथ मिलकर इस रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था.
दिल्ली बाल संरक्षण अधिकार आयोग ने साल 2023 तक दिल्ली को बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए 'दिल्ली बाल श्रम मुक्त अभियान' की शुरुआत की है. जिसके अंतर्गत दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहे हैं. इसी कड़ी में दिल्ली बाल संरक्षण अधिकार आयोग की ओर से दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से अब तक करीब 138 बाल मजदूरों को रेस्क्यू किया गया है, डीसीपीसीआर की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2021 में जनवरी महीने से अब तक दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन किए गए हैं, जिसमें जनवरी महीने में पश्चिमी दिल्ली से 51 नाबालिक बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया गया, वहीं इसी महीने में नरेला से 61 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया. इसके बाद फरवरी महीने में डीसीपीसीआर ने 7 जगहों पर छापेमारी करते हुए 11 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया और अब दिल्ली के अलीपुर से 15 नाबालिगों को बाल मजदूरी से छुड़ाया गया है.
ससे पहले साल 2019 में ओखला इंडस्ट्रियल एरिया से भी 8 नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया गया था, इसके साथ ही हाल ही में दिल्ली महिला आयोग की ओर से भी दयालपुर इलाके में एक 12 साल के नाबालिक बच्चे को आटे की चक्की पर काम करता हुआ पाया गया जहां से बच्चे को छुड़ाया गया. बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराने के लिए दिल्ली के अलग-अलग संस्थाएं काम कर रही हैं, इसी कड़ी में दिल्ली बाल संरक्षण अधिकार आयोग ने साल 2023 तक दिल्ली को बाल श्रम मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है जिस पर कोई भी व्यक्ति कॉल करके बच्चों से कराई जा रही बाल मजदूरी की जानकारी दे सकता है, और डीसीपीसीआर के इस अभियान में जुड़ सकता है.