नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना से जान गंवाने वालों के परिवारों को जिस तेजी से सरकारी सहायता मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल रही है. शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकारी सहायता मिलने में आ रही समस्या को लेकर अधिकारियों से नाराजगी जाहिर की. वह पीड़ितों को सरकारी दफ्तर बुलाने और विभिन्न तरह के दस्तावेज मांगने से बेहद खफा थे. उन्होंने कोरोना से हुई मौत पर डेथ सर्टिफिकेट और सर्वाइविंग मेंबर सर्टिफिकेट की आवश्यकता को सिरे से खारिज किया.
शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किया कि कोरोना से हुई मौत को सत्यापित करने के लिए गृह मंत्रालय से जारी सूची पर्याप्त है. इसके लिए किसी भी अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है. मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देशित किया कि गृह मंत्रालय की लिस्ट से मृतकों का नाम सत्यापित कर तत्काल सहायता राशि का वितरित करें. बुधवार तक हर हाल में घर जाकर सभी पीड़ितों को इस राशि का वितरण कर दें. इस संबंध में बुधवार को फिर समीक्षा बैठक की जाएगी. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को साफ कहा कि हमारी व्यवस्था इस तरह होनी चाहिए कि अधिकारी पीड़ित के घर जाएं और सत्यापन के बाद वहीं उनके बैंक खाते में सहायता राशि का तत्काल ट्रांसफर कर दें.
शुक्रवार को मुख्यमंत्री सचिवालय में मुख्यमंत्री परिवार आर्थिक सहायता योजना की समीक्षा बैठक की. इस दौरान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, मुख्य सचिव विजय देव और सभी जिलाधिकारी मौजूद रहे. समीक्षा बैठक के दौरान सीएम ने योजना के तहत जनता को आ रही समस्या पर अधिकारियों को आइना दिखाने के लिए बैठक में एक पीड़ित को बुलाया और आपबीती कहने को कहा. पीड़ित ने बताया कि मेरे पिता की कोरोना से मौत पर एक शिक्षक ने मेरे घर आकर फार्म भरवाया और सत्यापन करने का लेटर भी दिया.
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इसके बाद मेरे पास फोन आया कि आपको ऑनलाइन फार्म भरना होगा. मैने ऑनलाइन आवेदन जमा भी जमा कर दिया. फिर SDM कार्यालय से फोन आया कि आप सारे डॉक्यूमेंट लेकर आइए और भौतिक सत्यापन कराइए. साथ ही, मुझसे RT-PCR रिपोर्ट भी मांगी गई. मेरे पास RT-PCR रिपोर्ट नहीं है. तब कहा गया कि RT-PCR रिपोर्ट अवश्य चाहिए. इसके बाद मैं एसडीएम कार्यालय जाकर अपनी समस्या बताई, तब उन्होंने सत्यापित किया कि मेरे पिता की कोरोना से मौत हुई थी. पीड़ित की ओर से बताई गई आपबीती के बाद समीक्षा बैठक में मौजूद अधिकारी भी हैरान रह गए. मुख्य सचिव विजय देव ने भी नाराजगी जाहिर की.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अधिकारी एक-एक आवेदक के घर जाएं और सत्यापन करके उसे तत्काल सहायता राशि प्रदान करें. इसके लिए मृत्यु प्रमाण पत्र की कोई जरूरत नहीं है. हमारे पास मृतक की सत्यापित सूची है. साथ ही, सर्वाइविंग मेंबर सर्टिफिकेट की भी कोई जरूरत नहीं है. अगर सर्वाइविंग मेंबर पति या पत्नी है, तो पूरी राशि उसे दे दिया जाए और अगर सर्वाइविंग मेंबर दो या तीन बच्चे हैं, तो राशि सब में बराबर-बराबर बांट दिया जाए.
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बता दें कि कोरोना से हुई मौत मामले में परिवार वालों को सरकारी सहायता देने के लिए मुख्यमंत्री परिवार आर्थिक सहायता योजना के अंतर्गत एकमुश्त अनुग्रह राशि (50 हजार रुपए) प्राप्त करने के लिए 25 हजार 709 आवेदन आए हैं. इसमें से स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एमएचए की सूची से 24 हजार 475 आवेदनों का मिलान कर लिया गया है. इन आवेदकों के घर का विजिट करने के लिए 1130 टीमें बनाई गई हैं और 2019 कर्मचारी लगाए गए हैं. सत्यापन के दौरान 1250 लोगों ने अनुग्रह राशि लेने से इन्कार कर दिया है. वहीं स्वास्थ्य विभाग ने 24 हजार 475 आवेदकों में से 9043 आवेदकों को योजना से लाभांवित करने की मंजूरी प्रदान की है और अभी तक 7163 लाभार्थियों के खाते में अनुग्रह राशि भेजी गई है. वहीं, 1425 आवेदनों को विभिन्न कारणों से रद्द कर दिया गया है. अभी तक इनके खाते में एक करोड़ 56 लाख 57 हजार 500 रुपए ट्रांसफर किया जा चुके हैं.