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DDA देगा अनाधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक, पोर्टल पर करना होगा रजिस्ट्रेशन

पीएम अनऑथराइज्ड कॉलोनी दिल्ली आवास अधिकार योजना के तहत 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों के 50 लाख से अधिक निवासियों को समयबद्ध तरीके से मालिकाना हक दिया जाना है. इसके लिए डीडीए ने 4 जीआईएस सर्वे फर्मों को पैनल पर लिया है.

unauthorized colonies registration
अनाधिकृत कॉलोनियां दिल्ली
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Published : Dec 12, 2019, 11:40 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक देने के लिए डीडीए ने चार कंपनियों को जीआईएस सर्वे के लिए जिम्मेदारी सौंपी है. जो लोग अनाधिकृत कालोनी में अपने प्लॉट, मकान का मालिकाना हक पाना चाहते हैं उन्हें पहले डीडीए के पोर्टल पर जाकर खुद को पंजीकृत कराना होगा. और उसके बाद इन कंपनियों से संपर्क करना होगा.

DDA देगा अनाधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक

यह कंपनी सर्वे कर रिपोर्ट देगी जिसके बाद मालिकाना हक दिया जाएगा. डीडीए ने लोगों को जानकारी देने के लिए 25 जगह पर अपने काउंटर भी खोले हैं.

1731 अनाधिकृत कॉलोनियों को दिया जाना है मालिकाना हक
पीएम अनऑथराइज्ड कॉलोनीज इन दिल्ली आवास अधिकार योजना के तहत 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों के 50 लाख से अधिक निवासियों को समयबद्ध तरीके से मालिकाना हक दिया जाना है. इसके लिए डीडीए ने 4 जीआईएस सर्वे फर्मों को पैनल पर लिया है. इनके नाम जियोकानो इंडिया, एयरो सर्वे प्राइवेट लिमिटेड, डीएसआर सर्विस और जियोड कंसल्टेंसी हैं. अनाधिकृत कॉलोनी के निवासी अपने जियो कोऑर्डिनेटर और की-प्लान प्राप्त करने के लिए पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद इन फर्मो से संपर्क कर सकते हैं.


डीडीए के पोर्टल पर करें पंजीकरण
डीडीए ने अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को मालिकाना हक प्रदान करने के लिए पंजीकरण हेतु पहले ही अपना पोर्टल ओपन कर दिया है. इन कॉलोनियों के निवासियों को आधारभूत सूचना उपलब्ध करवाकर www.delhi.ncog.gov.in पर पंजीकृत करवाने की सलाह दी गई है.
पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के बाद आवेदक जीआईएस सर्वे कंपनी से संपर्क करेंगे. यह फर्म जिओ कोऑर्डिनेटर की योजना तैयार करने के लिए उनकी लोकेशन पर आएगी. उसके बाद जीआईएस फर्म डीडीए के पोर्टल पर जिओ कोऑर्डिनेटर और योजना को अपलोड करेगी. लोड होने के बाद जिओ कोऑर्डिनेट आईडी जनरेट हो जाएगी जो जीआईएस द्वारा आवेदकों को दे दी जाएगी.

आवेदन के समय करें यह आवश्यक काम
आवेदन पत्र भरते समय आवेदकों को यह ध्यान रखना होगा कि वह इस आईडी को अवश्य भरें. अनाधिकृत कॉलोनियों के नाम के अनुरूप संबंधित जीआईएस एजेंसियों का नाम डीडीए की वेबसाइट पर पीएम उदय लिंक के अंतर्गत अपलोड किया गया है.

डीडीए कर रहा तेजी से काम
पोर्टल पर सीमाओं का सीमांकन और निर्धारण जोरदार तरीके से डीडीए द्वारा किया जा रहा है और मैप चित्रों को समयबद्ध तरीके से अपलोड किया जा रहा है. आरडब्लूए से भी पोर्टल पर सीमाओं के संबंध में उनके सुझाव प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. डीडीए ने मालिकाना हक प्रदान करने के लिए सभी अनिवार्य सहायता प्रदान हेतु विभिन्न स्थानों पर 25 हेल्प डेस्क भी बनाए हैं.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक देने के लिए डीडीए ने चार कंपनियों को जीआईएस सर्वे के लिए जिम्मेदारी सौंपी है. जो लोग अनाधिकृत कालोनी में अपने प्लॉट, मकान का मालिकाना हक पाना चाहते हैं उन्हें पहले डीडीए के पोर्टल पर जाकर खुद को पंजीकृत कराना होगा. और उसके बाद इन कंपनियों से संपर्क करना होगा.

DDA देगा अनाधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक

यह कंपनी सर्वे कर रिपोर्ट देगी जिसके बाद मालिकाना हक दिया जाएगा. डीडीए ने लोगों को जानकारी देने के लिए 25 जगह पर अपने काउंटर भी खोले हैं.

1731 अनाधिकृत कॉलोनियों को दिया जाना है मालिकाना हक
पीएम अनऑथराइज्ड कॉलोनीज इन दिल्ली आवास अधिकार योजना के तहत 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों के 50 लाख से अधिक निवासियों को समयबद्ध तरीके से मालिकाना हक दिया जाना है. इसके लिए डीडीए ने 4 जीआईएस सर्वे फर्मों को पैनल पर लिया है. इनके नाम जियोकानो इंडिया, एयरो सर्वे प्राइवेट लिमिटेड, डीएसआर सर्विस और जियोड कंसल्टेंसी हैं. अनाधिकृत कॉलोनी के निवासी अपने जियो कोऑर्डिनेटर और की-प्लान प्राप्त करने के लिए पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद इन फर्मो से संपर्क कर सकते हैं.


डीडीए के पोर्टल पर करें पंजीकरण
डीडीए ने अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को मालिकाना हक प्रदान करने के लिए पंजीकरण हेतु पहले ही अपना पोर्टल ओपन कर दिया है. इन कॉलोनियों के निवासियों को आधारभूत सूचना उपलब्ध करवाकर www.delhi.ncog.gov.in पर पंजीकृत करवाने की सलाह दी गई है.
पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के बाद आवेदक जीआईएस सर्वे कंपनी से संपर्क करेंगे. यह फर्म जिओ कोऑर्डिनेटर की योजना तैयार करने के लिए उनकी लोकेशन पर आएगी. उसके बाद जीआईएस फर्म डीडीए के पोर्टल पर जिओ कोऑर्डिनेटर और योजना को अपलोड करेगी. लोड होने के बाद जिओ कोऑर्डिनेट आईडी जनरेट हो जाएगी जो जीआईएस द्वारा आवेदकों को दे दी जाएगी.

आवेदन के समय करें यह आवश्यक काम
आवेदन पत्र भरते समय आवेदकों को यह ध्यान रखना होगा कि वह इस आईडी को अवश्य भरें. अनाधिकृत कॉलोनियों के नाम के अनुरूप संबंधित जीआईएस एजेंसियों का नाम डीडीए की वेबसाइट पर पीएम उदय लिंक के अंतर्गत अपलोड किया गया है.

डीडीए कर रहा तेजी से काम
पोर्टल पर सीमाओं का सीमांकन और निर्धारण जोरदार तरीके से डीडीए द्वारा किया जा रहा है और मैप चित्रों को समयबद्ध तरीके से अपलोड किया जा रहा है. आरडब्लूए से भी पोर्टल पर सीमाओं के संबंध में उनके सुझाव प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. डीडीए ने मालिकाना हक प्रदान करने के लिए सभी अनिवार्य सहायता प्रदान हेतु विभिन्न स्थानों पर 25 हेल्प डेस्क भी बनाए हैं.

Intro:नई दिल्ली
अनधिकृत कॉलोनियों का मालिकाना हक देने के लिए डीडीए ने चार कंपनियों को जीआईएस सर्वे के लिए जिम्मेदारी सौंपी है. जो लोग अनधिकृत कालोनी में अपने प्लॉट, मकान का मालिकाना हक पाना चाहते हैं, उन्हें पहले डीडीए के पोर्टल पर जाकर खुद को पंजीकृत कराना होगा और उसके बाद इन कंपनियों से संपर्क करना होगा. यह कंपनी सर्वे कर रिपोर्ट देगी जिसके बाद मालिकाना हक दिया जाएगा. डीडीए ने लोगों को जानकारी देने के लिए 25 जगह पर अपने काउंटर भी खोले हैं.


Body:पीएम अनऑथराइज्ड कॉलोनी इन दिल्ली आवास अधिकार योजना के तहत 1731 अनधिकृत कॉलोनियों के 50 लाख से अधिक निवासियों को समयबद्ध तरीके से मालिकाना हक दिया जाना है. इसके लिए डीडीए ने 4 जीआईएस सर्वे फर्मों को पैनल पर लिया है. इनके नाम जियोकानो इंडिया, एयरो सर्वे प्राइवेट लिमिटेड, डीएसआर सर्विस और जियोड कंसल्टेंसी हैं. अनधिकृत कॉलोनी के निवासी अपने जियो कोऑर्डिनेटर और की-प्लान प्राप्त करने के लिए पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद इन फर्मो से संपर्क कर सकते हैं.


डीडीए के पोर्टल पर करें पंजीकरण
डीडीए ने अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को मालिकाना हक प्रदान करने के लिए पंजीकरण हेतु पहले ही अपना पोर्टल ओपन कर दिया है. इन कॉलोनियों के निवासियों को आधारभूत सूचना उपलब्ध करवाकर www.delhi.ncog.gov.in पर पंजीकृत करवाने की सलाह दी गई है. पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के बाद आवेदक जीआईएस सर्वे कंपनी से संपर्क करेंगे. यह फर्म जिओ कोऑर्डिनेटर की योजना तैयार करने के लिए उनकी लोकेशन पर आएगी. उसके बाद जीआईएस फर्म डीडीए के पोर्टल पर जिओ कोऑर्डिनेटर और योजना को अपलोड करेगी. लोड होने के बाद जिओ कोऑर्डिनेट आईडी जनरेट हो जाएगी जो जीआईएस द्वारा आवेदकों को दे दी जाएगी.



आवेदन के समय करें यह आवश्यक काम
आवेदन पत्र भरते समय आवेदकों को यह ध्यान रखना होगा कि वह इस आईडी को अवश्य भरें. अनधिकृत कॉलोनियों के नाम के अनुरूप संबंधित जीआईएस एजेंसियों का नाम डीडीए की वेबसाइट पर पीएम उदय लिंक के अंतर्गत अपलोड किया गया है.





Conclusion:डीडीए कर रहा तेजी से काम
पोर्टल पर सीमाओं का सीमांकन और निर्धारण जोरदार तरीके से डीडीए द्वारा किया जा रहा है और मैप चित्रों को समयबद्ध तरीके से अपलोड किया जा रहा है. आरडब्लूए से भी पोर्टल पर सीमाओं के संबंध में उनके सुझाव प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. डीडीए ने मालिकाना हक प्रदान करने के लिए सभी अनिवार्य सहायता प्रदान हेतु विभिन्न स्थानों पर 25 हेल्प डेस्क भी बनाए हैं.
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