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दौलत राम कॉलेज: चेयरपर्सन का आदेश मानने से प्रिंसिपल का इनकार - ABVP

नई दिल्ली: डीयू से सम्बद्ध दौलत राम कॉलेज में छात्र संघ में पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर विवाद थम नहीं रहा है. दरअसल कॉलेज प्रिंसिपल ने कॉलेज चेयरपर्सन द्वारा की गई नियुक्ति को खारिज कर दिया है.

दौलत राम कॉलेज: चेयरपर्सन का आदेश मानने से प्रिंसिपल का इनकार
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Published : Feb 13, 2019, 10:24 PM IST

Updated : Feb 13, 2019, 11:11 PM IST

हाल ही में कॉलेज चेयरमैन ने एनएसयूआई की चुनाव में उम्मीदवार रही सोनिया सहरावत की को-प्रेसिडेंट के तौर पर नियुक्ति की थी. इसके बाद प्रिंसिपल द्वारा जारी नोटिस में सोनिया का नाम नहीं है.

दौलत राम कॉलेज: चेयरपर्सन का आदेश मानने से प्रिंसिपल का इनकार
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कॉलेज की प्रिंसिपल सविता रॉय का कहना है कि कॉलेज का छात्र संघ का चुनाव बिल्कुल निष्पक्ष तरीके से करवाया गया था और वोटों की गिनती में भी कोई गड़बड़ नहीं हुई थी. प्रिंसिपल द्वारा जारी नोटिस में सोनिया सहरावत की बतौर को- प्रेसिडेंट नियुक्ति नहीं की गई है. यहां तक कि स्टूडेंट एडवाइजरी बोर्ड ने भी चुनाव में हुई गड़बड़ी के आरोप की निंदा की है. बोर्ड का कहना है कि नतीजों के बाद भी किसी तरह की गड़बड़ नहीं की गई बिल्कुल निष्पक्ष तरीके से चुनाव हुआ.


नियुक्ति को प्रिंसिपल ने किया खारिज
बता दें कि इस मामले में कॉलेज चेयरमैन ने सोनिया सहरावत जो कि छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए एनएसयूआई की प्रत्याशी थी. उन्हें बतौर को- प्रेसिडेंट नियुक्ति की थी. जिसे प्रिंसिपल ने खारिज कर दिया.
इस मामले में सोनिया सहरावत ने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ कर के एबीवीपी की प्रत्याशी दीक्षा वर्मा को छात्रसंघ अध्यक्ष बना दिया गया था. छात्र संघ का चुनाव जो हुआ था तो उस वक्त अध्यक्ष पद को लेकर गड़बड़ सामने आई थी और अध्यक्ष पद के अलावा एनएसयूआई का पूरा पैनल जीत गया था. इसको लेकर एनएसयूआई ने विरोध प्रदर्शन भी किया था.

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सोनिया ने बताया कि हमें पहले आश्वासन दिया गया था कि दोबारा चुनाव करवाए जाएंगे लेकिन प्रिंसिपल ने कहा कि राजनीतिक दबाव के चलते कॉलेज यूनियन के इलेक्शन दोबारा नहीं करवाए जा सकते.

'वोटों की संख्या अलग-अलग थी'
सोनिया ने कहा कि अध्यक्ष पद और बाकी पदों पर डाले गए वोटों की संख्या अलग-अलग थी. जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया था बाद में कॉलेज प्रशासन ने कहा कि केवल जनरल सेक्रेटरी के पोस्ट पर गड़बड़ हुई थी और जनरल सेक्रेटरी पद के सभी दावेदारों को जनरल सेक्रेटरी पद पर नियुक्त कर दिया गया .


उस वक्त एनएसयूआई ने शिकायत की थी कि वे कॉलेज चुनाव नतीजों से संतुष्ट नहीं है. आरोप था कि कुछ छात्रों ने बिना साइन किए वोट डाले थे हर पोस्ट के लिए अलग अलग संख्या में वोट पड़े थे. इस मामले में दोबारा इलेक्शन किए जाने की मांग की जा रही थी.


सोनिया का कहना है कि इस मामले में कॉलेज चेयर पर्सन ने मेरा साथ दिया जबकि कॉलेज की प्रिंसिपल मुझे नियुक्त किए जाने के खिलाफ थी. सोनिया ने कहा कि कॉलेज साफ तौर पर स्वीकार कर रहा है कि ईवीएम में गड़बड़ हुई थी.

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हाल ही में कॉलेज चेयरमैन ने एनएसयूआई की चुनाव में उम्मीदवार रही सोनिया सहरावत की को-प्रेसिडेंट के तौर पर नियुक्ति की थी. इसके बाद प्रिंसिपल द्वारा जारी नोटिस में सोनिया का नाम नहीं है.

दौलत राम कॉलेज: चेयरपर्सन का आदेश मानने से प्रिंसिपल का इनकार
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कॉलेज की प्रिंसिपल सविता रॉय का कहना है कि कॉलेज का छात्र संघ का चुनाव बिल्कुल निष्पक्ष तरीके से करवाया गया था और वोटों की गिनती में भी कोई गड़बड़ नहीं हुई थी. प्रिंसिपल द्वारा जारी नोटिस में सोनिया सहरावत की बतौर को- प्रेसिडेंट नियुक्ति नहीं की गई है. यहां तक कि स्टूडेंट एडवाइजरी बोर्ड ने भी चुनाव में हुई गड़बड़ी के आरोप की निंदा की है. बोर्ड का कहना है कि नतीजों के बाद भी किसी तरह की गड़बड़ नहीं की गई बिल्कुल निष्पक्ष तरीके से चुनाव हुआ.


नियुक्ति को प्रिंसिपल ने किया खारिज
बता दें कि इस मामले में कॉलेज चेयरमैन ने सोनिया सहरावत जो कि छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए एनएसयूआई की प्रत्याशी थी. उन्हें बतौर को- प्रेसिडेंट नियुक्ति की थी. जिसे प्रिंसिपल ने खारिज कर दिया.
इस मामले में सोनिया सहरावत ने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ कर के एबीवीपी की प्रत्याशी दीक्षा वर्मा को छात्रसंघ अध्यक्ष बना दिया गया था. छात्र संघ का चुनाव जो हुआ था तो उस वक्त अध्यक्ष पद को लेकर गड़बड़ सामने आई थी और अध्यक्ष पद के अलावा एनएसयूआई का पूरा पैनल जीत गया था. इसको लेकर एनएसयूआई ने विरोध प्रदर्शन भी किया था.

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सोनिया ने बताया कि हमें पहले आश्वासन दिया गया था कि दोबारा चुनाव करवाए जाएंगे लेकिन प्रिंसिपल ने कहा कि राजनीतिक दबाव के चलते कॉलेज यूनियन के इलेक्शन दोबारा नहीं करवाए जा सकते.

'वोटों की संख्या अलग-अलग थी'
सोनिया ने कहा कि अध्यक्ष पद और बाकी पदों पर डाले गए वोटों की संख्या अलग-अलग थी. जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया था बाद में कॉलेज प्रशासन ने कहा कि केवल जनरल सेक्रेटरी के पोस्ट पर गड़बड़ हुई थी और जनरल सेक्रेटरी पद के सभी दावेदारों को जनरल सेक्रेटरी पद पर नियुक्त कर दिया गया .


उस वक्त एनएसयूआई ने शिकायत की थी कि वे कॉलेज चुनाव नतीजों से संतुष्ट नहीं है. आरोप था कि कुछ छात्रों ने बिना साइन किए वोट डाले थे हर पोस्ट के लिए अलग अलग संख्या में वोट पड़े थे. इस मामले में दोबारा इलेक्शन किए जाने की मांग की जा रही थी.


सोनिया का कहना है कि इस मामले में कॉलेज चेयर पर्सन ने मेरा साथ दिया जबकि कॉलेज की प्रिंसिपल मुझे नियुक्त किए जाने के खिलाफ थी. सोनिया ने कहा कि कॉलेज साफ तौर पर स्वीकार कर रहा है कि ईवीएम में गड़बड़ हुई थी.

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दौलत राम कॉलेज छात्र संघ मामले में प्रिंसिपल ने कॉलेज चेयरपर्सन द्वारा की गई नियुक्ति को किया खारिज


नई दिल्ली


दिल्ली विश्विद्यालय से सम्बद्ध दौलत राम कॉलेज में छात्र संघ में पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर विवाद थम नही रहा है. दरअसल कॉलेज प्रिंसिपल ने कॉलेज चेयरपर्सन द्वारा की गई नियुक्ति को खारिज कर दिया है. हाल ही में कॉलेज चेयरमैन ने एनएसयूआई की चुनाव में उम्मीदवार रही सोनिया सहरावत की को-प्रेजिडेंट के तौर पर नियुक्ति की थी. इसके बाद प्रिंसिपल द्वारा जारी नोटिस में सोनिया का नाम नही है.


Body:कॉलेज की प्रिंसिपल सविता रॉय का कहना है कि कॉलेज का छात्र संघ का चुनाव बिल्कुल निष्पक्ष तरीके से करवाया गया था और वोटों की गिनती में भी कोई गड़बड़ नहीं हुई थी. प्रिंसिपल द्वारा जारी नोटिस में सोनिया सहरावत की बतौर को- प्रेसिडेंट नियुक्ति नहीं की गई है . यहां तक कि स्टूडेंट एडवाइजरी बोर्ड ने भी चुनाव में हुई गड़बड़ी के आरोप की निंदा की है . बोर्ड का कहना है कि नतीजों के बाद भी किसी तरह की गड़बड़ नहीं की गई बिल्कुल निष्पक्ष तरीके से चुनाव हुआ .

बता दें कि इस मामले में कॉलेज चेयरमैन ने सोनिया सहरावत जो कि छात्र संघ चुनाव में अध्य्क्ष पद के लिए एनएसयूआई की प्रत्याशी थी कि बतौर को- प्रेसिडेंट नियुक्ति की थी जिसे प्रिंसिपल ने खारिज कर दिया.

इस मामले में सोनिया सहरावत ने कहा कि ईवीएम में गड़बड़ कर के एबीवीपी की प्रत्याशी दीक्षा वर्मा को छात्रसंघ अध्यक्ष बना दिया गया था . छात्र संघ का चुनाव जो हुआ था तो उस वक्त अध्यक्ष पद पर को लेकर गड़बड़ सामने आई थी और अध्यक्ष पद के अलावा एनएसयूआई का पूरा पैनल जीत गया था. इसको लेकर एनएसयूआई ने विरोध प्रदर्शन भी किया था. सोनिया ने बताया कि हमें पहले आश्वासन दिया गया था कि दोबारा चुनाव करवाए जाएंगे लेकिन प्रिंसिपल ने कहा कि राजनीतिक दबाव के चलते कॉलेज यूनियन के इलेक्शन दोबारा नहीं करवाए जा सकते . सोनिया ने कहा कि अध्यक्ष पद और बाकी पदों पर डाले गए वोटों की संख्या अलग-अलग थी. जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया था बाद में कॉलेज प्रशासन ने कहा कि केवल जनरल सेक्रेटरी के पोस्ट पर गड़बड़ हुई थी. और जनरल सेक्रेटरी पद के सभी दावेदारों को जनरल सेक्रेटरी पद पर नियुक्त कर दिया गया .
उस वक्त एनएसयूआई ने शिकायत की थी कि वे कॉलेज चुनाव नतीजों से संतुष्ट नहीं .आरोप था कि कुछ छात्रों ने बिना साइन किए वोट डाले थे हर पोस्ट के लिए अलग अलग संख्या में वोट पड़े थे इस मामले में दोबारा इलेक्शन किए जाने की मांग की जा रही थी.








Conclusion: सोनिया का कहना है कि इस मामले में कॉलेज चेयर पर्सन ने मेरा साथ दिया जबकि कॉलेज की प्रिंसिपल मुझे नियुक्त किए जाने के खिलाफ थी. सोनिया ने कहा कि कॉलेज साफ तौर पर स्वीकार कर रहा है कि ईवीएम में गड़बड़ हुई थी .
Last Updated : Feb 13, 2019, 11:11 PM IST
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