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किरोड़ीमल कॉलेज में 2 दिवसीय दलित साहित्य महोत्सव का आयोजन

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में दलित साहित्य उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य दलितों से जुड़े लेखन, साहित्य और संस्कृति को समाज के सामने लाना है.

दलित साहित्य उत्सव
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Published : Feb 3, 2019, 2:44 PM IST

मुख्यातिथि मेधा पाटकर ने कहा कि इस दलित साहित्य उत्सव का बहुत अहम योगदान है. इस उत्सव के जरिए साहित्य और साहित्यकारों की परिभाषा व्यापक हुई है. जो लोग इस व्यवस्था का प्रतिरोध करते हैं और चुनौती देने का काम करते हैं, उनको एकजुट करने का काम इस साहित्य उत्सव के माध्यम से किया जा रहा है.

अलग विचारों को एक मंच

मेधा पाटकर का कहना है कि आज अलग-अलग विचारों को एक मंच पर लाना बहुत जरूरी है. जो अलग-अलग विचारों से दलित और शोषित की आवाज उठाते हैं, उनको सामने लाना और एक विकल्प प्रदान करना इस साहित्य उत्सव के माध्यम से हो सकता है.

4 फरवरी तक चलेगा महोत्सव

उन्होंने कहा कि आज के समय में जब अत्याचार किए जा रहे हैं और संविधान को कुचला जा रहा है तो ये दलित साहित्य उत्सव एक नई ताकत देने का काम करेगा. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में ये दो दिवसीय दलित साहित्य उत्सव सोमवार 4 फरवरी तक चलेगा.

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मुख्यातिथि मेधा पाटकर ने कहा कि इस दलित साहित्य उत्सव का बहुत अहम योगदान है. इस उत्सव के जरिए साहित्य और साहित्यकारों की परिभाषा व्यापक हुई है. जो लोग इस व्यवस्था का प्रतिरोध करते हैं और चुनौती देने का काम करते हैं, उनको एकजुट करने का काम इस साहित्य उत्सव के माध्यम से किया जा रहा है.

अलग विचारों को एक मंच

मेधा पाटकर का कहना है कि आज अलग-अलग विचारों को एक मंच पर लाना बहुत जरूरी है. जो अलग-अलग विचारों से दलित और शोषित की आवाज उठाते हैं, उनको सामने लाना और एक विकल्प प्रदान करना इस साहित्य उत्सव के माध्यम से हो सकता है.

4 फरवरी तक चलेगा महोत्सव

उन्होंने कहा कि आज के समय में जब अत्याचार किए जा रहे हैं और संविधान को कुचला जा रहा है तो ये दलित साहित्य उत्सव एक नई ताकत देने का काम करेगा. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में ये दो दिवसीय दलित साहित्य उत्सव सोमवार 4 फरवरी तक चलेगा.

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दलित साहित्य उत्सव ना सिर्फ मौजूदा व्यवस्था को चुनौती बल्कि एक विकल्प भी: मेधा पाटकर


दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में दलित साहित्य उत्सव का आयोजन किया गया है. इस उत्सव में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद मेधा पाटकर ने कहा कि यह दलित साहित्य उत्सव ना सिर्फ मौजूदा व्यवस्था को को चुनौती देने का काम करता है बल्कि यह अपने आप में एक विकल्प भी देता है.


Body:मुख्य मेधा पाटकर ने कहा कि इस दलित साहित्य उत्सव का बहुत अहम योगदान है. इस उत्सव के जरिए साहित्य और साहित्यकारों की परिभाषा व्यापक हुई है जो इस व्यवस्था को का प्रतिरोध करते हैं चुनौती देने का काम करते हैं उन को एकजुट करने का काम इस साहित्य उत्सव के माध्यम से किया जा रहा है.
आज अलग-अलग विचारों को एक मंच पर लाना बहुत जरूरी है और जो अलग-अलग विचारों से दलित व शोषित वंचित की आवाज उठती है उसको सामने लाना और एक विकल्प प्रदान करना इस साहित्य उत्सव के माध्यम से हो सकता. अलग अलग माध्यम से आवाजों को बुलंद किया जा रहा है .
मेधा पाटकर ने कहा कि आज के समय में जब जुल्म अत्याचार किए जा रहे हैं और संविधान को कुचला जा रहा है यह दलित साहित्य उत्सव एक नई ताकत देने का काम करेगा.


Conclusion:बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में यह दो दिवसीय दलित साहित्य उत्सव सोमवार 4 फरवरी तक चलेगा.
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