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अंसल समूह पर कसा NGT का शिकंजा, पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर 150 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना - अंसाली पर 150 करोड़ का जुर्माना

गुड़गांव स्थित सुशांत लोक फेज वन प्रोजेक्ट में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन को लेकर अंसल के खिलाफ 150 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया है. यह जुर्माना एनजीटी ने तीन महीने के भीतर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के पास जमा करने का निर्देश दिया है.

National Green Tribunal
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Published : Jul 6, 2022, 10:09 AM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal) ने अंसल समूह के गुरुग्राम स्थित सुशांत लोक फेज वन के प्रोजेक्ट में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने पर 153 करोड़ पचास लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने जुर्माने की ये रकम तीन महीने के भीतर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के पास जमा करने का निर्देश दिया.

सुशांत लोक वन के निवासियों ने अंसल के खिलाफ 2018 में एनजीटी (National Green Tribunal) में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि प्रोजेक्ट के सी ब्लॉक के ग्रीन बेल्ट की भूमि और सड़कों पर अतिक्रमण किया गया है. भूजल का अवैध रूप से दोहन किया जा रहा है. याचिका में कहा गया था कि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है. सीवर का पानी बरसाती नालों में गिराया जा रहा है. इसके साथ ही इस प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी (Environment Clearance) नहीं ली गई थी.

NGT ने कहा कि पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन हुआ है

एनजीटी ने कहा कि जुर्माने की इस रकम का उपयोग इलाके में पर्यावरण की बहाली पर खर्च होगा. याचिका में कहा गया था कि इस प्रोजेक्ट में अंसल समूह को 45 फीसदी जमीन सड़क, ओपन स्पेस, स्कूल, कॉमन एरिया के लिए छोड़नी थी, जो उसने नहीं छोड़ी है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal) ने अंसल समूह के गुरुग्राम स्थित सुशांत लोक फेज वन के प्रोजेक्ट में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने पर 153 करोड़ पचास लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने जुर्माने की ये रकम तीन महीने के भीतर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के पास जमा करने का निर्देश दिया.

सुशांत लोक वन के निवासियों ने अंसल के खिलाफ 2018 में एनजीटी (National Green Tribunal) में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि प्रोजेक्ट के सी ब्लॉक के ग्रीन बेल्ट की भूमि और सड़कों पर अतिक्रमण किया गया है. भूजल का अवैध रूप से दोहन किया जा रहा है. याचिका में कहा गया था कि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है. सीवर का पानी बरसाती नालों में गिराया जा रहा है. इसके साथ ही इस प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी (Environment Clearance) नहीं ली गई थी.

NGT ने कहा कि पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन हुआ है

एनजीटी ने कहा कि जुर्माने की इस रकम का उपयोग इलाके में पर्यावरण की बहाली पर खर्च होगा. याचिका में कहा गया था कि इस प्रोजेक्ट में अंसल समूह को 45 फीसदी जमीन सड़क, ओपन स्पेस, स्कूल, कॉमन एरिया के लिए छोड़नी थी, जो उसने नहीं छोड़ी है.

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