नई दिल्ली: शालीमार बाग इलाके के एक ज्वैलर गौरव गुप्ता द्वारा साल 2018 में आत्महत्या करने के मामले में साकेत कोर्ट ने गुरुवार को डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) के चार अफसरों को बतौर आरोपी समन जारी किया है. कोर्ट ने चारों को आत्महत्या के लिए उकसाने के तहत समन जारी किया है. बता दें कि इन अफसरों ने 24 अप्रैल 2018 में गौरव के घर, ऑफिस और दुकान में छापेमारी की थी. और अगले दिन गौरव और उनके पिता को पूछताछ के लिए अपने ऑफिस ले आए थे. इसी बीच गौरव ने खिड़की से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट शिवानी चौहान ने क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में परमिंदर, निशांत, मुकेश और रविंद्र पर आईपीसी की आठ धाराओं के तहत अपराध के लगाए गए आरोपों पर संज्ञान लिया. साथ ही कोर्ट ने डीआरआई अफसरों को कानून तोड़ने का आरोपी माना और निदेशालय को निर्देश दिया कि वह छापेमारी के दौरान अधिकारियों के लिए बने दिशानिर्देशों पर पुनर्विचार करे.
उनमें बाकी नियमों के साथ कोर्ट के निर्देशों को भी शामिल किया जाए. सीएमएम ने आगे कहा कि छापेमारी के दौरान आरोपितों ने गौरव को उसके परिवार और महिलाकर्मियों के सामने प्रताड़ित किया था. यही बर्ताव उसके साथ डीआरआई ऑफिस में भी किया गया, जहां अफसर रविंद्र भी शामिल था. रातभर चली छापेमारी के बाद गौरव को उसके परिवारवालों या वकील तक से बात करने का मौका नहीं दिया गया.
अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को
कोर्ट ने यह भी गौर किया कि पुलिस जैसी एजेंसियों के लिए गाइडलाइंस और सेफगार्ड हैं, लेकिन डीआरआई के लिए ऐसा कुछ नहीं है. यह देखते हुए कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को तय की है. बता दें कि यह केस गौरव के पिता अशोक गुप्ता की शिकायत पर दर्ज हुआ था.
गौरव के पिता ने लगाया था हत्या का आरोप
गौरव के पिता अशोक गुप्ता ने डीआरआई ऑफिस में अपने बेटे की हत्या का आरोप लगाया था. उनका कहना था कि पूछताछ के दौरान उनके बेटे को पीटे जाने और उसके रोने की आवाजें आ रही थीं. हालांकि, जांच में हत्या का आरोप साबित नहीं हुआ और मामला आत्महत्या के लिए उकसाने का बना. कोर्ट भी इसी नतीजे पर पहुंची कि गौरव की हत्या नहीं हुई थी. अब कोर्ट को तय करना है कि गौरव ने अपनी मर्जी से अपने जीवन को खत्म किया था या डीआरआई ऑफिस में उसके साथ कुछ हुआ था, जिसने उसे आत्महत्या के लिए उकसाया.
क्या है डीआरआई
डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) एक भारतीय खुफिया एजेंसी है जिसका काम तस्करी और अन्य अवैध व्यापारिक गतिविधियों को रोकना और उनकी जांच करना है.
अधिकारियों के लिए ये हैं गाइडलाइंस
- छापेमारी के लिए गई टीम वीडियो रिकॉर्डिंग करे, जिससे यह सुनिश्चित हो कि छापेमारी के दौरान भी किसी नियम का उल्लंघन न हो.
- आरोपी को कानूनी मदद लेने की पूरी छूट हो. इसके लिए वकील से बात करने दी जाए.
- कोई भी गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ न हो. आरोपी को भी बताया जाना चाहिए कि उसे क्यों गिरफ्तार किया गया है. पूछताछ का ऑडियो-वीडियो रिकॉर्ड होना चाहिए.
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