नई दिल्लीः पटियाला हाउस कोर्ट ने एयर इंडिया की फ्लाइट में एक बुजुर्ग महिला पर पेशाब करने वाले आरोपी शंकर मिश्रा की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है. अतिरिक्त सेशन जज हरज्योत सिंह भल्ला ने सोमवार को उनकी याचिका को सुरक्षित रख लिया और कहा कि इस पर फैसला मंगलवार को सुनाया जाएगा. बहस के दौरान कोर्ट ने पाया कि जिस गवाह को जांच एजेंसी ने नामित किया है, वह उसके पक्ष में गवाही नहीं दे रहा है. इसलिए शिकायतकर्ता के बयान और इला बेनर्जी (गवाह) के बयान में विरोधाभास है.
आरोपी के वकील रमेश गुप्ता ने कोर्ट में शंकर मिश्रा का पक्ष सबमिट किया. इसमें शंकर ने कहा था, "मुझे मजिस्ट्रेट कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि मेरा आचरण संतोषजनक नहीं था और जांच लंबित थी. लेकिन अब पुलिस ने फ्लाइट के चालक दल सहित अन्य सदस्यों और गवाहों से पूछताछ हो चुकी है. शिकायतकर्ता ने टिकट की भरपाई के लिए कहा था और मेरे खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने की मांग की गई थी.
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश लोक अभियोजक ने शंकर मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा, "शंकर मिश्रा ने पुलिस की जांच में सहयोग कोई सहयोग नहीं किया है, इसलिए उनकी जमानत याचिका खारिज की जानी चाहिए. उन्होंने एक बुजुर्ग व्यक्ति पर पेशाब किया है. इसके साथ ही उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया है. उसने अपने सभी मोबाइल फोन बंद कर दिए थे, फिर हमने उसे IMEI नंबर के जरिए ट्रेस किया था. आरोपी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम किया है. हाल ही में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका ने खारिज कर दी थी.
क्या है मामलाः दरअसल, 26 नवंबर को न्यूयार्क से दिल्ली आ रहे एयर इंडिया के एक विमान में एक बुजुर्ग महिला पर एक शख्स ने पेशाब कर दिया था. पेशाब करने वाले शख्स की पहचान एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करनेवाले युवक शंकर मिश्रा के तौर पर हुई. उसके खिलाफ दिल्ली पुलिस के कहने पर आव्रजन ब्यूरो ने लुक आउट सर्कुलर (LOC) जारी किया था. बताया गया कि वह मुंबई का निवासी है.
यह मामला तब सामने आया जब टाटा समूह की चेयरपर्सन को महिला का पत्र मीडिया में आया. अमेरिकी कंपनी वेल्स फार्गो में काम करने वाले मिश्रा को कंपनी ने नौकरी से निकाल दिया. वहीं उसे चार महीने के लिए एयर इंडिया पर चढ़ने के लिए भी बैन कर दिया गया. वहीं, डीजीसीए ने भी एयर इंडिया पर बड़ी कार्रवाई की थी. एविएशन रेगुलेटर ने एयरलाइन पर 30 लाख रुपए का फाइन लगाया था. इतना ही नहीं फ्लाइट के पायलट-इन-कमांड का लाइसेंस भी तीन महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया था. डीजीसीए ने तीन लाख रुपए का फाइन डायरेक्टर-इन-फ्लाइट सर्विस पर भी लगाया था.
(इनपुट- ANI)
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