नई दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट में सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शराब घोटाले में दूसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर सुनवाई हुई. इसमें कोर्ट ने तीन व्यक्तियों और उनसे संबंधित पांच फर्मों के नाम शामिल होने के बिंदुओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया. विशेष सीबीआई जज एमके नागपाल ने ईडी के वकीलों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखने का निर्णय लिया.
कोर्ट ने संज्ञान बिंदु पर आदेश पारित करने के लिए एक मई की तिथि निर्धारित की है. बताया गया कि है कि राघव मगुन्टा, राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा तथा इन तीन आरोपितों से संबंधित पांच फर्मों के विरुद्ध ईडी ने चार्जशीट दायर की है. ईडी ने अदालत को सूचित किया कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) की भूमिका की जांच के लिए आगे की जांच जारी है. इसमें विभिन्न आरोपों पर अभियुक्तों और अन्य व्यक्तियों को नामजद किया गया है.
ED ने कहा पर्याप्त सबूतः ईडी की ओर से अधिवक्ता जोहैब हुसैन और नवीन कुमार मट्टा पेश हुए. ईडी ने कहा कि इन आरोपितों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के आरोप को स्थापित करने के लिए रिकॉर्ड में पर्याप्त सबूत हैं. हाल में कोर्ट ने इस मामले में राघव मगुन्टा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. गौतम मल्होत्रा और राजेश जोशी की जमानत याचिका पर पहले ही राउज एवेन्यू कोर्ट ने विचार कर लिया था.
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इससे पहले सप्लीमेंट्री चार्जशीट में 12 अभियुक्तों (विजय नायर, शरथ रेड्डी, बिनॉय बाबू, अभिषेक बोइनपल्ली, अमित अरोड़ा) और सात कम्पेशंस को नामजद किया गया था. ईडी ने समीर महेंद्रू और उनकी संबंधित फर्मों के खिलाफ मामले में पहली चार्जशीट दायर की थी. ईडी ने अभी तक दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और व्यवसायी अमनदीप सिंह ढल के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं की है.
नेता और कारोबारी का है नामः अमनदीप सिंह ढल को एक मार्च और सिसोदिया को नौ मार्च 2023 को ईडी ने गिरफ्तार किया था. पंजाब के कारोबारी गौतम मल्होत्रा शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के पूर्व विधायक और शराब कारोबारी दीप मल्होत्रा का बेटा है. राघव मगुंटा वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदस्य ओंगोल मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी का बेटा है और राजेश जोशी रथ प्रोडक्शन मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का मालिक है. जोशी ने 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) का चुनाव प्रचार अभियान चलाया था.
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ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि उत्पाद शुल्क नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं. लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया. लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस की बढ़ाया गया. लाभार्थियों ने आरोपी अधिकारियों को अवैध लाभ दिया और पता लगने से बचने के लिए अपने खाते की पुस्तकों में गलत प्रविष्टियां कीं. इस मामले में प्राथमिकी दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर दर्ज की गई थी.