नई दिल्ली: पटियाला हाउस कोर्ट ने जयराम नरेश और कारवां मैगजीन को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने ये समन उस आपराधिक मानहानि मामले में जारी किया जो एनएसए अजित डोभाल के बेटे विवेक डोभाल ने दायर किया था.
आपको बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जयराम रमेश और कारवां मैगजीन और उसके रिपोर्टर को समन जारी किया है. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल की कोर्ट ने आरोपियों को 25 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इस मामले पर पिछले 22 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
11 फरवरी को बयान दर्ज कराए गए
जानकारी के अनुसार पिछले 11 फरवरी को दो लोगों ने पटियाला हाउस कोर्ट में अपने बयान दर्ज कराए थे. जिन लोगों ने अपने बयान दर्ज कराए थे उनमें विवेक डोभाल के बिजनेस पार्टनर अमित शर्मा और उनके दोस्त निखिल कपूर शामिल हैं.
शौर्य डोभाल का कोई लेना-देना नहीं
अमित शर्मा ने अपने बयान में कहा था कि उनके हेज फंड के खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं. अमित शर्मा ने कहा था कि उन लोगों को ये बताना काफी मुश्किल है जो इस क्षेत्र के फंक्शनिंग को नहीं जानते हैं. आम लोग हमारे कठिन मेहनत से अर्जित की गई प्रतिष्ठा के बारे में भी नहीं जानते हैं. उन्होंने कहा था कि विवेक डोभाल के भाई शौर्य डोभाल का हमारे बिजनेस से कोई लेना-देना नहीं है.
मैगजीन के आलेख से करियर तबाह
अमित शर्मा ने कहा था कि उन्हें ये बात तब पता चली कि अजीत डोभाल विवेक डोभाल के पिता हैं जब वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बन गए. बिजनेस के शुरू में ही ये तय था कि विवेक डोभाल के पिता के नाम का उपयोग नहीं किया जाएगा. अमित शर्मा ने कहा था कि मैगजीन में आलेख छापकर हमारे प्रोफेशनल करियर को तबाह कर दिया गया. उन्होंने कहा था कि जब मुझे उस आलेख के बारे में पता चला तो मुझे काफी गुस्सा आया था.
मीडिया की बात पर भरोषा दुर्भाग्यपूर्ण
दूसरे गवाह निखिल कपूर ने कहा था कि आलेख पढ़ने के बाद मुझे काफी निराशा हुई क्योंकि मुझे लगा कि इसमें सच्चाई होगी. जब विवेक से मेरी बात हुई तो मुझे पता चला कि ये चरित्र हनन करने के लिए छापा गया था. निखिल कपूर ने कहा था कि विवेक और मेरे पिताजी ने देश की सेवा के लिए वर्दी पहनी. उनका नैतिकता काफी ऊंची है.
उन्होंने कहा था कि ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने मीडिया में कही हर बात पर भरोसा किया. इस आलेख को लेकर विवेक की सफाई भी आई लेकिन हमारे कई दोस्त मैगजीन में छपी खबर को सही मानते हैं.
अजीत डोभाल ने पूछी खबर की सच्चाई
पिछले 30 जनवरी को विवेक डोभाल ने अपने बयान में कहा था कि वे एक ब्रिटिश नागरिक होने के साथ-साथ भारत के ओवरसीज सिटिजन भी हैं. उन्होंने अपनी बीएससी और एमएससी की डिग्री लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से और सीएफए की डिग्री अमेरिका से हासिल की थी. उन्होंने कहा था कि, हमने ये याचिका आरोपियों के खिलाफ उनके मानहानि वाले आरोपों के खिलाफ दायर किया है.
विवेक डोभाल ने कहा था कि 17 जनवरी को उनके पिता अजीत डोभाल ने कारवां मैगजीन में छपे आलेख की सच्चाई के बारे में पूछा. इससे मैं काफी दुखी हुआ था क्योंकि मैंने हमेशा प्रोफेशनल तरीके से काम किया है.
कालाधन का लगाया था गंभीर आरोप
विवेक डोभाल ने कहा था कि आलेख का शीर्षक डी कंपनी था और उसमें मेरे पिताजी की तस्वीर छपी थी. आलेख में मेरे परिवार और पिताजी पर सवाल उठाए गए हैं. आलेख में मेरे उपक्रम जीएनवाई एशिया फंड पर मनी लाउंड्रिंग का आरोप लगाया गया है. आलेख में कहा गया है कि 8300 करोड़ रुपए का काला धन भारत लाया गया.
अजीत डोभाल को बनाया गया निशाना
इस आलेख से मेरे करियर और मेरे बिजनेस को काफी नुकसान हुआ. मेरी छवि धूमिल करने की कोशिश की गई. उन्होंने कहा था कि 17 जनवरी को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रेस कांफ्रेंस कर आधारहीन आरोप लगाए. मुझे एक सॉफ्ट टारगेट बनाया गया जबकि असली टारगेट मेरे पिता हैं.