नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट ने साल 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के एक मामले में जांच में लापरवाही बरतने वाले जांच अधिकारी के खिलाफ पुलिस कमिश्नर को जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने नए जांच अधिकारी को संबंधित मामले की सही तरीके से जांच पूरी करने के लिए 13 दिसंबर 2023 तक का समय दिया है. कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारियों को सजग किया जाए कि किसी भी वजह से कोर्ट का समय बर्बाद ना होने पाए. बता दें कि गोकलपुरी इलाके में 24 और 25 फरवरी 2020 को हुए दंगों में पुलिस ने निखिल, विकास और मनोज को आरोपी बनाया था. फिलहाल तीनों आरोपी जमानत पर हैं.
नए जांच अधिकारी उपनिरीक्षक अरविंद वर्मा ने अदालत में अर्जी दाखिल कर कहा कि जांच के दौरान जिन बाकी मामलों को एक साथ मिलाया गया था वह उनकी सही तारीख और समय के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहते हैं. जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि चार्जशीट में घटनाओं का ब्योरा ऐसे शिकायती और गवाहों के बयानों पर आधारित है जो घटना के चश्मदीद नहीं थे.
कोर्ट ने नए जांच अधिकारी को इसकी अनुमति देने के साथ पुराने जांच अधिकारी की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि पहले वाले जांच अधिकारी को इस संबंध में निर्देश दिए गए थे, लेकिन उन्होंने सही गवाहों को कोर्ट में पेश नहीं किया. जांच अधिकारी के इस लापरवाहीपूर्ण रवैया की वजह से कोर्ट का काफी समय बर्बाद हुआ.
अदालत ने आगे कहा कि पहले वाले आईओ ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल की थी, लेकिन नए जांच अधिकारी द्वारा दाखिल की गई अर्जी से जांच की गुणवत्ता का पता चलता है. इस तरह की लापरवाही पर अंकुश लगाने और कोर्ट का समय बर्बाद होने से बचाने के लिए अदालत ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से पुराने जांच अधिकारी के खिलाफ जांच कराने का आदेश दिया है. अदालत ने आदेश की कॉपी पुलिस कमिश्नर को भी भेजने का आदेश दिया है.
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