नई दिल्ली/नूंह: भारत में 1 मई से 18 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को कोरोना वैक्सीन लगनी शुरु हो गई है. लेकिन लोगों में जागरुकता की कमी और अव्यवस्थाओं के चलते ये अभियान अब दम तोड़ता नजर आ रहा है. हरियाणा के सबसे पिछड़े जिले नूंह के हालात यहीं बयां कर रहे हैं. दरअसल 18 साल से ऊपर के किसी भी इंसान को वैक्सीन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होता है. बिना रजिस्ट्रेशन के आप कोरोना वैक्सीन नहीं लगवा सकते.
ये भी पढ़ें- मेरठ टोल पर दिखा हत्या का आरोपी पहलवान सुशील कुमार, सीसीटीवी में कैद हुई तस्वीर
नूंह के ज्यादातर गांव ऐसे हैं जहां मोबाइल के लिए नेटवर्क नहीं आता. इंटरनेट सिग्नल और कोरोना वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन की बात तो आप छोड़ ही दीजिए. रफीक अहमद नाम के ग्रामीण ने बताया कि यहां ज्यादातर लोगों के पास छोटा फोन है. स्मार्ट फोन नहीं होने की वजह से वो रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पा रहे. दूसरा जिले में ज्यादातर गांव ऐसे हैं जहां मोबाइल के लिए नेटवर्क नहीं है.
नूंह में साक्षरता दर की कमी
नूंह में सिर्फ मोबाइल फोन और नेटवर्क ही नहीं. बड़ी समस्या साक्षरता दर की भी है. 2011 की जनगणना के मुताबिक नूंह की साक्षरता दर 56.1% फीसदी है. ज्यादातर लोगों को वैक्सीन की प्रक्रिया के बारे में पता तक नहीं है. अगर पता भी है तो उनके पास स्मार्ट फोन नहीं है. स्मार्ट फोन है भी तो नेटवर्क नहीं है. जिनको पता है वो शहर में जाकर वैक्सीन लगवा रहे हैं. अब बड़ा सवाल तो ये कि बिना नेटवर्क, बिना स्मार्ट फोन और बिना जागरुकता के सरकार का ये वैक्सीनेशन अभियान कैसे पूरा होगा.
सुभान और रमेश कुमार नाम के ग्रामीणों ने बताया कि गांवों में लोग अनपढ़ हैं. जिसकी वजह से कोरोना वैक्सीन की पूरी जानकारी तक नहीं. दूसरा यहां लोगों के पास स्मार्ट फोन नहीं है. नेटवर्क की समस्या भी यहां बहुत रहती है. इसलिए यहां कोरोना की वैक्सीन नहीं लग पा रही है.
ना तो स्मार्ट फोन, ना ही मोबाइल नेटवर्क
हरियाणा का मुस्लिम बाहुल्य नूंह में कोरोना वैक्सीन अभियान सिर्फ कागजों तक ही सीमित है. स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि कोरोना वैक्सीन की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए. ताकि हर किसी को आसानी से ये वैक्सीन लग सके. स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन को ऑफलाइन कर दिया जाए तो इस समस्या का समाधान हो सकता है.
जानें क्या बोले डिप्टी सिविल सर्जन
जब इस बारे में ईटीवी भारत ने जब डिप्टी सिविल सर्जन डॉक्टर बसंत दुबे से बातचीत की. तो उन्होंने भी कम साक्षरता दर और नेटवर्क की समस्या को कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में रोडा माना. उन्होंने सरकार के सामने प्रस्ताव रखा कि अगर कोरोना वैक्सीनेशन के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की अनुमति मिल जाए तो सभी इलाकों को आसानी से कवर किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें- जरूरत पड़ी तो ब्लैक फंगस को घोषित करेंगे महामारी: अरविंद केजरीवाल
एक कड़वा सच ये भी है कि प्रदेश में वैक्सीन की भी कमी है. जिसकी वजह से लोग लंबी-लंबी कतार में खड़े होने को मजबूर हैं. ऐसे में नूंह जैसे पिछड़े इलाकों में वैक्सीन पहुंचाना सरकार और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. पहले ही कोरोना की दूसरी लहर गांवों में मौत का पैगाम लेकर आई है. अगर वक्त रहते सरकार और प्रशासन ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं.