नई दिल्ली: दिल्ली में 10 साल बाद एक बार फिर नगर निगम पहले की तरह एक होने जा रहा है. तीनों नगर निगमों के एकीकरण एवं सीटों की संख्या 250 तक सीमित करने से दिल्ली में कम से कम 26 विधानसभा क्षेत्रों की संरचना प्रभावित होगी. विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2011 की जनगणना को ध्यान में रखते हुए 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 24 में निगम वार्डों की संख्या घटेगी जबकि दो विधानसभा में बढ़ जाएगी. तीनों निगमों में वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 करने से परिसीमन आयोग का गठन और हर वार्ड का फिर से सीमांकन होना भी तय है और यह जल्द शुरू होने वाला है.
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार नई दिल्ली नगरपालिका परिषद और दिल्ली छावनी बोर्ड क्षेत्रों को छोड़कर तीनों नगर निगम क्षेत्र की कुल जनसंख्या 1.64 करोड़ है. नगर निगम मामलों के विशेषज्ञ जगदीश ममगांईं के मुताबिक पुनः एकीकृत निगम में नए बनने वाले प्रत्येक वार्ड की आबादी लगभग 65 हजार 675 होगी. इस संख्या के आधार पर 250 वार्डों की सीमाएं इस तरह से खींचनी होंगी कि विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी में बदलाव न होने पाए. लिहाजा 24 विधानसभा क्षेत्रों में निगम के वार्डों की संख्या कम हो जाएगी जबकि दो निर्वाचन क्षेत्रों में यह संख्या बढ़ जाएगी.
दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिल चुकी है. अब केंद्र एक परिसीमन आयोग का गठन करेगा इसकी अध्यक्षता उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश और सदस्य के रूप में दो सेवानिवृत्त नौकरशाह होंगे. कुछ मामले राज्य चुनाव आयुक्त को भी परिसीमन आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकता है. 2015-16 में नगर निगम के वार्डों के परिसीमन के दौरान भी ऐसा ही हुआ था.
जगदीश ममगांई के अनुसार परिसीमन आयोग में 10 सदस्य भी होंगे. पांच विधायकों और पांच नगर पार्षद होंगे और 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या के असमान वितरण के साथ नगर निगम के वार्ड की सीमाओं का पूरा निर्धारण आयोग द्वारा किया जाएगा. एक बार ड्राफ्ट रिपोर्ट बन जाने के बाद परिसीमन आयोग इसे राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों के साथ उनकी प्रतिक्रिया के लिए साझा करेगा. उनकी सुझावों को समायोजित करने के बाद एक नए ड्राफ्ट रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा. सूत्रों की मानें तो परिसीमन की इस कवायद में कम से कम एक साल लगने की संभावना है. जबकि राज्य चुनाव आयोग को चुनाव की तैयारी करने के लिए कुछ महीने लगेंगे इस प्रकार नगर निगम चुनाव 2023 में होने की संभावना है.
बता दें कि दिल्ली की तीनों नगर निगम को एकीकृत करने के लिए दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2022 को गत 18 अप्रैल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है. अब केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय की ओर से भी उसे अधिसूचित कर दिया गया है. इस अधिसूचना के बाद से ही अब तीनों दिल्ली नगर निगम नॉर्थ, साउथ और ईस्ट को दिल्ली नगर निगम के रूप में माना जाएगा. सरल शब्दों में कहें तो तीनों नगर निगम का एकीकरण हो चुका है. जिसके तहत अब चुनाव के बाद नगर निगम के प्रमुख एक होंगे. चुनाव के बाद राजधानी दिल्ली में नगर निगम का तीन की बजाय एक ही मेयर होगा और तीन निगम कमिश्नर की बजाय पूरे निगम का एक ही कमिश्नर होगा.
दिल्ली के अंदर तीनों नगर निगमों के वर्तमान समय में आर्थिक बदहाली और परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए तीनों नगर निगमों के एकीकरण की कदम की विशेषज्ञों और कानूनी जानकारों द्वारा सराहना की जा रही है. सभी का मानना है कि निगमों के एकीकरण हो जाने के बाद न सिर्फ आर्थिक दशा कुछ हद तक ठीक हो जाएगी बल्कि राजधानी दिल्ली में विकास की रफ्तार बढ़ेगी. लोगों तक मूलभूत सुविधाएं भी बेहतर तरीके से पहुंच पाएंगी.
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