नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली के छात्रों द्वारा बढ़ती मेस फीस के खिलाफ प्रदर्शन के बाद आईआईटी प्रशासन ने मेस फीस संबंधी कुछ चिंताओं पर गौर करने के लिए संबंधित छात्रों के साथ सोमवार को बैठक की. इसमें संबंधित छात्रों और प्रशासन के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति बनाने का निर्णय लिया गया. यह संयुक्त समिति मेस फीस कम करने की दिशा में उपाय तलाशने का काम करेगी.
समिति अन्य बड़े महानगरों में इसी तरह के मेस का तुलनात्मक अध्ययन भी करेगी. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आईआईटी दिल्ली में विभिन्न छात्रावासों में मेस छात्रों द्वारा अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से चलाए जाते हैं, जिनके पास मेस खातों तक पारदर्शी पहुंच होती है. छात्रों के साथ बैठक के बाद प्रशासन ने छात्रों को मेस फीस की बकाया राशि जमा करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल तक बढ़ा दी गई है.
सोमवार को आईआईटी दिल्ली के छात्रों को प्रतिनिधिमंडल और आईआईटी के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी और डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स के साथ खुली बैठक के बाद छात्रों ने अपना विरोध समाप्त कर दिया. वहीं, प्रशासन ने यह भी साफ कर दिया कि डिफाल्टरों को आईआईटी के चुनाव में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी. छात्रों ने आज डोगरा हॉल में आईआईटी दिल्ली के निदेशक से मुलाकात की थी.
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उल्लेखनीय है कि छात्रों को संबोधित मेल में डीन छात्र कल्याण ने चुनाव को लेकर कहा था कि 10 अप्रैल को छात्रावासों में मेस फीस के बकाएदारों की सूची प्रदर्शित की जाएगी. इसलिए इससे पहले अपना बकाया चुकाएं. नामांकन दाखिल करने से पहले छात्र को सभी बकाया राशि का भुगतान करना चाहिए था. अब छात्रों के विरोध और अब प्रशासन के साथ बैठक के बाद प्रशासन ने चुनाव में हिस्सा लेने के लिए इन दोनों शर्तों में छूट दे दी है.
बता दें, छात्रों ने हाल ही में दावा किया कि था कि औसत मेस शुल्क बढ़ाकर लगभग सात हजार रुपए प्रति माह कर दिया गया है. कुछ छात्रों ने कहा कि मेस फीस में बढ़ोतरी का मुख्य कारण कर्मचारियों के वेतन को फीस से निकलना शामिल था. एक छात्र ने बताया कि मेस फीस में लगातार वृद्धि ने छात्रों के पास छात्रावास छोड़ने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं छोड़ा था.