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CM Vs LG: जैस्मीन शाह को पद से हटाने की LG की सिफारिश को CM ने किया खारिज - उपराज्यपाल वीके सक्सेना

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल की डीडीसीडी के वाइस चेयरमैन जैस्मीन शाह को पद से हटाने की सिफारिश (LGs recommendation to remove Jasmine Shah) को खारिज कर दिया है. उन्होंने यह कहा है कि उपराज्यपाल को इस मामले में कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है.

LGs recommendation to remove Jasmine Shah
LGs recommendation to remove Jasmine Shah
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Published : Dec 10, 2022, 9:58 AM IST

Updated : Dec 10, 2022, 11:29 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली संवाद एवं विकास आयोग (डीडीसी) के वाइस चेयरमैन जैस्मीन शाह को पद से हटाने की उपराज्यपाल की सिफारिश (LGs recommendation to remove Jasmine Shah) को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खारिज कर दिया है. डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमिशन के चेयरमैन की हैसियत से मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए इस निर्णय से एक बार फिर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच खींचतान तेज हो गई है.

सीएम कार्यालय के सूत्र बताते हैं कि उपराज्यपाल की सिफारिश, प्लानिंग विभाग के आदेश और जैस्मीन शाह के खिलाफ की गई शिकायत का बारीकी से विश्लेषण करने और इस संबंध में सामने आए तथ्यों के आधार पर मुख्यमंत्री ने जैस्मीन शाह को पद पर बनाए रखने का निर्णय लिया है. अपने आदेश में अरविंद केजरीवाल ने ऑन रिकॉर्ड यह कहा है कि उपराज्यपाल को डीडीसीडी के मामलों में मिली इस तरह की किसी भी शिकायत पर ऐसी कोई भी कार्रवाई करने का कानूनी रूप से कोई अधिकार नहीं है.

मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए बने सीसीएस कंडक्ट रूल्स, दिल्ली डेवलपमेंट कमिशन यानी डीडीसीडी के वाइस चेयरमैन पर लागू नहीं होते हैं, क्योंकि यह एक ऑनरेरी पद है. ये नियम केवल सिविल सर्विस या सिविल पोस्ट पर नियुक्त अधिकारियों पर ही लागू होते हैं. जबकि डीडीसीडी के वाइस चेयरमैन की नियुक्ति दिल्ली कैबिनेट के द्वारा की जाती है और इसे हटाने का अधिकार भी केवल डीडीसीडी के चेयरमैन को है.

सीएम केजरीवाल ने यह भी लिखा है कि डीडीसीडी, सरकार की एडवाइजरी बॉडी है जो विकास कार्यों को लेकर अपने सुझाव सरकार को देती है. फैसले लेने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती है. डीडीसीडी के वाइस चेयरमैन को दिल्ली सरकार के मंत्री का समकक्ष दर्जा जरूर दिया गया है, लेकिन उसकी पावर किसी मंत्री की पावर से अधिक नहीं है. केवल उन्हें मिलने वाले मानदेय के पेमेंट और प्रोटोकॉल के उद्देश्य से यह दर्जा दिया गया है. तमाम कानूनों के आधार पर मुख्यमंत्री ने अरविंद केजरीवाल की सिफारिश को पूरी तरह से खारिज करते हुए प्लानिंग विभाग से अपने 17 नवंबर के आदेश और उसके आधार पर की गई कार्रवाई को तुरंत वापस लेने का निर्देश दिया है.

बता दें कि पिछले महीने उपराज्यपाल के निर्देश पर दिल्ली सरकार के प्लानिंग विभाग में एक आदेश जारी करके जैस्मीन शाह को मिली सभी सरकारी सुविधाएं वापस ले ली थी. साथ ही सिविल लाइंस और दिल्ली सचिवालय स्थित जनता के दफ्तरों को भी सील कर दिया गया था. जैस्मीन शाह पर पद के दुरुपयोग और प्रशासनिक नियमों की अवहेलना का आरोप लगाते हुए बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने सितंबर में उपराज्यपाल के पास एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी. उसी शिकायत के जांच के बाद उपराज्यपाल के निर्देश पर जैस्मीन शाह के खिलाफ कार्रवाई की गई थी.

इससे पहले कोर्ट ने जैसमिन शाह की याचिका पर सुनवाई करते हुए उपराज्यपाल से पक्ष स्पष्ट करने का निर्देश दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति जसवंत वर्मा की सिंगल बेंच ने मामले में उपराज्यपाल के क्षेत्राधिकार और न्यायिक अधिकार को लेकर विवेचना करने को कहा था. इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने एलजी के अधिवक्ता से कहा था कि वह एलजी कार्यालय से निर्देश लें. अदालत ने कहा था कि वह इस मामले में एलजी द्वारा प्रयोग की जा सकने वाली शक्ति के दायरे की जांच भी करेगी.

यह भी पढ़ें-केंद्र सरकार को किसी भी तरह से न्यायाधीशों की नियुक्ति को नियंत्रित करने नहीं देना चाहिएः राघव चड्ढा

पद के दुरुपयोग का लगा आरोप: बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा जैस्मीन शाह को दिल्ली संवाद एवं विकास आयोग के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. इसके साथ ही डीडीसीडी के कार्यालय को भी सील कर दिया गया था. इतना ही नहीं, उनका सरकारी वाहन और स्टाफ भी वापस ले लिया गया. जैस्मिन शाह पर एलजी वीके सक्सेना ने पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया था. इसके बाद शाह की ओर से उनके वकील चिराग मदान ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसमें उपराज्यपाल के निर्णय को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया गया है.

शुरू से स्पष्ट था मुख्यमंत्री का रुख: सीएम केजरीवाल ने कहा था की एलजी को डीडीसीडी मामले में कार्रवाई का अधिकार बिल्कुल नहीं है. उन्होंने तर्क दिया था कि जैस्मिन शाह को कैबिनेट ने नियुक्त किया है, इसलिए कैबिनेट ही उनपर कार्रवाई कर सकती है. मामले को लेकर उन्होंने कहा था कि जैस्मिन को कैबिनेट द्वारा नियुक्ति किया गया है, इसलिए कैबिनेट ही इस मामले में कार्रवाई कर सकता है.

नई दिल्ली: दिल्ली संवाद एवं विकास आयोग (डीडीसी) के वाइस चेयरमैन जैस्मीन शाह को पद से हटाने की उपराज्यपाल की सिफारिश (LGs recommendation to remove Jasmine Shah) को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खारिज कर दिया है. डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमिशन के चेयरमैन की हैसियत से मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए इस निर्णय से एक बार फिर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच खींचतान तेज हो गई है.

सीएम कार्यालय के सूत्र बताते हैं कि उपराज्यपाल की सिफारिश, प्लानिंग विभाग के आदेश और जैस्मीन शाह के खिलाफ की गई शिकायत का बारीकी से विश्लेषण करने और इस संबंध में सामने आए तथ्यों के आधार पर मुख्यमंत्री ने जैस्मीन शाह को पद पर बनाए रखने का निर्णय लिया है. अपने आदेश में अरविंद केजरीवाल ने ऑन रिकॉर्ड यह कहा है कि उपराज्यपाल को डीडीसीडी के मामलों में मिली इस तरह की किसी भी शिकायत पर ऐसी कोई भी कार्रवाई करने का कानूनी रूप से कोई अधिकार नहीं है.

मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए बने सीसीएस कंडक्ट रूल्स, दिल्ली डेवलपमेंट कमिशन यानी डीडीसीडी के वाइस चेयरमैन पर लागू नहीं होते हैं, क्योंकि यह एक ऑनरेरी पद है. ये नियम केवल सिविल सर्विस या सिविल पोस्ट पर नियुक्त अधिकारियों पर ही लागू होते हैं. जबकि डीडीसीडी के वाइस चेयरमैन की नियुक्ति दिल्ली कैबिनेट के द्वारा की जाती है और इसे हटाने का अधिकार भी केवल डीडीसीडी के चेयरमैन को है.

सीएम केजरीवाल ने यह भी लिखा है कि डीडीसीडी, सरकार की एडवाइजरी बॉडी है जो विकास कार्यों को लेकर अपने सुझाव सरकार को देती है. फैसले लेने में उसकी कोई भूमिका नहीं होती है. डीडीसीडी के वाइस चेयरमैन को दिल्ली सरकार के मंत्री का समकक्ष दर्जा जरूर दिया गया है, लेकिन उसकी पावर किसी मंत्री की पावर से अधिक नहीं है. केवल उन्हें मिलने वाले मानदेय के पेमेंट और प्रोटोकॉल के उद्देश्य से यह दर्जा दिया गया है. तमाम कानूनों के आधार पर मुख्यमंत्री ने अरविंद केजरीवाल की सिफारिश को पूरी तरह से खारिज करते हुए प्लानिंग विभाग से अपने 17 नवंबर के आदेश और उसके आधार पर की गई कार्रवाई को तुरंत वापस लेने का निर्देश दिया है.

बता दें कि पिछले महीने उपराज्यपाल के निर्देश पर दिल्ली सरकार के प्लानिंग विभाग में एक आदेश जारी करके जैस्मीन शाह को मिली सभी सरकारी सुविधाएं वापस ले ली थी. साथ ही सिविल लाइंस और दिल्ली सचिवालय स्थित जनता के दफ्तरों को भी सील कर दिया गया था. जैस्मीन शाह पर पद के दुरुपयोग और प्रशासनिक नियमों की अवहेलना का आरोप लगाते हुए बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने सितंबर में उपराज्यपाल के पास एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी. उसी शिकायत के जांच के बाद उपराज्यपाल के निर्देश पर जैस्मीन शाह के खिलाफ कार्रवाई की गई थी.

इससे पहले कोर्ट ने जैसमिन शाह की याचिका पर सुनवाई करते हुए उपराज्यपाल से पक्ष स्पष्ट करने का निर्देश दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति जसवंत वर्मा की सिंगल बेंच ने मामले में उपराज्यपाल के क्षेत्राधिकार और न्यायिक अधिकार को लेकर विवेचना करने को कहा था. इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने एलजी के अधिवक्ता से कहा था कि वह एलजी कार्यालय से निर्देश लें. अदालत ने कहा था कि वह इस मामले में एलजी द्वारा प्रयोग की जा सकने वाली शक्ति के दायरे की जांच भी करेगी.

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पद के दुरुपयोग का लगा आरोप: बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा जैस्मीन शाह को दिल्ली संवाद एवं विकास आयोग के उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. इसके साथ ही डीडीसीडी के कार्यालय को भी सील कर दिया गया था. इतना ही नहीं, उनका सरकारी वाहन और स्टाफ भी वापस ले लिया गया. जैस्मिन शाह पर एलजी वीके सक्सेना ने पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया था. इसके बाद शाह की ओर से उनके वकील चिराग मदान ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसमें उपराज्यपाल के निर्णय को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया गया है.

शुरू से स्पष्ट था मुख्यमंत्री का रुख: सीएम केजरीवाल ने कहा था की एलजी को डीडीसीडी मामले में कार्रवाई का अधिकार बिल्कुल नहीं है. उन्होंने तर्क दिया था कि जैस्मिन शाह को कैबिनेट ने नियुक्त किया है, इसलिए कैबिनेट ही उनपर कार्रवाई कर सकती है. मामले को लेकर उन्होंने कहा था कि जैस्मिन को कैबिनेट द्वारा नियुक्ति किया गया है, इसलिए कैबिनेट ही इस मामले में कार्रवाई कर सकता है.

Last Updated : Dec 10, 2022, 11:29 AM IST
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