नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा के आखिरी सत्र के जरिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी. उन्होंने एक तीर से कई शिकार साधने की कोशिश की. विधानसभा की चर्चा को आधार बनाकर उन्होंने वो बातें दोहरा डाली, जो आम तौर पर चुनाव प्रचार के दौरान जनसभाओं में नेता करते हैं.
दिल्ली सरकार ने स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और स्किल यूनिवर्सिटी बिल पास किया. ये दोनों योजनाएं युवाओं के लिए सपना पूरा होने जैसी हैं. मगर सरकार ने साफ कहा कि ये तभी संभव हो पाएगा जब उनकी सरकार सत्ता में दोबारा वापसी करेगी.
ताकि पक्ष में आएं युवा
इन दोनों बिलों के जरिए केजरीवाल सरकार ने युवाओं को अभी से अपने पक्ष में करने की शुरुआत कर दी है. मुख्यमंत्री ने विधानसभा में जो बयान दिए उससे साफ है कि केजरीवाल ने ये कदम मंझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह सूझबूझ से उठाया और विधानसभा से जनता को अपनी अगली सरकार का पहला एजेंडा भी बता डाला.
'तेजी से काम करेगी सरकार'
उन्होंने साफ कर दिया कि जिस तरह पिछला चुनाव जीतने के एक महीने के भीतर बिजली बिल, हाफ पानी बिल माफ का काम किया था. उसी तरह दिल्ली में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और स्किल यूनिवर्सिटी पर सरकार तेजी से काम करेगी. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने इस सत्र में इन दोनों यूनिवर्सिटी के बनाए जाने का संकल्प लेकर ये संदेश दिया कि अगली सरकार का पहला काम यही होगा.
कैग की रिपोर्ट का हवाला
विपक्ष दिल्ली में केजरीवाल सरकार के कार्यकाल के दौरान विकास कार्य नहीं होने का आरोप लगाता रहा है. लेकिन कैग ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली की अर्थव्यवस्था को बेहतर बताया है और सरकार के बजट को सरप्लस भी बताया. इससे गदगद अरविंद केजरीवाल सरकार ये कहने से नहीं चूकी कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि दिल्ली सरकार ने भ्रष्टाचार नहीं किया, फिजूलखर्ची को कम किया.
असफल रही बीजेपी?
विधानसभा के अंतिम सत्र में सरकार की रणनीति थी कि हर कीमत पर विपक्ष की आवाज को दबाया जाए. इस कारण विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों से सरकार भागती नजर आई. सरकार ने विपक्ष को जनहित से जुड़े हुए किसी भी मामले को सदन में रखने की अनुमति नहीं दी. बीजेपी इन दिनों दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनी और दूषित पानी के मुद्दे पर सरकार को घेरना चाहती थी, लेकिन उसमें भी वो सफल नहीं हो पाई.
बता दें कि चालू वित्त वर्ष में इस वर्ष मात्र 12 दिन विधानसभा की बैठक रखी गई. जबकि पिछले वर्ष 32 दिन तक विधानसभा की बैठकें चली. वर्ष 2017 में 21 दिन, 2016 में 15 दिन और 2015 में 26 दिन बैठक रखी गई थी.