नई दिल्लीः दिल्ली मेयर के चुनाव में हुए हंगामे पर AAP और BJP आमने-सामने आ गई है. CM अरविंद केजरीवाल ने LG वीके सक्सेना पर बड़ा और गंभीर आरोप लगाया है. पत्र लिखकर MCD संकट पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि मैं और आप बहुत छोटे हैं. यह देश और लोकतंत्र महत्वपूर्ण है. आइए संविधान का सम्मान करें और लोकतंत्र को मजबूत करें.
पत्र में पिछले कुछ हफ्तों में एलजी द्वारा गलत तरीके से जारी आदेशों का हवाला देते हुए कहा है कि नियमानुसार, एमसीडी में 10 सदस्यों को दिल्ली सरकार नामित करती आई है, लेकिन इस बार सरकार से बिना परामर्श किए इनको नामित कर दिया. संविधान का अनुच्छेद 243आर साफ तौर से मनोनीत सदस्यों को सदन में मतदान करने से रोकता है. उन्हें सदन में वोट दिलाने की कोशिश असंवैधानिक है. संविधान निर्वाचित सरकार को वरिष्ठ पार्षद को पीठासीन अधिकारी नामित करने का अधिकार देता है, लेकिन इसे दरकिनार किया गया.
LG और मुख्य सचिव पर समानांतर सरकार चलाने का आरोपः केजरीवाल ने कहा है कि एलजी और चीफ सेक्रेटरी मिलकर समानांतर सरकार चला रहे हैं और चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर आदेश और अधिसूचना जारी कर रहे हैं. दुर्भाग्य से दिल्ली की चुनी हुई सरकार की जगह LG के पास कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति है. इसलिए अधिकारी गलत आदेश का भी विरोध नहीं करते हैं.
CM ने पत्र में लिखा है कि भारत के संविधान के अनुसार, दिल्ली में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार है. पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि जैसे तीन ‘आरक्षित’ विषयों को छोड़कर, समवर्ती और राज्य सूचियों में अन्य सभी विषयों पर कार्यकारी नियंत्रण निर्वाचित सरकार के पास है. निर्वाचित सरकार के नियंत्रण वाले विषयों को लोकप्रिय रूप से ‘स्थानांतरित’ विषय कहा जाता है. एलजी का तीन आरक्षित विषयों पर कार्यकारी नियंत्रण है.
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बिना शक्ति का आदेश जारी करते हैं LG: पिछले कुछ हफ्तों में कुछ बहुत ही विचित्र घटनाक्रम देखने को मिले हैं. एलजी व्यावहारिक रूप से हर विषय पर सीधे आदेश जारी कर रहे हैं, चाहे वह आरक्षित हो या स्थानांतरित हो. भले ही माननीय एलजी के पास ऐसा करने की शक्तियां हों या नहीं. एलजी सीधे मुख्य सचिव को निर्देश जारी करते हैं, जो निर्वाचित सरकार को दरकिनार और अनदेखा करते हुए उन्हें पूरी तरह से लागू करवाते हैं. कोई पूछेगा कि अधिकारी एलजी के अवैध आदेशों को क्यों लागू कर रहे हैं? क्योंकि नौकरशाही पर माननीय एलजी का पूरा नियंत्रण है. एलजी के पास दिल्ली सरकार के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ स्थानांतरण, निलंबन या कोई अन्य कार्रवाई करने की शक्ति है. दुर्भाग्य से दिल्ली की चुनी हुई सरकार का कर्मचारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है. इसलिए दिल्ली सरकार के अफसरों में इतनी हिम्मत नहीं है कि एलजी के आदेश पूरी तरह से बेतुके होते हुए भी उन्हें मना कर दें.
उदाहरण देकर LG पर साधा निशानाः CM ने उदाहरण देते हुए पत्र में लिखा है कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम के अनुसार, विशिष्ट ज्ञान वाले 10 सदस्यों को राज्य सरकार द्वारा नामित किया जा सकता है. आज तक पिछले कई दशकों से इन 10 सदस्यों को हमेशा दिल्ली की चुनी हुई सरकार द्वारा मनोनीत किया जाता था. इस प्रथा का पालन पिछले उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी किया था.
इसी तरह, दिल्ली नगर निगम अधिनियम के अनुसार, पहले दिन सभी पार्षदों को शपथ दिलाने और मेयर का चुनाव कराने के लिए पार्षदों में से एक को पीठासीन अधिकारी के रूप में नामित किया जाता है, जिसके बाद मेयर पदभार ग्रहण करता है. परंपरा रही है कि सदन के वरिष्ठतम सदस्य, पार्टी संबद्धता के बावजूद, इस कार्य के लिए राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाता है.
इसी तरह के एक और मामले में, एक सुबह एलजी ने दिल्ली हज कमेटी के नाम तय किए और मुख्य सचिव को अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया. यह भी एक स्थानांतरित विषय है और केवल निर्वाचित सरकार के पास हज कमेटी गठित करने की शक्ति है. लेकिन यहां भी निर्वाचित सरकार को दरकिनार कर दिया गया.
सदन में नामित सदस्यों से वोट दिलाने की कोशिश असंवैधानिकः संविधान में निर्धारित भूमि के कानून का हवाला देते हुए, सीएम अरविंद केजरीवाल ने आज एक ट्वीट कर कहा कि संविधान का अनुच्छेद 243आर स्पष्ट रूप से नामित सदस्यों को सदन में मतदान करने से रोकता है और उन्हें सदन में मतदान कराने का प्रयास असंवैधानिक है.