नई दिल्ली: दिल्ली में लगातार छोटी उम्र के बच्चों में नशे की आदत होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. ऐसे हालातों को देखते हुए दिल्ली के सरकारी स्कूलों में जागरुकता अभियान चलाया जाएगा. दिल्ली के 70 सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को नशे और नशीली दवाओं के सेवन से होने वाले दुष्प्रभाव से बचाने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जाएगा. यह अभियान दिल्ली रेड क्रॉस सोसाइटी चलाएगी. इनमें अधिकतर सरकारी स्कूल उन इलाकों में हैं, जहां तेजी से युवा नशे की गिरफ्त में जा रहे हैं.
2016 से चलाया जा रहा अभियान: दिल्ली रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा प्रोगाम कंट्रोलर नीलमणि मिश्रा ने बताया कि सोसाइटी की तरफ से साल 2016 से नशे के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. अब तक हमने 200 स्कूल कॉलेज को कवर किया है. उन्होंने बताया कि इस साल हमने दिल्ली के 70 सरकारी स्कूलों को चिह्नित किया है. इनमें नंद नगरी, सीलमपुर, आदर्श नगर, बदरपुर सहित अन्य इलाकों से हैं. उन्होंने बताया कि नंद नगरी और सीलमपुर इलाकों में अब तक 20 फीसदी से अधिक सरकारी स्कूलों को कवर किया है.
डेढ़ घंटे चलता है अभियान: प्रोगाम कंट्रोलर ने बताया कि स्कूल में डेढ़ घंटे अभियान चलाया जाता है. इसमें हम पहले बच्चों से इंटरेक्ट करते हैं. इसके बाद उन्हें नशे के बारे में बताते हैं. उन्होंने बताया कि बच्चों को बताया जाता है कि नशे और नशीली दवाओं से उनके शरीर, दिमाग और दिल पर क्या असर पड़ता है. इसमें 20 मिनट का एक वीडियो नशे के खिलाफ दिखाते हैं. साथ ही उन्हें कुछ फोटोज दिखाई जाती हैं.इस दौरान बच्चों से सवाल जवाब लेते हैं कई बार बच्चे बताते हैं कि वह गरीब घर से हैं और उनके घर में पिता शराब पीते हैं जिसकी वजह से वह भी नशे की तरफ बढ़े.
इस दौरान उनके परिवार के लिए नशा मुक्ति केंद्र का नंबर दिया जाता है. नीलमणि ने बताया कि बच्चों से सेमिनार के बाद फीडबैक भी लिया जाता है कि इस तरह के जागरुकता अभियान से उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है. उन्होंने बताया कि कई बच्चो ने फीडबैक में बताया कि जागरुकता अभियान से उनके जीवन में काफी बदलाव आया है.
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शिक्षा विभाग ने जारी किया नोटिस: 70 सरकारी स्कूलों में नशे के खिलाफ अभियान चलाने के लिए शिक्षा विभाग ने मंजूरी दे दी है. विभाग ने प्रोग्राम संचालित होने के दौरान कुछ जरूरी निर्देश भी दिए हैं. विभाग के अनुसार अभियान के कारण स्कूलों का कामकाज बाधित नहीं होना चाहिए और छात्रों की सुरक्षा में कोई कमी नहीं आनी चाहिए. शिक्षा निदेशालय द्वारा संबंधित संस्था अथवा किसी भी व्यक्ति को वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की जायेगी. इसके अलावा डीओई की पूर्व मंजूरी के बिना और भारत सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन किए बिना परियोजना में कोई विदेशी फंडिंग शामिल नहीं होनी चाहिए. प्रोजेक्ट की प्रक्रिया में छात्रों अथवा अभिभावकों की गोपनीयता प्रभावित नहीं होनी चाहिए.
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