नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा आयोजित कराई जा रही है. 15 फरवरी से शुरू हुई परीक्षा में 21 मार्च को 10वीं की परीक्षा समाप्त होगी. वहीं, 12वीं की बोर्ड परीक्षा 5 अप्रैल को खत्म होगी, लेकिन अब तक जिन विषयों की परीक्षा हुई है, उनमें स्कूल प्रबंधन पर छात्रों को नकल कराने का गंभीर आरोप लगा है. यह एक सोची समझी प्लानिंग के तहत किया गया है, जिससे दिल्ली सरकार के स्कूलों का परिणाम दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में बेहतर आए ताकि दिल्ली सरकार शिक्षा के मुद्दे पर अपने छात्रों की पीठ थपथपा सके. बताया जा रहा है कि अगर यह आरोप सही साबित हुए तो एग्जाम रद्द हो सकता है.
दरअसल, सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज को शिकायत मिली है. इस शिकायत ने सीबीएसई को सकते में डाल दिया है. सीबीएसई ने तुरंत शिक्षा निदेशक को इस बाबत पत्र लिखा है. सीबीएसई ने शिक्षा निदेशक को लिखे पत्र में कहा है कि उन्हें 28 फरवरी को एक शिकायत मिली है, जिसमें परीक्षा केंद्रों पर नकल कराने की बात कही गई है. इस पर तत्काल उचित कार्रवाई करने की मांग की गई है.
ऐसे कराई जा रही नकलः CBSE ने बोर्ड परीक्षा के लिए सरकारी स्कूलों को परीक्षा केंद्र के तौर पर इस्तेमाल किया है. यहां छात्रों को नकल कराने के लिए स्कूल प्रबंधन आपस में ही मिले हुए हैं. उदाहरण के तौर पर ऐसे समझिए, जैसे बदरपुर विधानसभा में पांच सरकारी स्कूल हैं. यहां पांचों स्कूलों में पढ़ने वाले दसवीं और बारहवीं के छात्रों का परीक्षा केंद्र अलग-अलग स्कूलों में पड़ा है. यहां स्कूलों के प्रबंधन ने नकल कराने के लिए एक तरकीब निकाली. आप हमारे बच्चों को नकल कराओ और आपके स्कूल के बच्चों को हम नकल कराएंगे, जिससे सरकारी स्कूलों का परिणाम बेहतर हो जाए. इस संबंध में सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने शिक्षा निदेशक हिमांशु गुप्ता को पत्र लिखा है. शिक्षा निदेशक से कहा गया है कि वह सुनिश्चित करें कि परीक्षा सुचारू रूप से और निष्पक्ष रूप से आयोजित की जाए.
सीसीटीवी कर दिए बंदः सीबीएसई को मिली शिकायत में कहा गया है कि परीक्षा के समय (सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक) सीसीटीवी कैमरों को बंद कर दिया गया. तर्क यह दिया गया कि छात्रों के पैरेंट्स के पास भी सीसीटीवी कैमरा देखने का एक्सेस है. पेपर लीक हो सकता है. आगे कहा गया है कि सरकारी स्कूलों के स्कूल प्रमुखों द्वारा टीजीटी/पीजीटी शिक्षकों को एक फैसिलिटेटर के तौर पर नियुक्त किया गया है. इनका काम है परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को प्रोत्साहित/प्रेरित करना, लेकिन इनका असली काम छात्रों को नकल करने में मदद करना है और स्कूल का रिजल्ट सुधारना है.
जल्द से जल्द एक्शन लिया जाएः सीबीएसई को जो शिकायत मिली है. इसमें शिकायतकर्ता ने मांग की है कि स्कूल के सभी प्रमुखों के कमरों में 55 इंच की टीवी स्क्रीन लगाई गई है, जहां सीधे सभी कक्षाओं की लाइव स्ट्रीमिंग/रिकॉर्ड वीडियो देखा जा सकता है. सीबीएसई/फ्लाइंग स्क्वॉड स्टाफ आदि को सीसीटीवी एक्सेस (परीक्षा के दिन सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक) उपलब्ध कराया जा सकता है. ताकि वे आसानी से जांच सकें कि परीक्षा कक्षों में क्या हो रहा है. किसी भी शिक्षक को स्कूल परिसर के अंदर अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और वे संबंधित विषय के नहीं होने चाहिए. चूंकि वह विभिन्न स्कूलों के बीच एक पुल के रूप में कार्य करता है कि यदि आप मेरे छात्रों की मदद करते हैं तो मैं आपकी मदद करूंगा. शिकायतकर्ता ने मांग की है कि सीबीएसई बोर्ड परीक्षा शुरू होने/समाप्त होने से पहले जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई की जाए.