नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा के सेक्टर 38a स्थित एक ऐसा मॉल है, जो आए दिन विवादों में रहता है. इस बार गार्डन गैलेरिया मॉल के क्लिंक रेस्टोरेंट एंड बार में ग्राहक से महंगी शराब के रुपए लिए गए और उसे सस्ती शराब परोसी गई. शिकायत मिलने पर पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया. उनके पास से 395 बीयर की केन और 293 बोतल अंग्रेजी शराब बरामद हुई है. इससे पूर्व भी यहां मारपीट से लेकर मौत का तांडव हुआ है.
क्लिंक रेस्टोरेंट एंड बार के दो लोग गिरफ्तार: थाना सेक्टर-39 के प्रभारी निरीक्षक जितेन्द्र सिंह ने बताया कि बार में इस मामले को लेकर लगातार शिकायत मिल रही थी, जिसके बाद यह संयुक्त रूप से कार्रवाई की गई है. उन्होंने बताया कि पकड़े गए दोनों आरोपियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस और आबकारी विभाग की तरफ से पूरे मामले की जांच की जा रही है. अन्य कोई भी इस मामले में अगर दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी. आरोपितों की पहचान मोहम्मद नवाज और महेश के रूप में हुई है.
गद्दू गैंग के दो बदमाश गिरफ्तार: थाना सेक्टर-20 की पुलिस ने दोनों वांछित आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. थाना प्रभारी धर्मराज शुक्ला ने बताया कि दोनों गद्दू गैंग के सदस्य है, जो फरार चल रहे थे. दोनों कार चोरी के लिए नोएडा वापस आए थे. बरामद कार आरोपियों ने अपने साथियों के साथ मिलकर छह माह पहले कनॉट पैलेस, दिल्ली से चोरी की थी. गिरोह के सदस्य रेकी करने के बाद वाहन चोरी की घटना को अंजाम देते थे. गिरोह के सरगना सहित अन्य बदमाशों को चोरी की दस लग्जरी कार के साथ पुलिस ने बीते सप्ताह ही गिरफ्तार किया गया था.
नोएडा में साइबर ठगी का मामला: नोएडा साइबर थाना पुलिस ने व्हाट्सएप पर घर बैठे काम करने का झांसा देकर टेलीग्राम चैनल पर जोड़कर टास्क पूरा करने व लाखों की धोखाधड़ी मामले में 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. साइबर सेल थाना प्रभारी रीता यादव ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि आरोपी तरुण कौशिक द्वारा धोखाधड़ी से प्राप्त पैसों को क्रिप्टो करेंसी में कंवर्ट करा कर राजीव बंसल के माध्यम से अन्य खातों में पैसा मंगाया जाता था.
मनीष द्वारा बैंक में फर्म के नाम पर करंट अकाउंट खुलवाकर अरुण के माध्यम से तरुण को देते थे. जिसमें मनीष धोखाधड़ी से प्राप्त रुपयों का 15 प्रतिशत कमीशन लेता था. अरुण कुमार बैंक में करंट अकाउंट खुलवाकर तरुण को उपलब्ध कराते थे. जिसके बदले में वह 20 प्रतिशत लेता था. सिद्धार्थ शर्मा व पैसा इन्वेस्ट कराने के लिए नए-नए लोगों को तलाशता था. जिसको 20 हजार रुपए प्रतिमाह सैलरी मिलती थी. इस तरह से जो पैसा पीड़ितों द्वारा खाते में डाला जाता था उसका आपस में बंटवारा किया जाता था.
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