नई दिल्लीः 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि को समर्पित है. मंगलवार 28 मार्च को चैत्र नवरात्री का सातवां दिन है. मां कालरात्रि को महायोगिनी महायोगिश्वरी भी कहते हैं. मां कालरात्रि शुभ फल देने वाली हैं, इसलिए मां को शुभांकरी भी कहते हैं. मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना करने से सभी प्रकार के भय, रोग और दोष दूर होते हैं. साथ ही शत्रुओं और विरोधियों से मुक्ति मिलती है.
० पूजा विधि: नवरात्रि के सातवें दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें. पूजा के स्थान को साफ करें और गंगाजल डालकर शुद्ध करें. चौकी पर मां कालरात्रि की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा के स्थान को सजाएं. फिर मां कालरात्रि के व्रत का संकल्प लें और ध्यान करें. मां को गुड़ और हलवे का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद मां को विशेष रूप से पान और सुपाड़ी भी चढ़ाएं.
० मां का स्वरूप: मां कालरात्रि की चार भुजाएं हैं. मां कालरात्रि गर्दभ यानि गधा पर सवारी करती हैं. दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है. जबकि निचे वाला हाथ अभयमुद्रा में रहता है. मां कालरात्रि के बाई तरफ उपर वाले हाथ में लोहे का कांटा धारण किए हुए हैं जबकि नीचे वाले हाथ में लोहे की कटार है.
० मां कालरात्रि के मंत्र
क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम:
'ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ।'
ॐ कालरात्र्यै नम:
० मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी 'भक्त' प्रेम से कह कालरात्रि मां तेरी जय.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.)