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Chaitra Navratri 2023: पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, ये रही पूजा विधि, मंत्र और आरती की संपूर्ण जानकारी

चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है. रविवार (26 मार्च) को चैत्र नवरात्री का पांचवां दिन है. मां स्कंदमाता की आराधना से साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही आरोग्य, बुद्धिमता और ज्ञान की प्राप्ति होती है. संतान सुख और रोगमुक्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा करना बताया गया है.

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Published : Mar 25, 2023, 10:56 PM IST

Updated : Mar 26, 2023, 6:11 AM IST

नई दिल्लीः 22 मार्च से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो गई है. चैत्र नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है. रविवार (26 मार्च) को चैत्र नवरात्री का पांचवां दिन है. मां स्कंदमाता कार्तिकेय यानी स्कंद कुमार की माता हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता नाम से जाना जाता है. मां स्कंदमाता पार्वती का स्वरूप हैं. मां स्कंदमाता की आराधना से साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही आरोग्य, बुद्धिमता और ज्ञान की प्राप्ति होती है. संतान सुख और रोगमुक्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा करना बताया गया है. मान्यता है कि निःसंतान लोगों को मां स्कंदमाता की विशेष पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से मां स्कंदमाता सूनी गोद भी भर देती हैं.

० पूजा विधि: नवरात्रि के पांचवें दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें. पूजा के स्थान को साफ करें और गंगाजल डालकर शुद्ध करें. चौकी पर मां स्कंदमाता की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा के स्थान को सजाएं. फिर मां स्कंदमाता के व्रत का संकल्प लें और ध्यान करें. मां स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए पूजा में पीले रंग के कपड़े पहनें. पीले रंग के कपड़े पहनकर मां स्कंदमाता की पूजा करना काफी शुभ माना गया है. पीले रंग के कपड़े पहन कर पूजा करने से संतान पर आने वाले समस्त संकटों का मां स्कंदमाता नाश करती हैं. मां को केसर युक्त पीली खीर का भोग लगाएं.

० मां का स्वरूप: मां स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. मां स्कंदमाता ऊपर वाली दांयीं भुजा में स्कंद अर्थात कार्तिकेय को गोद में लिए हुए हैं और बाईं भुजा से मां ने जगत तारण वरद मुद्रा बना रखी है. नीचे वाली दांयी भुजा में कमल फूल लिए हुए हैं और नीचे वाली बाईं भुजा में भी कमल का फूल है. मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है.

० मां स्कंदमाता का मंत्र

ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

० स्‍कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्‍कंदमाता पांचवां नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं
कई नामों से तुझे पुकारा मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ों पर हैं डेरा कई शहरों में तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भक्ति अपनी मुझे दिला दो शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इंद्र आदि देवता मिल सारे करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं तुम ही खंडा हाथ उठाएं
दासों को सदा बचाने आई ‘चमन’ की आस पुजाने आई

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

ये भी पढ़ेंः Chaitra Navratri 2023 : इस फल का भोग अवश्य लगाएं देवी स्कंदमाता को, इनके साथ मिलेगा शिव-पुत्र का आशीर्वाद

नई दिल्लीः 22 मार्च से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो गई है. चैत्र नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है. रविवार (26 मार्च) को चैत्र नवरात्री का पांचवां दिन है. मां स्कंदमाता कार्तिकेय यानी स्कंद कुमार की माता हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता नाम से जाना जाता है. मां स्कंदमाता पार्वती का स्वरूप हैं. मां स्कंदमाता की आराधना से साधक की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही आरोग्य, बुद्धिमता और ज्ञान की प्राप्ति होती है. संतान सुख और रोगमुक्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा करना बताया गया है. मान्यता है कि निःसंतान लोगों को मां स्कंदमाता की विशेष पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से मां स्कंदमाता सूनी गोद भी भर देती हैं.

० पूजा विधि: नवरात्रि के पांचवें दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें. पूजा के स्थान को साफ करें और गंगाजल डालकर शुद्ध करें. चौकी पर मां स्कंदमाता की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा के स्थान को सजाएं. फिर मां स्कंदमाता के व्रत का संकल्प लें और ध्यान करें. मां स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए पूजा में पीले रंग के कपड़े पहनें. पीले रंग के कपड़े पहनकर मां स्कंदमाता की पूजा करना काफी शुभ माना गया है. पीले रंग के कपड़े पहन कर पूजा करने से संतान पर आने वाले समस्त संकटों का मां स्कंदमाता नाश करती हैं. मां को केसर युक्त पीली खीर का भोग लगाएं.

० मां का स्वरूप: मां स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. मां स्कंदमाता ऊपर वाली दांयीं भुजा में स्कंद अर्थात कार्तिकेय को गोद में लिए हुए हैं और बाईं भुजा से मां ने जगत तारण वरद मुद्रा बना रखी है. नीचे वाली दांयी भुजा में कमल फूल लिए हुए हैं और नीचे वाली बाईं भुजा में भी कमल का फूल है. मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है.

० मां स्कंदमाता का मंत्र

ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

० स्‍कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्‍कंदमाता पांचवां नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं
कई नामों से तुझे पुकारा मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ों पर हैं डेरा कई शहरों में तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भक्ति अपनी मुझे दिला दो शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इंद्र आदि देवता मिल सारे करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं तुम ही खंडा हाथ उठाएं
दासों को सदा बचाने आई ‘चमन’ की आस पुजाने आई

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

ये भी पढ़ेंः Chaitra Navratri 2023 : इस फल का भोग अवश्य लगाएं देवी स्कंदमाता को, इनके साथ मिलेगा शिव-पुत्र का आशीर्वाद

Last Updated : Mar 26, 2023, 6:11 AM IST
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