ETV Bharat / state

कैट ने की ई कॉमर्स कंपनियों पर कार्रवाई की मांग,अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही विदेशी कंपनियां

author img

By

Published : Dec 23, 2022, 7:55 PM IST

व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों पर देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने (foreign companies harming economy) का आरोप लगाते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई (CAIT demands action) करने की मांग की है. संगठन ने इन पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन का आरोप भी लगाया है.

कैट ने की ई-कॉमर्स कंपनियों पर कार्रवाई की मांग
कैट ने की ई-कॉमर्स कंपनियों पर कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली :व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों पर नियमों का उल्लंघन कर व्यापार करने का गंभीर आरोप लगाया. साथ ही केंद्र सरकार से इन कंपनियों के पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की मांग की. खंडेलवाल ने कहा कि संसदीय कमेटी की ओर से ई-कॉमर्स को प्रतिस्पर्धा-विरोधी करार देने पर सरकार तुरंत कार्रवाई करे.

फेमा कानून का कर रहीं उल्लंघन : देश के बड़े व्यापारी संगठनों में से एक कैट की ओर से पिछले दो साल से लगातार भारतीय बाजारों में ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से गैर कानूनी तरीके से व्यापार किए जाने के साथ फेमा कानून के उल्लंघन को लेकर आवाज उठाई जा रही है. शुक्रवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में कैट व्यापारी संगठन की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. जिसमें कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि संसद के अंदर वित्तीय मामलों की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह साफ तौर पर कहा है कि भारत के अंदर ई-कॉमर्स कंपनियां नियमों का उल्लंघन कर व्यापार कर करने के साथ बाजार में प्रतिस्पर्धा खत्म कर रही हैं. साथ ही विदेशी कंपनियां फेमा नियमों के उल्लंघन कर निवेश कर रही हैं.

ये भी पढ़ें :- कोरोना: सरकार ने दी नैजल वैक्सीन को मंजूरी, सबसे पहले प्राइवेट अस्पतालों में मिलेगी

सरकारी एजेंसियां कर रहीं हैं इनके खिलाफ जांच : खंडेलवाल ने कहा कि अगर ई-कॉमर्स के लिए भारत में संहिताबद्ध नियम लागू नहीं किए गए तो विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण बनने में देर नहीं लगेगी, जो देश के करोड़ों छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ा खतरा होंगी. संसद की वित्तीय स्थायी समिति की रिपोर्ट से पहले केंद्रीय प्रतिस्पर्धा आयोग, विभिन्न उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न मामलों में इन विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों को दोषी पाया है. विभिन्न सरकारी एजेंसियां इनके खिलाफ जांच कर रही हैं.

भेजे जा रहे ऑनलाइन नशीले पदार्थ : प्रवीण खंडेलवाल ने आरोप लगाया कि ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से गैरकानूनी ढंग से ऑनलाइन तेजाब और नशे के पदार्थ भेजे जा रहे हैं, जिन पर रोक लगनी चाहिए. ये कंपनियां मनमाने ढंग से व्यापार करने के साथ रिटेलर को बाजार से बाहर कर रही हैं जो अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए ठीक नहीं है. इससे देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ेगी. इन कंपनियों की कुटिल चालों से मोबाइल के अलावा एफएमसीजी, किराना कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, रेडीमेड गारमेंट्स, फैशन परिधान, खाद्यान्न, गिफ्ट आइटम, सौंदर्य प्रसाधन, घड़ियां आदि अन्य अनेक व्यापारिक वर्टिकल भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

ये भी पढ़ें :- कल दिल्ली पहुंचेगी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, रूट को लेकर असमंजस की स्थिति

नई दिल्ली :व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों पर नियमों का उल्लंघन कर व्यापार करने का गंभीर आरोप लगाया. साथ ही केंद्र सरकार से इन कंपनियों के पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की मांग की. खंडेलवाल ने कहा कि संसदीय कमेटी की ओर से ई-कॉमर्स को प्रतिस्पर्धा-विरोधी करार देने पर सरकार तुरंत कार्रवाई करे.

फेमा कानून का कर रहीं उल्लंघन : देश के बड़े व्यापारी संगठनों में से एक कैट की ओर से पिछले दो साल से लगातार भारतीय बाजारों में ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से गैर कानूनी तरीके से व्यापार किए जाने के साथ फेमा कानून के उल्लंघन को लेकर आवाज उठाई जा रही है. शुक्रवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में कैट व्यापारी संगठन की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. जिसमें कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि संसद के अंदर वित्तीय मामलों की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह साफ तौर पर कहा है कि भारत के अंदर ई-कॉमर्स कंपनियां नियमों का उल्लंघन कर व्यापार कर करने के साथ बाजार में प्रतिस्पर्धा खत्म कर रही हैं. साथ ही विदेशी कंपनियां फेमा नियमों के उल्लंघन कर निवेश कर रही हैं.

ये भी पढ़ें :- कोरोना: सरकार ने दी नैजल वैक्सीन को मंजूरी, सबसे पहले प्राइवेट अस्पतालों में मिलेगी

सरकारी एजेंसियां कर रहीं हैं इनके खिलाफ जांच : खंडेलवाल ने कहा कि अगर ई-कॉमर्स के लिए भारत में संहिताबद्ध नियम लागू नहीं किए गए तो विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण बनने में देर नहीं लगेगी, जो देश के करोड़ों छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ा खतरा होंगी. संसद की वित्तीय स्थायी समिति की रिपोर्ट से पहले केंद्रीय प्रतिस्पर्धा आयोग, विभिन्न उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न मामलों में इन विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों को दोषी पाया है. विभिन्न सरकारी एजेंसियां इनके खिलाफ जांच कर रही हैं.

भेजे जा रहे ऑनलाइन नशीले पदार्थ : प्रवीण खंडेलवाल ने आरोप लगाया कि ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से गैरकानूनी ढंग से ऑनलाइन तेजाब और नशे के पदार्थ भेजे जा रहे हैं, जिन पर रोक लगनी चाहिए. ये कंपनियां मनमाने ढंग से व्यापार करने के साथ रिटेलर को बाजार से बाहर कर रही हैं जो अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए ठीक नहीं है. इससे देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ेगी. इन कंपनियों की कुटिल चालों से मोबाइल के अलावा एफएमसीजी, किराना कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, रेडीमेड गारमेंट्स, फैशन परिधान, खाद्यान्न, गिफ्ट आइटम, सौंदर्य प्रसाधन, घड़ियां आदि अन्य अनेक व्यापारिक वर्टिकल भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

ये भी पढ़ें :- कल दिल्ली पहुंचेगी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, रूट को लेकर असमंजस की स्थिति

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.