नई दिल्लीः दुनियाभर में मची उथल-पुथल का असर सोने की कीमतों में साफ देखा जा रहा है. गोल्ड का प्राइस आसमान पर चढ़ गया है, जिससे बिजनेस 'होल्ड' हो गया. सोने के आभूषण परचेज करने वालों का बजट चरमरा गया है. ज्वेलरी विक्रेताओं की भी हालत खराब है. महंगाई की वजह से ज्वेलरी खरीदने वाले सुनारों के पास नहीं पहुंच रहे हैं. चांदनी चौक में दरीबा व्यापार मंडल के महामंत्री मनीष वर्मा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय भाव आसमान पर है. जीएसटी के साथ सोने का प्राइस मंगलवार को 63,725 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया. गुरुवार को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने का भाव 62,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से ऊपर चला गया था.
मनीष ने बताया कि मई-जून में गांव-देहात में खूब शादियां होती हैं. लो बजट की शादियों में भी सोने के जेवर देने का चलन है. यदि उन्होंने अभी तक ज्वेलरी नहीं खरीदी होगी, तो उनके सामने विकट समस्या है. क्योंकि शादी में मंगलसूत्र, अंगूठी, नथ, टीका और कान की बाली तो देनी ही पड़ती है. भले बजट के हिसाब से वजन कम हो. यूपी, बिहार, झारखंड, राजस्थान, हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मियों के दौरान खूब शादियां होती हैं. अभी बहुत से खरीदार असमंजस में हैं कि सोना खरीदे या कुछ समय इंतजार करें. भाव ऊपर जाएगा या नीचे आएगा. वेट एंड वॉच की स्थिति में है.
मनीष ने कहा कि जिन्होंने पहले ही जेवर खरीद रखे हैं, वो राहत में हैं. जब तक वैश्विक स्थिति में सुधार नहीं आएगा, सोने की कीमतों में कमी नहीं आएगी. रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. सूडान में गृहयुद्ध चल रहा है. वैश्विक बाजार में गहमगहमी है. युद्ध की स्थिति में करेंसी फेल हो सकती है. मगर, सोना फेल नहीं होता है. इसलिए लोग गोल्ड में इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं.
दरीबा कलां में 250 वर्षों से सोने का कारोबार करने वाले महेश गुप्ता ने बताया कि पिछले दो महीने से जितने भी ग्राहक शोरूम पर आ रहे हैं, उनमें ज्वेलरी एक्सचेंज वाले ज्यादा हैं. नई ज्वेलरी की सेल बहुत कम हो गई है. महेश का मानना है कि बाजार में आर्टिफिशियल जूलरी आने से भी सोने की बिक्री पर प्रभाव पड़ा है. अब ज्यादातर लोग केवल शादियों में लेन-देन के लिए सोने के आभूषणों को खरीद रहे हैं.
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गौरतलब है कि अर्थशास्त्र का सिद्धांत है कि जब मांग बढ़ती है तो भाव भी बढ़ता है, लेकिन गोल्ड के मामले में ये बात फिट नहीं बैठ रही. 2022 के दौरान भारत में गोल्ड इंपोर्ट करीब 35% गिर गया है. पिछले साल यहां करीब 705 टन सोने का इंपोर्ट हुआ, जबकि इससे एक साल पहले 1,068 टन सोना भारत आया था. यही नहीं दिसंबर में इसका इंपोर्ट करीब 80% गिरकर महज 20 टन रह गया, जो पिछले 20 साल का न्यूनतम स्तर है. जबकि एक साल पहले इस अवधि में 95 टन सोने का इंपोर्ट हुआ था. भारत में खपत का करीब 90% सोना इंपोर्ट करना पड़ता है और ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड खपत वाला देश है. इस लिहाज से सोने की भारतीय मांग ग्लोबल मार्केट खास अहमियत रखती है.