ऑल इंडिया एक्शन कमिटी फॉर बुद्धिस्ट लॉ की ओर से दिल्ली के जंतर मंतर पर सोमवार को एक प्रदर्शन का आयोजन किया गया. इस प्रदर्शन में भारी संख्या में बौद्ध धर्मावलम्बी शामिल हुए. यहां आए लोगों के हाथों के नारे लिखे तख्तियां भी थीं, जिनके जरिए वे अपने लिए अलग कानून की मांग कर रहे थे. इस प्रदर्शन में दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम भी शामिल हुए.
मोदी सरकार पर आरोप
इस प्रदर्शन को लेकर ईटीवी भारत से राजेंद्र पाल गौतम ने खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 346 संसद को हर धर्म का व्यक्तिगत कानून बनाने का अधिकार प्रदान करता है. लेकिन सरकार काफी लम्बे समय से बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए अलग कानून नहीं बना रही है. मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि ड्राफ्ट सौंपने के बाद भी बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए सरकार कानून नहीं बना रही है. जबकि मोदी सरकार चंद दिनों में अपने लिए मनमाना कानून बनाने लेती है.
'मोदी सरकार को सत्ता से हटाना है'
राजेन्द्र पाल गौतम ने कहा कि बौद्धों को अपने पर्सनल लॉ के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है. जो धर्म भारत में ही पैदा हुआ, उसपर कानून बनाने के लिए बौद्ध धर्मावलम्बियों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है. यह पूछने पर कि इस आंदोलन के बाद इस कानून की मांग को लेकर इनका अगला कदम क्या होगा. राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि हम सबसे पहले मोदी सरकार को सत्ता से हटाना चाहते हैं, उसके बाद जो सरकार बनेगी उससे हम बौद्धों के लिए अलग कानून बनवाएंगे.
'भेदभाव कर रही है सरकार'
इस प्रदर्शन में ऑल इंडिया एक्शन कमेटी फॉर बुद्धिस्ट लॉ के राष्ट्रीय संयोजक मुकुंद खैरे भी शामिल हुए. उन्होंने मंच से 'वी वांट सेपरेट बुद्धिस्ट लॉ' का नारा बुंलद किया. मुकुंद खैरे ने कहा कि सरकार बौद्ध धर्म को मानने वालों के साथ भेदभाव कर रही है. इससे पहले भी बुद्धिस्ट लॉ के लिए कई आंदोलन कर चुके हैं. हमने सरकार को ड्राफ्ट तक सौंप दिया है.
'भाजपा के खिलाफ़ मतदान करेंगे'
मुकुंद खैरे ने कहा कि सरकार लॉ कमीशन का हवाला देकर हमारी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है. अगर सरकार चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले बौद्धों का कानून बनाने के लिए कमेटी का गठन नहीं करती है, तो देशभर के बौद्ध भाजपा के खिलाफ़ मतदान करेंगे.