नई दिल्ली: दिल्ली में बीजेपी और आप में लगातार वार पलटवार जारी है, वैसे तो दिल्ली सरकार के ऊपर कई तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और भ्रष्टाचार के मामलों में दिल्ली सरकार के दो मंत्री जेल में भी हैं. इसी कड़ी में बीजेपी ने आज दिल्ली में भ्रष्टाचार को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है. ऐसा आरोप बीजेपी की तरफ से लगाया जा रहा है कि बिजली विभाग में भी दिल्ली सरकार ने भ्रष्टाचार किया है.
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा पावर डिस्कॉम को दी गई पावर सब्सिडी के सीएजी. एंपैनलमेंट ऑडिटरों से ऑडिट का दिल्ली सरकार का फैसला एक बहुत बड़ा छलावा है और दिल्ली की जनता और भाजपा इसे स्वीकार नहीं करेगी. सचदेवा ने कहा है कि गत 8 साल से अधिक अरविंद केजरीवाल सरकार पावर डिस्कॉमों को बिजली सब्सिडी बिना किसी ऑडिट मैकेनिज्म के देती रही है.
सच यह है कि पावर डिस्कॉम में दिल्ली सरकार एवं निजी कंपनियां बराबर की भागीदार हैं और पावर डिस्कॉम बोर्ड में आम आदमी पार्टी नेताओं की नियुक्ति की पोल खुलने के बाद से यह सवाल उठता रहा है कि पावर डिस्कॉमों को दी गई सब्सिडी का एक हिस्सा क्या किसी ना किसी रूप में आम आदमी पार्टी को वापस मिलता है. वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि गत 6 साल से पावर डिस्कॉम के ऑडिट को लेकर दिल्ली सरकार का एक मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है. जिस पर तारीख ही नहीं पड़ रही है. केजरीवाल सरकार ने आज तक उसमें तारीख लगवाने के लिए कोई कानूनी प्रयास नहीं किया.
नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि बिजली कंपनियों का ऑडिट कराने के लिए बिजली अधिनियम 2003 की धारा-108 लागू की जानी चाहिए थी, ताकि ऑडिट अनिवार्य हो जाए, लेकिन सरकार ने आज तक उस धारा को लागू नहीं किया. बिधूड़ी ने कहा कि अगर सीएजी ऑडिट होता, तो यह सच्चाई सामने आती कि बिजली चोरी रुकने से कंपनियों का कितना लाभ हुआ है और उसका लाभ जनता तक पहुंचना चाहिए था.
2003 में जब प्राइवेटाइजेशन हुआ था, तो दिल्ली में बिजली चोरी 60 फीसदी से ज्यादा थी, लेकिन अब यह घटकर 7-8 फीसदी ही रह गई है. इस वक्त दिल्ली में घरेलू बिजली की कीमत 8.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से वसूली जाती है और कमर्शियल रेट 18 रुपए प्रति यूनिट तक पहुंच जाता है. बिधूड़ी ने कहा कि सीएजी ऑडिट कराने के लिए सरकार ने कोई कोशिश नहीं की, उल्टी कंपनियों को ही लाभ पहुंचाया. जिससे रेट लगातार बढ़ते रहे. दिल्ली सरकार को रिलायंस की बिजली कंपनी बीआरपीएल और बीवाईपीएल से 21250 करोड़ रुपए लेने थे, लेकिन सरकार ने 11550 करोड़ रुपए में ही सेटलमेंट कर लिया.
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